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weather update: वायु साइक्लोन और चक्रवाती हवाओं से बरस रहे बदरा, आगे ऐसा रहेगा मौसम

मौसम विभाग के अनुसार यह बारिश दो कारणों से हो रही है। पहला पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण हरियाणा के साथ लगते राजस्थान पर चक्रवाती हवाओं का कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है।

By manoj kumarEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 02:27 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 02:27 PM (IST)
weather update: वायु साइक्लोन और चक्रवाती हवाओं से बरस रहे बदरा, आगे ऐसा रहेगा मौसम
weather update: वायु साइक्लोन और चक्रवाती हवाओं से बरस रहे बदरा, आगे ऐसा रहेगा मौसम

हिसार, जेएनएन। लगातार चौथे दिन हुई बारिश से जिले और प्रदेशभर में मौसम सुहाना हो चला है। गर्मी से लोग जहां बेहाल थे वहीं अब ठंडी फुहारें बरस रही हैं। मंगलवार की सुबह भी कई जिलों में भारी बारिश हुई। इससे किसानों को राहत मिली है वहीं जलभराव के कारण परेशानी का सामना भी करना पड़ा है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगले दो दिन और प्रदेश में बरसात होने की संभावना है।

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शनिवार रात से सोमवार शाम तक जिले में करीब 65 एमएम बारिश हो चुकी है। इससे तापमान में भारी गिरावट आई और सोमवार को अधिकतम तापमान 32.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 25.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मंगलवार को तापमान में गिरावट देखने को मिली और भी ठंडक रही।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के अनुसार यह बारिश दो कारणों से हो रही है। पहला, पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण हरियाणा के साथ लगते राजस्थान पर चक्रवाती हवाओं का कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इसके साथ ही 'वायु' साइक्लॉन के कारण अरब सागर की तरफ से नमी वाली हवाएं आ रही हैं।

इन दोनों कारणों से प्रदेश के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में तीन दिनों से गरज-चमक व हवाओं के साथ रूक-रूक कर बारिश हो रही है। एचएयू के कृषि मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मदन खिचड़ के अनुसार अगले दो दिनों में भी प्रदेश में कई स्थानों पर भी बारिश होने की संभावना बनी हुई है।

कपास-नरमा में होनी थी सिचाईं, बारिश से पानी और बिजली की बचत हुई
डा. मदन खिचड़ के अनुसार इस बारिश से नरमा, कपास, सब्जियों व फलदार पौधों को फायदा हुआ है। कपास-नरमा की फसल में 40 से 45 दिन बाद पहला पानी लगाया जाता है। अब यह फसल लगाए 40 दिन से अधिक बीत चुके हैं। ऐसे में सही समय पर आसमान से पानी बरसा है। धान की नर्सरी को भी इस बारिश से लाभ हुआ है। 15 जून के बाद में धान लगाने की प्रक्रिया के तहत किसानों द्वारा तैयार किए जा रहे खेतों को भी इस बारिश से पानी मिल गया है। जिसके कारण भारी मात्रा पानी और बिजली की बचत हुई है। इस बारिश से खरीफ की लगने वाली ग्वार व बाजरा की फसलों की बुवाई भी आसानी से समय पर की जा सकेगी।

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