weather update : हवाएं बदली, धूल के गुबार से मिलेगी राहत, बारिश के रहेंगे आसार
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के अनुसार 19 जुलाई तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहेगा। इस दौरान प्रदेश में मानसून के थोड़े ओर सक्रिय होने की संभावना है।
हिसार, जेएनएन। कई दिनों के बाद मौसम ने करवट बदली है। उमस भी कम हुई तो वहीं चार दिन से उठे धूल के गुबार का असर भी हल्का कम हुआ है। अनुमान है कि बारिश के बाद धूल के गुबार से निजात मिलेगी। वहीं बीते चार से पांच दिनों से लोग धूल के कारण बेहाल थे। अब आंखों में और सांसों के साथ फेफड़ों में धीरे-धीरे जा रही धूल से सोमवार शाम तक राहत मिलने के आसार हैं।
सोमवार को सुबह सिरसा में बारिश हुई तो वहीं हिसार में एक बार बूंदाबांदी हुई। ऐसे में बारिश होने के चलते धूल से निजात मिलेगी ही साथ ही इस बारिश के किसानों को बहुत फायदा होगा। इस दफा मानसून हरियाणा में देरी से पहुंचा तो वहीं अभी तक चंडीगढ़ के साथ लगते जिलों के अलावा हरियाणा में मानसून की बारिश नहीं हुई है। फसलें सूख रही हैं तो किसान चिंतित हैं।
पश्चिमी हवाओं के कारण छाए धूल के गुबार पर पूर्वाई हवाओं के चलने का असर शुरू हो गया है। रविवार की शाम को हवाएं बदलने से कुछ हद तक धूल के गुबार में कमी आई थी। जो मंगलवार शाम तक इसे और कम कर सकती है। धूल के गुबार के कारण न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक 29.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज रहा। वहीं, दिन में बादल छाने के कारण अधिकतम तापमान में 1.3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन उमस लगातार परेशान कर रही है। अधिकतम तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं, भारतीय मौसम विभाग और एचएयू के कृषि मौसम विभाग की तमाम संभावनाएं भी बारिश का इंतजार बढ़ा रही हैं।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के अनुसार 19 जुलाई तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहेगा। इस दौरान प्रदेश में मानसून के थोड़े ओर सक्रिय होने की संभावना है। जिसके कारण 18 जुलाई तक उत्तरी हरियाणा में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। पश्चिमी और दक्षिणी हरियाणा में भी 15 जुलाई की देर रात से 18 जुलाई के बीच हवाओं के साथ कहीं-कहीं बूंदाबांदी और हल्की बारिश के आसार है।
पीएम 2.5 के बढ़ने से बनी हुई थी परेशानी
बीते कई दिनों से गर्मी और उमस से तो लोग परेशान थे ही मगर पीएम 2.5 के अत्यधिक बढ़ जाने के कारण लोग बेहाल थे। हिसार में पीएम 2.5 तो 350 को भी पार कर गया था। धूल के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। दिन में ही धूल के कारण रात जैसे हालात हो जाते थे और वाहनों की लाइटें तक जलानी पड़ रही थी। अस्थमा और टीबी के मरीजों को इसके कारण और भी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। मगर अब इस समस्या से राहत मिलने वाली है। राजस्थान में पश्चिमी की ओर से हवाओं के साथ आने वाली धूल अब छंटने वाली है।
क्या होता है पीएम 2.5 और पीएम 10
PM पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) या कण प्रदूषण (particle pollution) भी कहा जाता है, जो कि वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। हवा में मौजूद कण इतने छोटे होते हैं कि आप नग्न आंखों से भी नहीं देख सकते हैं।
कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है। कण प्रदूषण में PM 2.5 और PM 10 शामिल हैं जो बहुत खतरनाक होते हैं। PM 2.5 वायुमंडलीय कण पदार्थ को संदर्भित करता है जिसमें 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास होता है, जो मानव बाल के व्यास के लगभग 3% है।
आम तौर पर PM2.5 के रूप में लिखा जाता है, इस श्रेणी में कण इतने छोटे होते हैं कि उन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से ही पता लगाया जा सकता है। ये PM10 के समकक्षों से भी छोटे होते हैं। PM10 वो कण हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोमेटर होता है और इन्हें fine particles भी कहा जाता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर भी कहते हैं।
इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। PM10 और 2.5 धूल, कंस्ट्रदक्शेन की जगह पर और कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ता है। हम आपको बता दें कि हवा में PM2.5 की मात्रा 60 और PM10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है।