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Untold Story of Officers: विकल्प बहुत थे, सेवा के लिए वर्दी को चुना, अब लगता है सही कदम उठाया

Untold Story of Officers सिरसा पुलिस अधीक्षक ने कोरोना काल का एक मामला बताया है जिसमें बताया कि बिहार के मधुबन का युवक फरीदाबाद में था। कोरोना के दौरान परिवार विपति आई तो उसका परिवार के पास पहुंचना जरूरी था।

By Naveen DalalEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 07:29 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 07:29 PM (IST)
Untold Story of Officers: विकल्प बहुत थे, सेवा के लिए वर्दी को चुना, अब लगता है सही कदम उठाया
सिरसा एसपी ने बताई अपनी अनकही कहानी।

सिरसा, जागरण संवाददाता। बचपन में लोगों को कहते सुना कि काम आसानी से नहीं होते, तभी मन में धारण कर लिया कि सरकारी सेवा में जाउंगा। अध्ययन के दौरान ही कदम चिकित्सा जगत की ओर बढ़ गए और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की लेकिन बचपन की बातें मन को कचोट कर रही थी कि जनसेवा करनी है और इसका सबसे अच्छा माध्यम आइएएस व आइपीएस हो सकता है।

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लोग बने प्रेरणा के स्रोत

इसी सोच के साथ यूपीएससी की परीक्षा दी और 2014 में दूसरे मौके में ही सफल हो गए। उनकी रैंकिंग 194 रही। यहां उनके पास सेवा के कई विकल्प थे लेकिन उन्होंने आईपीएस सर्विस को चुना। यह कहानी सिरसा के युवा एसपी डा. अर्पित जैन की है। सिरसा के पुलिस अधीक्षक डा. अर्पित जैन का जो लंबे समय से हरियाणा पुलिस में जज्बे के साथ लोगों की प्रेरणा का स्रोत बन रहे हैं। 1984 में जन्में आईपीएस अर्पित जैन गांव की पगडंडी पर दौड़कर बड़े हुए है। शाजापुर जिले के गांव माक्सी में पैदा हुए डा. अर्पित जैन ने पहले भोपाल में शिक्षा ग्रहण की। बाद में वह बनारस चले गए।

पोस्टिंग सोनीपत में हुई

डा. अर्पित जैन ने बताया कि पुलिस सेवा में आने के बाद ट्रेनिंग के दौरान उनकी शादी 2015 में आईपीएस अंशु सिंगला से हो गई। उन्हें हरियाणा कैडर अलाट हो गया। पहली पोस्टिंग सोनीपत में हुई और यहां एडिशनल एसपी भी रहे। इसके बाद वे पौने दो साल तक डीसीपी फरीदाबाद रहे और करीबन 11 माह से सिरसा में पुलिस अधीक्षक का दायित्व संभाल रहे हैं।

तब लगा कि चयन सही था, वे पल नहीं भूल पाउंगा

कोरोना काल के दौरान उनकी पोस्टिंग फरीदाबाद में हुई। यहां कोरोना के मरीज बड़े स्तर पर थे। किसी को आने-जाने की अनुमति नहीं थी। तब वे हालात देखे हैं जब एक व्यक्ति के पिता की मौत हो गई, पत्नी अस्पताल में थी और एक छोटा बच्चा रो रहा था। अंतिम संस्कार के लिए कोई साथ नहीं था तब उनके पास फोन आया और उस रात का दृश्य भूल नहीं पा रहे जब मुश्किल से दाह संस्कार करवाया। बच्चे की मदद के लिए पुलिस कर्मचारी रहा। एक व्यक्ति के पिता की मौत हो गई और उसकी इकलौती संतान फरीदाबाद में फंसी हुई थी और उसे भोपाल जाने के लिए परमिट नहीं मिल रहा था। तब उसे भोपाल भेजने का प्रबंध किया। इसी तरह कई किस्से हैं जिसमें उन्होंने मदद की और अब मन कहता है कि आईपीएस बनने का फैसला अच्छा था।

