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weather update: आसमान से आफत बन बरसे ओले, किसानों की उम्‍मीदों पर फिर सकता पानी

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिम विक्षोभ के कारण 8 फरवरी तक गरज-चमक व हवाओं के साथ कहीं हल्की और कहीं मध्यम बारिश की संभावना है।

By manoj kumarEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 12:25 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 11:07 AM (IST)
weather update: आसमान से आफत बन बरसे ओले, किसानों की उम्‍मीदों पर फिर सकता पानी
weather update: आसमान से आफत बन बरसे ओले, किसानों की उम्‍मीदों पर फिर सकता पानी

हिसार, जेएनएन। लगातार कई दिन ठंड गिरने के बाद मौसम ने एक बार फिर करवट बदली है। बुधवार को तेज धूप के कारण सर्दी बेहद कम महसूस हुई वहीं रात होते ही ठंडी हवा चलने लगी। रात को आसमान में बादल छा गए। गुरुवार की सुबह प्रदेश के रोहतक, जींद, झज्‍जर समेत कई जिलों में बारिश के साथ जबरदस्‍त ओलावृष्टि भी हुई। तो वहीं हिसार और आस पास के जिलों में शीतलहर के साथ बादल छाए हुए हैं। वहीं आगामी दो दिनों तक बारिश होने के आसार हैं। वहीं बुधवार की सुबह फरीदाबाद और दिल्‍ली एनसीआर समेत कई जगहों पर बारिश हुई थी।

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वहीं इससे पहले समूचे उत्‍तर भारत में बर्फीली हवा चल रही थी। दिल्‍ली, हरियाणा उत्‍तर प्रदेश के अलावा साथ लगते राज्‍य में ठंड अपना कहर बरवा रही थी। बुधवार को तेज धूप से कारण राहत मिली मगर बारिश के बाद सर्दी से राहत मिलने वाली नहीं है। इससे पहले बुधवार को शाम तक मौसम साफ और सामान्य रहा। अधिकतम तापमान 25.5 डिग्री सेल्यियस दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 11.6 डिग्री सेल्सियस रहा। गुरुवार को अधिकतम तापमान सात डिग्री की गिरावट के साथ 16 डिग्री और करीब तीन डिग्री की गिरावट के साथ न्‍यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में घना कोहरा आम जन-जीवन को प्रभावित करेगा। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिम विक्षोभ के कारण 8 फरवरी तक गरज-चमक व हवाओं के साथ कहीं हल्की और कहीं मध्यम बारिश की संभावना है।


झज्‍जर जिले में बारिश के साथ गिरे हुए ओले

ओले से खतरा, बारिश से फसलों को होगा फायदा
करनाल के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के डॉ. एसपी तोमर के मुताबिक जितनी लंबी ठंड पड़ेगी, गेहूं की फसल को उतना अधिक फायदा होगा। 20 फरवरी तक भी गेहूं को अच्छी ठंड चाहिए। इसके बाद तापमान धीरे-धीरे बढ़े तो अच्छा उत्पादन होगा। लेकिन पिछले पांच से सात सालों में अक्सर यही देखने में आ रहा है कि तापमान अचानक बढ़ जाता है, जिससे समय से पहले गेहूं की फसल निसर जाती है। ठंड का जितना टाइम चाहिए वह उसको नहीं मिल पाता। जिसका उत्पादन पर भी 7 से 10 प्रतिशत तक असर होता है।


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