भिवानी में गिरते भूजल को लेकर गांवों को किया अलर्ट, पंचायतों को 24 जनवरी तक देनी होगी अपडेट
भिवानी में 27 गांव की गहराते जलस्तर को लेकर संतोषजनक है और इन गांव को बैंगनी रंग में दर्शाया गया है। यानी इन गांव में जल स्तर का गिराव काफी हद तक कम रहा है। बवानी खेड़ा गिरते भूजल स्तर के मामले में सबसे सुरक्षित माना जा रहा है।
पुरुषोत्तम भोल्याण, बहल (भिवानी)। भिवानी में गहराते भूजल स्तर को लेकर गांव को अलर्ट किया गया है तथा गांव को विभिन्न रंगों के माध्यम से चिह्नित कर गिरते जलस्तर के खतरे को लेकर ग्राम पंचायतों से मौजूदा पानी के स्तर की जानकारी राजस्व पटवारी को दर्ज करवाने तथा सुझाव मांगे गए हैं और यह रिपोर्ट व सुझाव राजस्व पटवारियों के माध्यम से रोजनामचा में दर्ज कर जिला पंचायत विभाग को रिपोर्ट देनी है। पटवारियों के माध्यम से यह रिपोर्ट जिला विकास पंचायत अधिकारी को 24 जनवरी तक देने की सीमा तय की गई है। जिले के विकास एवं पंचायत अधिकारी ने इस आशय के पत्र संबंधित खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों को प्रेषित कर रिपोर्ट मांगी है। बीडीपीओ को भेजे पत्र के तहत लिखा गया है कि इसके लिए जल स्तर की मौजूदा स्थिति तथा ग्राम पंचायतों के सुझाव राजस्व पटवारियों के यहां दर्ज करा रिपोर्ट मांगी गई है। ताकि गिरते भूजल स्तर के प्रति जन जागरूकता अभियान चलाया जाए और जल संरक्षण पर विशेष अभियान चलाया जाए। इसके लिए गांव में मुनादी कराई जाएगी।
बहल क्षेत्र में सामान्य से 95 मीटर गहराया भूजल और 29 गांव रेड जोन में शामिल
पंचायत विभाग को मिली हालिया रिपोर्ट के मुताबिक जिले के खंड बहल के गांव में जलस्तर सामान्य से 95 मीटर तक गहरा गया है और खंड के सभी 29 गांव गिरते भूजल स्तर रेड जोन में दर्शाए गए हैं। खंड लोहारू भी रेड जोन की स्थिति में खड़ा है। जिले के बवानी खेड़ा की स्थिति संतोषजनक स्थिति में आती है। कमोबेश भिवानी खंड की स्थिति भी ठीक-ठाक कही जा सकती है। खंड बहल के चैहड़खूर्द गांव सबसे बेहद खतरनाक स्थिति में दर्शाया गया है जहां 95 मीटर गहराई तक भूजल स्तर गिर चुका है। खंड के 29 गांव रेड जोन में घोषित किए हुए हैं और यहां साढ़े 32 मीटर से 95 मीटर तक भूजल स्तर गिरा दर्शाया गया है।
लोहारू के 53 गांवों में 32 से 77 मीटर गिरा भूजल स्तर
कमोबेश यही हालात लोहारू खंड के गांवों की नजर आ रही है। लोहारू के 53 गांवों में जलस्तर सामान्य से 32 मीटर से लेकर 77 मीटर तक गिरा है। यही नहीं बहल लोहारू खंड को सीमावर्ती सिवानी व कैरू खंड के गांवों के भूजल स्तर प्रभावित हुआ हैं। जिले के 320 गांव की गिरते भूजल स्तर को विभिन्न रंगों के माध्यम से अंकित किया गया है ताकि इसके लिए जन जागरण अभियान चलाकर गिरते भूजल स्तर को बचाया जा सके। जिन गांव में अत्यधिक जल स्तर गिरने की रिपोर्ट आई है। उन गांवों को खतरे की सूचक लाल रंग में दर्शाया गया है। जिले में ऐसे गांव की संख्या 104 है तथा यहां 30 मीटर से लेकर 95 मीटर तक जलस्तर गहरा गया है और इन गांव को रेड जोन में रखा गया है। इसके बाद दूसरे नंबर पर गुलाबी रंग से अंकित गांव की संख्या 36 है और इन गांव में गिरता जलस्तर खतरे के निशान के करीब है। इसके बाद हल्के हरे रंग के तौर पर 59 गांव रिपोर्ट में दर्शाए गए हैं। जहां स्तर गहराई की तरफ जा रहा है का अलर्ट दर्शाया गया है। गहरे हरे रंग के माध्यम से भूमि जल स्तर की स्थिति को अच्छा माना जा सकता है और जिले में ऐसे गांव की संख्या 44 है। जिले में अच्छे जलस्तर वाले गांवों को पीले रंग से अंकित किया गया है और ऐसे गांव की संख्या 52 है।
