राखी गढ़ी में हड़प्पाकाल का ऐसा संग्रहालय बनेगा कि दुनिया देखने आएगी : केन्द्रीय पर्यटन मंत्री
केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि राखी गढ़ी दुनिया की थ्योरी को बदल रहा है। दुनिया में एक बार फिर धारणा बदलेगी।
नारनौंद (हिसार) जेएनएन। केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि राखी गढ़ी दुनिया की थ्योरी को बदल रहा है। दुनिया में एक बार फिर धारणा बदलेगी। दुनिया के जिस भी व्यक्ति को राखी गढ़ी के इतिहास को ठीक से जानना है तो उसे यहां आना ही पड़ेगा। केन्द्रीय मंत्री ने यह बातें रविवार को गांव राखी गढ़ी के दौरे के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि बजट में अबकी बार 2500 करोड़ रुपये देश की पांच आइकोनिक साइट बनाने के लिए जारी किए गए हैं। उनमें राखी गढ़ी भी शामिल है। मैं भी इसी वजह से राखी गढ़ी को बारिकी से जानने के लिए आया हूं। सरकार यहां पर कई सुविधाएं खड़ी करेगी। इस म्यूजियम को अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम बनाया जाएगा। ये विजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का है और यहां पर हजारों की संख्या में दर्शक और शोध करने वाले भी आएंगे। राखी गढ़ी को एक बड़े पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। आज का दिन मेरे लिए महत्व पूर्ण है। राखी गढ़ी ने इतिहास बदला है, इस इतिहास को किताब के पन्नों में समेटना सरकार का काम है।
उन्होंने कहा कि इस गांव के लोग भी काफी समझदार हैं, जो इस संस्कृति को संजोए रखने के लिए आज भी उस समय की वस्तुओं को प्रयोग में ला रहे हैं। उन्होंने गांव के युवाओं से आग्रह किया कि वो पर्यटक सहयोगी या पर्यटक स्थल के कोर्स करें तो सरकार उनको मुफ्त में कोर्स करवाएगी। बाहर से आने वाले विदेशी पर्यटकों को गांव के युवा गाइड के रूप में मिलें। ऐसा मेरा प्रयास रहेगा।
राखी गढ़ी के टीलों पर पड़ी गंदगी के निपटान को लगेगा गैस प्लांट
सुनील मान, नारनौंद (हिसार) राखी गढ़ी के टीलों पर गंदगी, गोबर के ढेर व उपले देखकर केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल भड़क गए। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए कि वो इस गंदगी को हटाने के लिए उचित कदम उठाएं। साथ ही कहा कि यहां कोई गैस प्लांट लगाएं, ताकि उससे ग्रामीणों को फायदा पहुंच सके।
केन्द्रीय मंत्री रविवार दोपहर बाद करीब चार बजे राखी गढ़ी के टीले नंबर तीन पर पहुंचे। उन्होंने टीले का अवलोकन करते हुए कहा कि इस सभ्यता को खराब ना होने दें। टीला नंबर चार पर मिट्टी की अलग-अलग परतें देखकर सेल्फी ली और कहा कि ऐसी संस्कृति पूरे विश्व में कहीं नहीं दिख सकती। टीला नंबर दो पर खोदाई के दौरान मिले मिट्टी के खिलौने, पत्थर के मनके, वजन तोलने के बाट, पूजा करने के दीये व शेङ्क्षवग करने के धारदार पत्थर को देखा। उन्होंने दूर से टीले नंबर सात को देखा, जहां पर नर कंकाल निकले थे। उन्होंने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए कि वो कागजों में ना खेलकर मैदान में जाएं। पुनर्वास के लिए देरी नहीं होनी चाहिए। ग्रामीणों की जो भी समस्या होगी, उसको अधिकारी दूर करें।
टीले नंबर तीन व चार पर मौजूद घरों के बारे में उपायुक्त को निर्देश दिए हैं कि फरवरी के अंतिम सप्ताह तक ग्रामीणों से मिलकर इन्हें दूर कर दें। केन्द्रीय मंत्री ने म्यूजियम में जाकर उसका भी अवलोकन किया और वहां पर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने टीवी पर म्यूजियम की पूरी फिल्म दिखाई। मंत्री ने कहा कि जब भी इन टीलों पर खोदाई हो तो विभाग ड्रोन से उसकी डाक्यूमेंट्री बनाकर उसे यूजियम में दिखाने का काम करे।
पांच हजार वर्ष पुराने मिले थे अवशेष
राखी गढ़ी के रिसर्चर योगेश यादव ने बताया कि सन 2011 में प्रोफेसर वसंत ङ्क्षसधे के नेतृत्व में जीपीएस सर्वे हुआ था तो उसमें पता चला था कि ये साइट 550 हैक्टेयर में फैली है। पहले सात टीले चिह्नित किए गए थे। उसके बाद 9 टीले चिह्नित किए गए थे। खोदाई में घरों के अवशेष मिले थे जोकि पांच हजार वर्ष पुराने थे। कंकालों के डीएनए से पता चला है कि ये संस्कृति पांच हजार वर्ष से अधिक पुरानी है।