74 साल बाद इटली के कब्रिस्तान से खुला हरियाणा के दो जवानों की मौत का राज, जानें कैसे
द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए थे हरियाणा के दो जवान अब 74 साल बाद इटली में मिले अवशेषों से शिनाख्त के बाद भारतीय सेना के अधिकारियों ने घर पहुंचकर दी परिवार वालों को जानकारी
रोहतक [ओपी वशिष्ठ] द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सेना के दो हरियाणवी जवान लापता हो गए थे। इनमें एक थे रोहतक के नौगांवा निवासी हरिसिंह पंघाल और दूसरे हिसार के नगथला निवासी पलू राम। बहुत दिनों तक कोई पता नहीं चला तो दोनों के परिवार वालों ने मान लिया कि या तो वे मारे जा चुके हैं, या कहीं विदेश में बस गए हैं। दोनों के बारे में जानकारी भी न मिलती यदि इटली के फ्लोरेंस के समीप पोगियो अल्टो में 1996 में मानव हड्डियां न पाई जातीं। उनकी 2010 में जांच की गई। 2012 में डीएनए व मानववंशीय परीक्षण किए गए। जो रिपोर्ट आई उसके अनुसार ये अवशेष लगभग 20 साल की उम्र के गैर-यूरोपीय लोगों के थे। इसके बाद युद्ध के समय और स्थान से संबंधित द्वितीय विश्व युद्ध कब्र आयोग से संदर्भित डेटा और गायब व्यक्तियों की सूची देखी गई। तब पता चला कि अवशेष जिन दो सैनिकों के हैं उनमें से एक हरियाणा के रोहतक के हरि सिंह और दूसरा हिसार के पलू राम के हैं।
दोनों 13वें फ्रंटियर राइफल्स की चौथे बटालियन के जवान थे। उनको जर्मन इंफेंट्री डिविजन के खिलाफ 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध में पोगियो अल्टो की लड़ाई में लगाया गया था। अब 74 साल के लंबे अंतराल के बाद भारतीय सेना के अधिकािरयों ने उनके घर पहुंचकर बताया कि हरिसिंह और पलू राम मित्र राष्ट्रों की तरफ से जर्मनी के खिलाफ लड़ते हुए इटली में शहीद हुए थे। जिस कब्रिस्तान में वे दफनाए गए थे, वहीं की मिट्टी उनके परिवार वालों को इटली सरकार जल्द सौंपने जा रही है। द्वितीय विश्वयुद्ध में इंग्लैंड ने मित्र राष्ट्रों की तरफ से धुरी राष्ट्रों के खिलाफ लड़ रहा था। धुरों राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी कर रहा था और मित्र राष्ट्रों का नेतृत्व अमेरिका। भारत पर उस समय इंग्लैड का शासन था, इसलिए भारतीय सैनिक भी मित्र राष्ट्रों की सेना का हिस्सा थे।
हरिसिंह को मिला था वार मेडल
रोहतक का नौगांवा गांव अब झज्जर जिले में आता है। वहां रहने वाले उदय सिंह के बेटे रणबीर सिंह बताते हैं कि उनके पिता सेना में थे। उन्होंने बताया था कि छोटे भाई हरिसिंह भी सेना में थे,लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उनका पता नहीं चला। बाद में मेरे चाचा को वार मेडल तो मिला, लेकिन उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। हरिसिंह के नाम वाला यह मेडल आज भी उनके पास घर में मौजूद है। लेकिन उसके चाचा हरिसिंह गायब हुए या शहीद हुए, इसका कोई प्रमाण नहीं था। रणबीर सिंह ने बताया कि हाल ही में जिला सैनिक कल्याण बोर्ड की तरफ से उन्हें जानकारी दी गई कि उनके चाचा हरिसिंह इटली में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। बाद में सिविल अस्पताल और जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारियों ने घर पहुंचकर हरिसिंह के बारे में जानकारी हासिल की।
ये रखी मांग, अधिकारियों ने दिया आश्वासन
अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि इटली में जहां हरिसिंह को कब्र में दफनाया गया है, वहां की मिट्टी उन्हें सौंपी जाएगी। रणबीर सिंह ने कहा कि उन्हें गर्व है कि चाचा गायब नहीं हुए थे बल्कि जर्मन सेना से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। सरकार से मांग है कि उनके परिवार को शहीद परिवार का दर्जा मिलें और शहीद परिवार को दी जाने वाली सुविधाएं भी उपलब्ध करवाएं। गांव के ही एक अन्य फौजी 87 वर्षीय होशियार सिंह ने बताया कि हरिसिंह उनसे पांच-छह साल बड़े थे। सेना में भर्ती होने के बाद केवल एक बार घर आए थे, इसके बाद वापस नहीं लौटे।
पलू राम की शहादत पर परिवार को गर्व
हिसार के गांव नगथला निवासी रामजी लाल बताते हैं कि पलूराम उनके दादा के सगे भाई थे। उनके दादा पलू राम 19 साल की उम्र में सेना में भर्ती हो गए थे। वह अविवाहित थे और द्वितीय विश्व युद्ध में गायब हो गए थे। जब हिसार कैंट से सेना के अधिकारियों ने घर आकर बताया कि पलू राम के अवशेष इटली के कब्रिस्तान में मिले है, जिनकी जांच के बाद पता चला कि पलू राम शहीद हो गए थे। रामजी लाल के बेटो रमेश (जो पलू राम के पौत्र हैं) ने बताया कि दादा के बारे में अक्सर परिवार में चर्चा होती थी, हम मानते भी थे कि युद्ध में वह शहीद हो गए होंगे, लेकिन पुष्टि नहीं हो पाती थी।