मांगकर मोटरसाइकिल दिलाई, फिर पहुंचाया बिहार

पुलिस अधीक्षक ने कोरोना काल का ही एक और मामला बताया है जिसमें बताया कि बिहार के मधुबन का युवक फरीदाबाद में था। कोरोना के दौरान परिवार विपति आई तो उसका परिवार के पास पहुंचना जरूरी था। वाहन चल नहीं रहे थे। समस्या यह थी कि भेजें तो कैसे भेजें। फिर किसी के मोटरसाइकिल का प्रबंध किया और अपना नंबर दिया कि कहीं कोई रोके तो बात जरूर कराना।

हर मोड़ पर परेशानी मिलेगी, समाधान करना आना चाहिए

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि ऐसी कोई जगह नहीं जहां समस्याएं न हों। समस्याएं तो हर मोड़ पर आएंगी। अलग-अलग तरह की समस्याएं रहेंगी। बस आपको उनका समाधान आना चाहिए। पब्लिक का जुड़ाव जितना पुलिस के साथ होगा उतनी ही पुलिस सशक्त होगी, सूचना तंत्र मजबूत होगा और अपराध रूक पाएगा। जैसे-जैसे पुलिस जनता से दूर हुई है तो समस्याएं बढ़ीं है, घटी नहीं।

जो सुना था उससे अच्छा निकला सिरसा, अब नशे में मांग रहे सबका साथ, सबका हाथ

सिरसा कई दशकों से नशे की गिरफ्त में है। धीरे-धीरे नशा बढ़ता गया। चिंता समाज के स्तर पर नहीं हुई। अब जो हालात नशे के हैं वो अच्छे नहीं हैं। वह कह सकते हैं कि इस दलदल से निकलने के लिए साझे प्रयास ही एकमात्र विकल्प है। अकेले पुलिस नहीं लड़ सकती। पुलिस सप्लाई लाइन को बंद करने का प्रयास कर सकती है, जो नशा तस्कर है उन्हें जेल भेज सकती है, डिमांड नहीं रोक सकती। डिमांड रोकने का काम तो जागरूकता से आएगा। जब खाने वाले नहीं होंगे तो तस्कर बेचेंगे क्या? इसीलिए पुलिस हरेक दरवाजे को खटखटा रही है कि साथ दो मिलकर लड़ेंगे लेकिन नशा नहीं होने देंगे।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जब वो सिरसा नहीं थे तो उनकी सिरसा को एक सामान्य क्षेत्र होने की जानकारी थी। यहां आए तो पता चला कि लोग बहुत अच्छे हैं, अच्छे काम में साथ देते हैं। अब पुलिस भी नेक भावना से साथ मांग रही है। नि:संदेह लोग साथ देने लगे हैं। उन्होंने कहा कि समाज में जो अकेला रहने का दौर आया है वह अवसाद पैदा कर रहा है। उससे बाहर निकलना होगा। हमारे पूर्वजों की जो टोका-टोकी की आदत थी वो काफी अच्छी थी उससे बच्चा बिगड़ने से रुकता था। लेकिन कोई किसी को कुछ नहीं कहता।

किसान आंदोलन के कारण ऐलनाबाद चुनाव भी चुनौती से कम नहीं था

पुलिस अधीक्षक मानते है कि ऐलनाबाद उप चुनाव बड़ी चुनौती था और इसकी वजह किसान आंदोलन था। जहां सत्तारूढ़ दल के लोग जाते लोग विरोध करते। ऐसे में पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखना बहुत जरूरी था। सिरसा पुलिस ने इस मामले में काबिल-ए-तारीफ काम किया और बिना किसी विवाद के चुनौती का सामना कर शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव करवाया। उन्होंने कहा कि सिरसा पुलिस फ्रंट पर लड़ने के लिए सबसे उपयुक्त फोर्स है और सिपाही से लेकर अधिकारियों तक मनोबल इतना ऊंचा है कि हर समस्या को चट्टान की तरह झेल सकते है।


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