जिले में 27 गांवों में भूजल स्तर संतोषजनक
जिले में 27 गांव की गहराते जलस्तर को लेकर संतोषजनक है और इन गांव को बैंगनी रंग में दर्शाया गया है। यानी इन गांव में जल स्तर का गिराव काफी हद तक कम रहा है। पंचायती विभाग को मिली रिपोर्ट मुताबिक के बवानी खेड़ा गिरते भूजल स्तर के मामले में सबसे सुरक्षित माना जा रहा है। यानी खंड में जल स्तर का गिराव जिले के अन्य खंडों के मुकाबले काफी कम है। खंड के 33 गांव में से एक भी गांव रेड जोन में नहीं आता। खंड के तीन गांव हल्के हरे रंग में दर्शाए गए हैं जहां 11 मीटर से लेकर 14 मीटर तक जल स्तर गिरा है। खंड के छह गांव हरे रंग में दर्शाए गए हैं और यहां 6 मीटर से लेकर 10 मीटर तक जलस्तर में गिरा है। बवानी खेड़ा में 12 गांव ऐसे भी है। जिनको पीले रंग में दर्शाया गया है और यहां 3.02 मीटर से लेकर 4.92 मीटर तक जलस्तर में गिराव आया है। रिपोर्ट में बैंगनी रंग उपयोग करते हुए की स्थिति सामान्य के काफी नजदीक दर्शाई गई है। खंड में 11 गांव इस श्रेणी में आते हैं। गांव में ढाई मीटर से लेकर तीन मीटर तक जलस्तर गिराव की रिपोर्ट है। जिले के बहल व लोहारू खंड की स्थिति बेहद चिंताजनक है।
ये गांव रेड जोन में शामिल
गांव चैहड़खुर्द में भूजल स्तर सामान्य से 95 मीटर गहराई तक पहुंच गया है। खंड में मंढो़लीकलां गांव का जलस्तर साढ़े 41 मीटर गहराई 29 गांव में सबसे नीचे है। खंड के सभी गांव रेड जोन में घोषित हुए हैं। खंड लोहारू के 53 गांव रेड जोन में दर्शाए गए हैं। खंड के बरालु गांव में जलस्तर 76.42 मीटर की गहराई तक गिर जाने की रिपोर्ट हाई है, तो खंड के गांव कुंडल का जलस्तर 39.55 मीटर तक गिर चुका है। खंड सिवानी जिले के खंडों में तीसरे नंबर पर जल स्तर गिराव में खड़ा दिखाई दे रहा है। खड़के 39 गांव में गरवा गांव का जलस्तर 52 मीटर की गहराई तक गिर चुका है तथा मतानी गांव का जलस्तर 32 मीटर से अधिक तक गिराव की रिपोर्ट मिली है। खंडके 7 गांव रेड जोन में आ चुके हैं।
कैरू खंड के 11 गांव रेड जोन में शामिल
कैरू खंड के गिरते जल स्तर पर बहल व लोहारू खंड गिरते जल स्तर की काली छाया पड़ी है। खंडके 11 गांव रेड जोन में आ चुके हैं। खंड में सर्वाधिक जल स्तर का गिराव देवराला में देखने को मिला है। देवराला का जलस्तर 48.55 का गिराव मिली रिपोर्ट में आया है तथा बिजलाणाबास गांव का जलस्तर 32 मीटर तक गिराव स्तर तक आ चुका है। खंड तोशाम के कुल 54 गांव की रिपोर्ट में एकमात्र गांव हसाण रेड जोन में दर्शाया गया है। गांव का जलस्तर 37.1 मीटर तक की गहराई तक पहुंचा है और 5 गांव गुलाबी रंग में दर्शाए गए। यानी ये गांव खतरनाक जोन के नजदीक हैं।
खंड भिवानी के 77 गांव की रिपोर्ट में गोलपुरा गांव का जलस्तर सर्वाधिक 32. 53 मीटर टकरा गया है तथा 3 गांव रेड जोन में पहुंच चुके हैं। वही 6 गांव रेड जोन के काफी नजदीक जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि समय रहते यदि लोगों को जागरूक नहीं किया गया और जल संरक्षण पर गंभीरता से सेमिनार और पंचायतें नहीं होती हैं तो वह दिन दूर नहीं कि सिंचाई ही नहीं पीने के पानी के लाले पड़ जाएंगे। ऐसा पंचायत विभाग को मिली रिपोर्ट दर्शा रही है।