मनुष्यों में फैल सकता है वायरस, हिसार में शादी की घोड़ी में मिला ग्लैंडर्स, हुई मौत
इन घोडिय़ों का प्रयोग शादी समारोह में दूल्हे को बैठाने के लिए किया जाता है। एक घोड़ी चार दिन पहले ही मर गई जिसके खून की जांच भी नहीं हो पाई।
हिसार [वैभव शर्मा] शहर में एक बार फिर से ग्लैंडर्स बीमारी ने दस्तक दे दी है। शहर के सैनियान मुहल्ला में कुछ घोडिय़ों में ग्लैंडर्स बीमारी मिली है। इन घोडिय़ों का प्रयोग शादी समारोह में दूल्हे को बैठाने के लिए किया जाता है। एक घोड़ी चार दिन पहले ही मर गई, जिसके खून की जांच भी नहीं हो पाई। चिकित्सकों को शक है कि इस घोड़ी की मृत्यु ग्लैंडर्स के कारण हुई है।
वहीं दूसरी घोड़ी का बुधवार को लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय(लुवास) में राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डा. बीएन त्रिपाठी के नेतृत्व में प्रधान वैज्ञानिक डा. एच ङ्क्षसघा सहित तीन विशेषज्ञों की टीम ने सैंपल लिया। इस दौरान पशु चिकित्सक भी उपस्थित रहे। गुरुवार को इस घोड़ी का एलाइजा टेस्ट पॉजिटिव आ गया। अब दूसरे टेस्ट की तैयारी चल रही है। ऐसे में एक बार फिर से हिसार में ग्लैंडर्स का खतरा मडरा रहा है। ग्लैंडर्स पॉजिटिव घोड़ी के साथ ही रहने वाली चार अन्य घोडिय़ों का गुरुवार को खून का सैंपल लिया गया।
जानें ग्लैंडर्स बीमारी के बारे में
ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है। इसमें घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गांठें आदि होना इसके लक्षण हैं। यह बीमारी दूसरे पालतू पशु में भी पहुंच सकती है। दरअसल यह बीमारी बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलती है। यह बीमारी होने पर घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है।
इस साल यूपी और महाराष्ट्र में मिले सबसे अधिक केस
इस साल जनवरी के 20 दिनों में राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के पास घोड़ों में ग्लैंडर्स जांचने को सबसे अधिक सैंपल उत्तर प्रदेश से आए हैं। इसमें गाजीपुर जिला में 8 घोड़ों में ग्लैंडर्स मिला है, जिनमें से कुछ घोड़ों की मृत्यु भी हो गई है। इसके साथ ही चार से पांच सैंपल अभी भी जांचे जा रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र के ङ्क्षहगुली जिले से एक घोड़े में ग्लैंडर्स मिला है, बाकी घोड़े भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इसी प्रकार बुलदाना जिले में भी पांच घोड़े इस बीमारी के चपेट में लग रहे हैं।
मनुष्यों पर ग्लैंडर्स का प्रभाव
घोड़ों से मनुष्यों में यह बीमारी आसानी से पहुंच जाती है। जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर उपचार करते हैं, उनको खाल, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है। मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकडऩ, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है।
2011 की गणना के अनुसार घोड़ों की संख्या
राज्य- संख्या
उत्तर प्रदेश- 2,51,151
जम्मू एवं कश्मीर- 1,98,246
राजस्थान- 1,19,244
महाराष्ट्र- 66,412
गुजरात- 57,257
हरियाणा- 48,567
हिमाचल प्रदेश- 45,745
उत्तराखंड- 44,764
मध्यप्रदेश- 33,719
दिल्ली- 2694