पंजाब में विधानसभा चुनाव आए तो फिर आई सिरसा डेरा की याद, वोटरों को लुभाने के लिए प्रयास शुरू
डेरा श्रद्धालुओं पर कई मामले दर्ज हैं। डेरा प्रमुख को सजा होने के बाद तो डेरा में रौनकें घट गईं और नेताओं के लिए भी राहें कंटीली रहीं। अब पंजाब में चुनाव के साथ ही कुछ नेताओं ने डेरा की पगडंडी की ओर जाने वाले रास्ते पर पैर रखे हैं।
सुधीर आर्य, सिरसा। डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु पंजाब में लंबे समय से उपेक्षा के शिकार हैं। डेरा श्रद्धालुओं पर कई मामले भी दर्ज हैं। डेरा प्रमुख को सजा होने के बाद तो डेरा में रौनकें घट गईं और नेताओं के लिए भी राहें कंटीली रहीं। अब पंजाब में चुनाव के साथ ही कुछ नेताओं ने डेरा की पगडंडी की ओर जाने वाले रास्ते पर पैर रखे हैं। कुछ नेता डेरा में मिलने के लिए भी आ गए हैं। डेरा प्रबंधन सबका स्वागत कर रहा है, लेकिन बोल कोई कुछ नहीं रहा। हालांकि डेरा श्रद्धालुओं की टीस जरूर सुनाई देती है कि चुनाव है तो नेताजी आए हैं वरना यहां तो कोई दिखाई ही नहीं देता था। चुनाव नजदीक आएगा डेरा श्रद्धालुओं की अधिक तादाद वाले हलकों से नेताजी आशीर्वाद लेने सिरसा की ओर कार को दौड़ाएंगे। अब यह डेरे की राजनीतिक विंग पर निर्भर है कि वे किसका साथ देंगे या नहीं।
चाचा-भतीजा के बीच शह मात का खेल
परिवार एक है पर विचारधारा अलग-अलग। डबवाली में एक-दूसरे के खिलाफ हमेशा खड़े रहने वाले चाचा-भतीजा के बीच पंजाब चुनाव में फिर शह-मात का खेल रहेगा। शिरोमणि अकाली दल बादल के समर्थन का ऐलान कर चुकी इनेलो ने बठिंडा जिला में कार्यकर्ताओं की फौज उतार दी है। कमान सीधे तौर पर पार्टी महासचिव अभय सिंह चौटाला के हाथ में है तो कांग्रेस ने यहां पूरे जिले का प्रभारी डा. केवी सिंह को बना दिया है। बठिंडा जिला सिरसा के साथ लगता है और भाईचारा, रिश्तेदारियां इसी जिले से जुड़ी हैं। दोनों ही पार्टियों ने सिरसा के लोगों के प्रभाव को देखते हुए यहां जिम्मेवारी सिरसा के नेताओं को सौंप दी है। चाचा केवी सिंह व भतीजा अभय सिंह एक बार फिर आमने-सामने हैं। दोनों की ही प्रतिष्ठा पार्टी उम्मीदवारों की जीत से जुड़ी हुई हैं। अब यह देखना होगा कि चाचा-भतीजा में से कौन शह-मात के खेल में जीत पाएगा।
जब सीमेंट मिलेगी, तभी शुरू होंगे काम
खनन कार्य बंद होने से निर्माण सामग्री के रेट हर जगह बढ़ गए हैं। निर्माण सामग्री के अलावा विकास कार्यों में ठेकेदार को अब सीमेंट की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। बाजार और सरकारी रेट में करीबन 100 रुपये प्रति बैग का अंतर है। पंचायत विभाग को सरकार कंट्रोल रेट पर सीमेंट मुहैया करवाती है और इसके लिए सीमेंट कंपनी से सरकार एग्रीमेंट करती है। इस बार दो नवंबर को एग्रीमेंट खत्म हो गया है। इसके बाद पंचायत व जिला आयोजना कमेटी से होने वाले कार्यों के लिए सीमेंट उपलब्ध नहीं है। ठेकेदार बाजार से ले तो उसे 100 रुपये प्रति बैग का नुकसान है और सरकारी स्टोर में सीमेंट उपलब्ध नहीं है इसीलिए ठेकेदार काम छोड़कर बैठे हैं। वैसे भी खनन शुरू होने के बाद रेट कम होने के आसार हैं। पीडब्ल्यूडी व जनस्वास्थ्य विभाग में सीमेंट ठेकेदार को खरीदनी होती है इसलिए वहां काम जारी है।
तरीका अच्छा है हुजूर
देश के नशा प्रभावित 272 जिलों में सिरसा का नाम आया है। पुलिस प्रशासन नशे के खिलाफ कैंपेन चला रहा है। कैंपेने का असर कहां तक और नशे के बारे में आम आदमी तथा पुलिस की कार्रवाई तक की जानकारी लेने के लिए पुलिस अधीक्षक ने नया फामरूला अपनाया है। यदि अधिकारी गांव में जाएं तो सबके सामने जानकारी देने से आम आदमी संकोच करता है और उसे डर रहता है कि कहीं उसे बाद में परेशानी का सामना न करना पड़े, लेकिन पुलिस अधीक्षक डा. अर्पित जैन दफ्तर में बैठकर ही गांवों के हालात जान रहे हैं। जब फरियादी शिकायत लेकर आता है तो वे दो सवाल जरूर पूछते हैं। गांव में नशे की क्या स्थिति है। जो नशा बेचते हैं उन्हें पकड़ने पुलिस जाती है या नहीं। इसी बातचीत में उन्हें गांव की जानकारी मिल जाती है और जो बेचते हैं उनकी सूचना भी हासिल कर लेते हैं।