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हादसे में शरीर पैरालाइज, डॉक्टर बोले बेड पर कटेगी जिंदगी, हिसार की एकता टोक्यो पैरालंपिक में दिखाएंगी दम

Tokyo Paralympics में हरियाणा की एकमात्र महिला पैरा एथलीट हैं हिसार की एकता भ्याण। इनके संघर्ष की कहानी प्रेरणास्रोत है। डिस्कस थ्रो खेल को करियर बनाया। हादसे से पहले खेल उनका करियर था ही नहीं। अर्जुन अवार्डी पैरा एथलीट अमित सरोहा से मुलाकात के बाद जिंदगी बदल गई।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 02:51 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 02:51 PM (IST)
हादसे में शरीर पैरालाइज, डॉक्टर बोले बेड पर कटेगी जिंदगी, हिसार की एकता टोक्यो पैरालंपिक में दिखाएंगी दम
एकता की हिम्मत की सराहना प्रधानमंत्री मोदी मन की बात कार्यक्रम में भी कर चुके हैं।

वैभव शर्मा, हिसार। जिंदगी की तमाम कठिनाइयों को हराकर जीत के जुनून व कड़ी मेहनत के बल पर हिसार की एकता भ्याण ने टोक्यो पैरालंपिक में जगह बनाई है। इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हरियाणा से भाग लेने वाली वह एकमात्र पैरा एथलीट हैं। मगर एकता की कहानी दूसरे के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

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शरीर पैरालाइज्ड होने के बावजूद चिकित्सकों की सलाह थी कि अब एकता का जीवन बेड और व्हीलचेयर पर ही कटेगा। मगर एक अर्जुन अवार्डी ने उन्हें ऐसी प्रेरणा दी कि फिर से व्हीलचेयर पर हौसला बरकरार रख पाईं और क्लब थ्रो और डिस्कस थ्रो खेल को करियर बनाया और फिर कभी नहीं रुकीं। एकता मौजूदा समय में हिसार में बतौर सहायक रोजगार अधिकारी के पद पर भी कार्यरत हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक देश को दे चुकी हैं। एकता की हिम्मत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में एकता की कहानी को देश के साथ साझा किया था।

15 वर्ष पहले सड़क हादसे में शरीर हुआ था पैरालाइज्ड

एकता बताती हैं कि वर्ष 2003 में एक सड़क दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण उनके कंधे से नीचे पूरा शरीर पैरालाइज्ड हो गया था। तभी से वह व्हीलचेयर के माध्यम से चल पाती हैं। एक बार तो लगा कि सब कुछ खत्म हो गया। मगर एकता भ्याण ने हार नहीं मानी। दुर्घटना के कुछ वर्ष बाद उनकी मुलाकात अर्जुन अवार्डी खिलाड़ी अमित सरोहा से हुई। वह पैराएथलीट थे। इस मुलाकात के बाद एकता की जिंदगी मानो बदल गई। खेल कभी करियर का हिस्सा नहीं था फिर भी उन्हेंने खेल को आगे बढ़ने का जरिया बना लिया। यहीं से उनके जीवन में नया मोड़ आया। कड़ी मेहनत कर विपरीत परिस्थितियों को हराते हुए खेल में जीत हासिल करना शुरू किया।

यह पुरस्कार भी पा चुकी हैं

साल 2016 में एकता ने राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स खेल में स्वर्ण पदक जीता। साल 2018 में एकता भ्याण को दिव्यांगजन सशक्तीकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद कई पदक जीते और पैरालंपिक में जाने का लक्ष्य बनाया। उनका लक्ष्य दुबई में आयोजित हुई चैंपियनशिप में पूरा हुआ। यहां जीतने के बाद उनका टोक्यो पैरालंपिक के लिए कोटा तय हो गया। इसके साथ ही वर्ष 2018 में ट्यूनिशिया ग्रांडप्रिक्स में उन्होंने एक गोल्ड एक ब्रांज मैदल जीता था। वर्ष 2018 में उन्हें दिव्यांगता के साथ सशक्तिकरण में रोल माडल के रूप में राष्ट्रीय अवार्ड और महिला दिवस पर राज्य स्तरीय अवार्ड भी मिल चुका है।

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