आखिर कब थमेगा गायों की मौत का सिलसिला, हिसार गो-अभयारण्य में 69 गाय और मरीं
इससे पहले 600 से ज्यादा गायें मर चुकी हैं। पोस्टमार्टम में गायों के मरने की वजह निमोनिया व पॉलिथीन से बना अफारा सामने आया है। तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद गायों की मौत नहीं रुक रही।
हिसार [वैभव शर्मा] गो-अभयारण्य मामले में फिर से एक नया मामला सामने आ गया है। तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद गो-अभयारण्य में पशुओं की मौत का सिलसिला रुक नहीं रहा है। हाल ही में ठंड के कारण सात दिनों में गो-अभयारण्य में 69 गायों की मौत हो गई है। यह खुलासा नगर निगम की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में सामने आया है कि निमोनिया व अफारा बनने के कारण गायों ने दम तोड़ा। अब भी गो-अभयारण्य में गायों के लिए निगम द्वारा किए गए प्रबंध नाकाफी हैं। इसके कारण लगातार गायों की मौत हो रही है।
गो अभयारण्य में 18 जनवरी से 24 जनवरी तक 69 गायों की मृत्यु हुई है। हैरानी की बात है कि गो-अभयारण्य में अब 1196 पशु ही शेष रह गए हैं। ऐसे में लगातार मर रही गायों का पोस्टमार्टम भी लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) की टीम को भी पोस्टमार्टम के लिय बुला कर कराया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर गौर करें तो गो-अभयारण्य में गायों की मृत्यु अफारा बनने के कारण हुई है। लुवास ने पशुपालन विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है। इस आंकडे को देखा जाए तो लगभग हर दिन गायों की मृत्यु हो रही है। ऐसे में पशु पालन विभाग ने इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों व गो सेवा आयोग में भेज दी है।
पशुओं के पेट में मिले पॉलीथिन व प्लास्टिक की रस्सी
पोस्टमार्टम करने गई लुवास की टीम ने जब जांच की तो पाया कि पशुओं के पेट में 20 किलोग्राम से भी अधिक पॉलीथिन मौजूद है। इसके साथ ही गायों के पेट में प्लास्टिक के टुकड़े व प्लास्टिक की रस्सियां तक मिली है। इन सभी चीजों के कारण गाय कमजोर हो रही हैं यह चीजें गल नहीं सकती इसलिये पेट में अफारा बना रही है। यही कारण है कि गो-अभयारण्य में मरने वाले सभी पशुओं की मृत्यु अफारा बनने के कारण हुई है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गो-अभयारण्य में अभी भी गायों के ऊपर से मौत की तलवार हटी नही है। यहां 311 गाय बीमार हैं, जिनका उपचार चल रहा है।
2500 से 1196 हुई गायों की संख्या
पशुपालन विभाग ने 2500 गायों की टैगिंग की थी, जिसमें से 529 गायों के मरने की बात नगर निगम ने स्वीकारी थी। तब नगर निगम ने 1262 गायों के होने की बात कही थी, मगर अब घटकर 1196 गाय ही शेष रह गई हैं।
मौजूदा समय में निगम व पशुपालन विभाग की ओर से यह किए गए हैं प्रबंध
- यहां पशुपालन विभाग ने दो पशु चिकित्सक व दो अन्य सहायक कर्मचारी लगाए गए हैं।
- 18 कर्मचारियों को गायों की सेवा के लिये लगाया गया है।
- बीमार गायों व सही गायों को अलग-अलग करने की बात कही जा रही है।
- लोगों से चारे के लिये दान की अपील की जा रही है।
===गो-अभयारण्य में मरने वाली गायों का पोस्टमार्टम कराया है, जिसमें पॉलिथीन व अन्य प्लास्टिक की चीजें गायों के पेट में एकत्रित होने से अफारा बनने के कारण गायों की मौत हुई है।
-डा. डीएस सिंधु, उप निदेशक, पशुपालन विभाग