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उजाला स्वयं सहायता समूह का सारथी महिलाओं की बर्तन धोने में करेगा मदद

जागरण संवाददाता हिसार गांव बूरे में ग्रामीण महिलाओं ने सारथी नाम से डिश वॉश लिक्विड

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 07:07 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 07:07 AM (IST)
उजाला स्वयं सहायता समूह का सारथी महिलाओं की बर्तन धोने में करेगा मदद
उजाला स्वयं सहायता समूह का सारथी महिलाओं की बर्तन धोने में करेगा मदद

जागरण संवाददाता, हिसार : गांव बूरे में ग्रामीण महिलाओं ने सारथी नाम से डिश वॉश लिक्विड तैयार किया है। गांव की ही तीन महिलाओं द्वारा तैयार किया गया यह लिक्विड अब लांच हो चुका है और आसपास के गांव में दुकानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। महिलाओं के इस कदम को आत्मनिर्भरता का एक उदाहरण माना जा रहा है। दरअसल लॉकडाउन में सरकार से लेकर प्रशासन तक की यही मंशा है कि लोग आत्मनिर्भर बनें। अपना कुछ व्यवसाय कर तरक्की करें। इस बात को सुना तो सबने मगर गांव बूरे की ग्रामीण महिलाओं ने इसे जीवन में भी आजमा लिया है। राजस्थान से हरियाणा में बहु बनकर आईं मंजू बीए पास हैं और अब बीटेक की पढ़ाई करने जा रही हैं। वह बताती हैं कि लॉकडाउन में कुछ करने को था नहीं, ऐसे में राज्य आजीविका मिशन के तहत प्रेरित करने के लिए गांव में अधिकारी आते थे। उन्होंने प्रेरित किया तो मैंने, गांव की ही अनीता और रजनी के साथ मिलकर सोचा कि डिश वॉश लिक्विड तैयार करें। हांसी में एक फैक्ट्री से डिश वॉश बनाने की ट्रेनिग भी ली। हम कैसे व्यवसाय कर सकते हैं, किस प्रकार से आय व्यय को संभाला जाता है जैसी जानकारी आजीविका मिशन के कार्यालय से मिली। यह सब जानकारी लेने के बाद उजाला स्वयं सहायता समूह बनाया और दिल्ली से लिक्विड के लिए कच्चा माल मंगा कर प्रोडक्शन शुरू किया। मंजू ने बताया कि उन्होंने बुधवार को सारथी नाम से अपना डिश वॉश लिक्विड लांच भी किया है। जिसमें मिशन के प्रोजेक्ट अफसर वीरेंद्र कुमार उपस्थित रहे। अब इस प्रोडक्ट को गांव-गांव तक पहुंचाने का समूह ने लक्ष्य रखा है।

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स्वयं सहायता समूह बनाकर कर रहे व्यवसाय

मंजू ने बताया कि यह काम अभी तीन महिलाएं ही कर रही हैं, अगर बाजार से अच्छा रेस्पांस आया तो गांव की और भी महिलाओं को इसमें जोड़ा जाएगा। अभी तक पायलट के तौर पर 500 लीटर लिक्विड तैयार किया है। सारथी डिश वॉश को बाजार में 60 रुपये की कीमत में उपलब्ध कराया जा रहा है। अभी तक गांव में स्वयं सहायता समूहों के आठ ग्रुप कार्यरत हैं, जिसमें 280 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

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व्यवसाय शुरू करने की वजह

स्वयं सहायता समूह के माध्यम से व्यवसाय करने को लेकर मंजू बताती हैं कि उन्होंने सोचा कि एक महिला आगे बढ़ेगी तो गांव में और भी महिलाओं को आगे बढ़कर अपने पैरों पर खड़े होने का मौका मिलेगा। जैसे-जैसे हमारा काम बढ़ेगा, हम ग्रामीण महिलाओं को अधिक से अधिक रोजगार देने की योजना पर काम कर रहे हैं।


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