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Unique Initiative: झज्जर में किसान शपथ लेकर बोले नहीं जलाएंगे पराली, चारे के रूप में होगा प्रयोग

पराली जलाने से दोहरे नुकसान का सामना करना पड़ता है। एक तो प्रदूषण फैलता है। जिसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। पिछले कई वर्षों से धान कटाई व दीपावली के दिनों में लोगों को स्माग का करना पड़ रहा है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 04:47 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 04:47 PM (IST)
Unique Initiative: झज्जर में किसान शपथ लेकर बोले नहीं जलाएंगे पराली, चारे के रूप में होगा प्रयोग
पराली जलाने से दोहरे नुकसान का सामना करना पड़ता है।

जागरण संवाददाता,झज्जर। झज्जर के गांव तलाव के किसानों ने दैनिक जागरण के अभियान पराली का समाधान है, समझदारी के साथ जुड़ कर पराली नहीं जलाने की शपथ ली। किसानों ने कहा कि वे पराली को जलाने की बजाय इसका इस्तेमाल पशु चारे के रूप में करेंगे। साथ ही दूसरों को भी पराली नहीं जलाने के प्रति जागरूक करेंगे। जिससे सभी के सहयोग से पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके। साथ ही जमीन को भी सुरक्षित रखा जा सके। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए किसानों को पराली नहीं जलानी चाहिए। वे पराली का प्रबंधन कर सकते हैं। चाहें पराली को पशु चारे के रूप में प्रयोग करें या फिर कहीं बेचकर पैसे कमाएं। दोनों ही विकल्प अच्छे हैं।

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पराली को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा

गांव तलाव निवासी देवेंद्र ने बताया कि उसने करीब दो एकड़ में धन की खेती कर रखी है। अभी धान की कटाई में कुछ समय शेष बचा हुआ है। जब भी वे धान की कटाई करेंगे तो बचने वाली पराली को एकत्रित कर लेंगे। इस पराली को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। पराली के साथ बाजरे या किसी अन्य चारे को मिलाकर इसका पशु चारे के रूप में अच्छे से उपयोग किया जा सकता है। साथ ही गांव के अन्य किसान भी पराली नहीं जलाते, बल्कि पराली को पशु चारे के रूप में प्रयोग करते हैं। उन्होंने दैनिक जागरण की मुहिम से जुड़ते हुए पराली नहीं जलाने की शपथ ली और शपथ पत्र भरा। इस दौरान देवेंद्र, राजेश कुमार, राजबीर, राहुल, बंटी कुमार ने पराली नहीं जलाने की शपथ ली। साथ ही उन्होंने कहा कि वे दूसरों को भी पराली नहीं जलाने के लिए भी जागरूक करेंगे।

पराली जलाने के कारण जमीन में मौजूद मित्र कीट व सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं

पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में भी समझाया गया। पराली जलाने से दोहरे नुकसान का सामना करना पड़ता है। एक तो प्रदूषण फैलता है। जिसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। पिछले कई वर्षों से धान कटाई व दीपावली के दिनों में लोगों को स्माग का करना पड़ रहा है। जिसके कारण सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसलिए लोग खुद भी प्रदूषण के प्रति जागरूक होने लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ पराली जलाने से जमीन में भी नुकसान होता है। पराली जलाने के कारण जमीन में मौजूद मित्र कीट व सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। जिस कारण जमीन की उपजाऊ शक्ति भी प्रभावित होती है। इसलिए किसानों को पराली जलाने की बजाए उसका किसी दूसरे काम में प्रयोग करना चाहिए।


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