पराली जलाने के मसले पर बढ़ी चौकसी, रेड जोन में प्रदेश के 351 गांव, सबसे ज्यादा फतेहाबाद के
प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं एकाएक शुरु हो जाती हैं। पराली जलाने की ये घटनाएं देश-विदेश में हरियाणा की बदनामी का सबब बनती है। इस बार प्रदेश सरकार ने समय रहते ही पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियां शुरु कर दी हैं
अमित रूखाया, फतेहाबाद : धान का सीजन आते ही प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं एकाएक शुरु हो जाती हैं। पिछले कई सालों से पराली जलाने की ये घटनाएं देश-विदेश में हरियाणा की बदनामी का सबब बनती है। लेकिन इस बार प्रदेश सरकार ने समय रहते ही पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर ना केवल तैयारियां शुरु कर दी हैं बल्कि इस मुहिम में किसानों को साथ लेने के लिए भी प्रयास आरंभ किए हैं।
वैसे तो पराली जलाने की घटनाएं लगातार पूरे प्रदेश में होती हैं, लेकिन प्रदेश सरकार ने 12 जिलों के 1104 गांवों को इस मामले में अपने रडार पर रखा है। इसमें भी 351 गांवों को रेड जोन में रखा गया है। हालांकि पिछले साल ऐसे हाट-स्पाट गांवों की संख्या 991 थी।
फतेहाबाद लगभग 93 रेड जोन गांवों के साथ इस सूची में सबसे पहले नंबर पर है। फतेहाबाद के अतिरिक्त हिसार, रोहतक, सोनीपत, जींद, अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, सिरसा सहित कई अन्य जिले भी सरकार की नजर में रहेंगे। कृषि विभाग के सूत्रों की मानें तो एक अक्तूबर से विभाग का आप्रेशन जीआरएपी (गे्रडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) फील्ड पर औपचारिक रूप से शुरु हो जाएगा।
7045 कस्टमर हायरिंग सेंटर में उपलब्ध होंगी 23 हजार मशीनें
इस बार प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए प्रदेश सरकार किसानों को सुविधाएं देने में भी जुट गई है। इसी के तहत इस बार प्रदेशभर में सात हजार कस्टमर हायरिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे जो पिछली बार महज 1345 ही थे।
इन कस्टमर हायरिंग सेंटर्स पर लगभग 23 हजार मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी ताकि किसान पराली प्रबंधन में इनका इस्तेमाल कर सके। इन कस्टमर हायरिंग सेंटर्स से एक किसान या किसानों का एक समूह पराली प्रबंधन के लिए मशीनों को किराये पर ले सकता है। पिछले साल औपचारिक
रूप से कुल पांच हजार के करीब मशीनरी ही उपलब्ध हो सकी थी।
1104 गांवों पर रहेगी नजर, 351 रेड जोन में तो 753 येलो जोन में शामिल किए गए
इस बार भी कृषि विभाग ने विभिन्न जिलों के उन गांवों को चिह्नित किया है जहां पर पराली जलाने की घटनाएं लगातार और ज्यादा आती रही हैं। इनमें 12 जिलों के कुल 1104 गांव शामिल हैं। इनमें 351 गांवों को रेड जोन तो 753 गांवों को येलो जोन में रखा गया है। येलो जोन में उन गांवों को रखा गया है जहां पर पिछले साल छह या छह से कम पराली जलाने की घटनाएं सामने आई। इसी तरह रेड जोन में उन गांवों को शामिल किया गया है जिनमें छह से अधिक घटनाएं दर्ज की गई थी। पिछले साल ऐसे गांवों की कुल 991 थी जिन पर नजर रखी गई थी। इस बार ये आंकड़ा भी बढ़ा है। फतेहाबाद में रेड जोन में कुल 93 गांव बताए गए हैं। इन गांवों पर सैटेलाइट के जरिये विशेष नजर रखी जाएगी।
इस बार पूरे प्रदेश में ही पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई हैं। सबसे अधिक रेड जोन के गांव फतेहाबाद जिले में हैं तो हम लोग भी अभी से ही जागरूकता अभियान शुरू कर रहे हैं ताकि किसानों को पराली जलाने से रोका जा सके। इसके अलावा कस्टमर हायरिंग सेंटर और अन्य प्रयास भी लगातार जारी रहेंगे।
राजेश सिहाग, उपकृषि निदेशक, फतेहाबाद ।