फतेहाबाद जिले की 31 हजार ढाणियों में नहीं पहुंच रही पानी की एक बूंद, 181 गांवों में ट्यूबवेल की सप्लाई
विश्व जल दिवस सबसे अधिक बर्बादी भी पानी की हो रही है। अगर यही हाल रहा तो वो समय दूर नहीं जब पीने का पानी तक नहीं मिलेगा। एक समय था जब हर किसी को निशुल्क पानी मिलता था। लेकिन अब पानी के लिए हमें रुपये चुकाने पड़ रहे है।
फतेहाबाद, जेएनएन। बिन पानी जीवन संभव नहीं है यह बात हर कोई जानता है। लेकिन सबसे अधिक बर्बादी भी पानी की हो रही है। अगर यही हाल रहा तो वो समय दूर नहीं जब पीने का पानी तक नहीं मिलेगा। एक समय था जब हर किसी को निशुल्क पानी मिलता था। लेकिन अब इसी पानी के लिए हमें रुपये चुकाने पड़ रहे है। पहले केवल शहरवासियों से ही पानी के रुपये लिए जाते थे लेकिन अब तो गांवों में भी पीने के पानी का प्रति महीना बिल जनस्वास्थ्य विभाग ले रहा है।
जनस्वास्थ्य विभाग दावा करता है कि हर घर में पानी पहुंच रहा है। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि जनस्वास्थ्य विभाग की सर्वे रिपोर्ट बयां कर रही है। जिले में अब 31 हजार 814 ढाणियां ऐसी हैं जहां जलघर से एक बूंद पानी नहीं जा रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो इन ढाणियों में करीब सवा लाख लोग रहते हैं। ऐसे में इन लोगों नलकूप के पानी पर निर्भर होना पड़ रहा है। अधिकतर लोगों ने तो जमीन में टैंक बना लिया है जो बरसात या फिर नहरी पानी का स्टोर कर रहे है। जिले में धान का रकबा प्रत्येक वर्ष तीन से पांच हजार हेक्टेयर तक बढ़ रहा है। जबकि जल स्तर प्रति वर्ष 5 से 10 फीट तक नीचे जा रहा है। यह क्रम ज्यादा वर्ष तक चलने वाला नहीं है। गत वर्ष तो 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की गई। जिसमें 5 हजार हेक्टेयर में बढ़ोतरी हुई।
400 फीट गहरा चला गया जल स्तर, फिर भी ट्यूबवेल लगाने की अनुमति
जिले के टोहाना खंड के कुछ गांवों में जल स्तर 400 फीट चला गया है। फतेहाबाद ब्लाक के धान बेल्ट के गांवों में जल स्तर 280 फीट गहरा चला गया है। स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो पूरा जिला डार्क जोन बन जाएगा। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले जिले में कृषि व्यवस्था ट्यूबवेल पर आधारित है, लेकिन पिछले एक दशक से किसानों ने ट्यूबवेल से भूजल का अत्यधिक दोहन किया है। जिले के दोनों डिवीजन फतेहाबाद व टोहाना में 80 प्रतिशत फीडर ट्यूबवेल कनेक्शन के हैं। सबमर्सीबल व डीजल इंजन के ट्यूबवेल 10 हजार से अधिक है।
जिले के 120 गांवों में ही पहुंच रहा नहरी पानी
जिले में 260 ग्राम पंचायत है और 301 गांव है। जिले में 120 गांवों में ही जलघर है। यानि इन गांवों में नहरी पानी की सप्लाई हो रही है। वहीं 181 गांव ऐसे है जहां नहरी पानी अभी तक नहीं मिल रहा है। गांवों में केवल ट्यूबवेल का पानी सप्लाई हो रहा है। जिससे लोग पथरी व अन्य पेट से संबंधित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। जिले का रतिश शहर ऐसा है जहां शहरवासियों को अब भी ट्यूबवेल का पानी मिल रहा है। ऐसे में जिले में जलस्तर की क्या स्थिति इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
आंकड़ों पर एक नजर
जिले में ग्राम पंचायतें : 260
जिले में गांव : 301
जिले में कितने हैं घर : 1,40,802
कितने घरों में पेयजल कनेक्शन : 92,233
ढाणियों में नहीं पहुंच रहा पानी : 31,814
सर्वे के बाद घरों को जोड़ा गया : 16,755
पानी के बिल की वसूली : 2,0050,000
अवैध कनेक्शनों को वैध किया : 29000
पाइप लाइन लीकेज ठीक हुई : 50,000
पूरे प्रदेश के लिए यह गांव बना मिसाल
एक तरह हम जल बर्बादी का रोना रा रहे है वहीं जिले में एक गांव ऐसा भी है जो पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बना है। गांव बनावली सौत्र में एक भी पानी की लीकेज नहीं है। यहां के ग्रामीण पानी को लेकर इतने जागरूक है कि यहां खुले में पानी तक नहीं बहता। पिछले दिनों केंद्र की एक टीम ने इस गांव का निरीक्षण किया था। जिससे टीम संतुष्ट नजर आई। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि वो अपने स्तर पर हर घर में पानी का मीटर लगवाने के तैयार है। ऐसे में इस गांव में जनस्वास्थ्य विभाग चौबीस घंटे पानी देगा। यहां प्रदेश का पहला गांव होगा जहां चौबीस घंटे पानी मिलेगा। इस गांव में 286 घर है तो 1200 की आबादी है।
यह गांव छोटा जरूर है लेकिन कई मामलों में बड़े गांवों को भी दूर कर रहा है। करीब पांच साल पहले इस गांव में जलघर नहीं था। पंचायत के पास जगह भी नहीं थी कि जलघर का निर्माण किया जा सके। पंचायत के पास फंड नहीं था कि वो अपने स्तर पर जमीन खरीद सके। ऐसे में पूरे गांव से चंदा इकट्ठा किया गया। हर घर से पांच हजार रुपये का चंदा इकट्ठा करके 43 लाख रुपये इकट्ठा किए थे और तीन एकड़ जमीन खरीद ली थी।
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सरकार ने जलजीवन मिशन शुरू किया है। जिले में वर्ष 2022 तक हर घर में पानी पहुंचाने का टारगेट हमने रख लिया है। सक्षम युवाओं से सर्वे करवाया जा रहां है जहां पानी नहीं पहुंच रहा है। इसके अलावा ये युवा जल बचाने के लिए हर किसी को संदेश भी दे रहे है।
शर्मा चंद लाली, सलाहकार, जनस्वास्थ्य विभाग, फतेहाबाद।