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बस में लड़कों की पिटाई कर प्रचलित हुई दो बहनों का तीन साल बाद फिर खुला केस

2014 की घटना देशभर में चर्चित रही थी। बहनों ने छेड़छाड़ का आरोप लगा पिटाई की थी। मामला झूठा निकला। 2017 में तीनों आरोपितों को बरी कर दिया गया। वकील ने बहनों पर कार्रवाई की अपील की।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 01:09 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 01:09 PM (IST)
बस में लड़कों की पिटाई कर प्रचलित हुई दो बहनों का तीन साल बाद फिर खुला केस
बस में लड़कों की पिटाई कर प्रचलित हुई दो बहनों का तीन साल बाद फिर खुला केस

रोहतक [विनीत तोमर] देश भर में चर्चित रहा बस में दो बहनों से छेड़छाड़ के मामला करीब तीन साल बाद फिर से खुला है। दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता ने दोनों बहनों पर कार्रवाई के लिए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट में अपील दायर की है। अपील में कहा गया है कि दोनों बहनों ने कानून का गलत फायदा उठाया था। इससे समाज में गलत मैसेज गया है। इस प्रकरण के बाद हकीकत में जो लड़की पीडि़त होगी, उस पर भी लोग विश्वास नहीं करेंगे। इसलिए दोनों पर कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 24 मार्च की तारीख दी है।

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उल्लेखनीय है कि 28 नवंबर 2014 को सोनीपत के एक गांव की रहने वाली दो बहनें हरियाणा रोडवेज की बस में सफर कर रही थीं। भालौठ गांव के पास दोनों ने तीन युवकों को पकड़कर पीटना शुरू कर दिया था। आरोप था कि युवकों ने उनके साथ बदसलूकी है। पूरी घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था और उन्हें बहादुर बहनों का नाम दे दिया गया था। पुलिस ने केस दर्ज कर तीनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया।

मामले में एसआइटी का भी गठन हुआ था और बस में सवार करीब 40 लोगों के बयान लिए गए। हालांकि युवक शुरू से ही आरोपों को खारिज कर रहे थे। उनका कहना था कि छेड़छाड़ नहीं की, सीट को लेकर झगड़ा हुआ था। 4 मार्च 2017 में एसीजेएम हरीश गोयल की कोर्ट ने तीनों आरोपितों को बरी कर दिया था। उधर, प्रदेश सरकार ने भी दोनों बहनों को सम्मानित करने का फैसला लिया था, लेकिन जैसे-जैसे केस की सच्चाई सामने आने लगी तो सम्मानित करने का फैसला रोक लिया था।

सुनवाई नहीं हुई तो सुप्रीम कोर्ट तक जाउंगा: डा सुभाष विजयरन

मूलरूप से नागलोई के रहने वाले डा. सुभाष विजयरन दिल्ली हाई कोर्ट में प्रेक्टिस करते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले एसीजेएम ईशा खत्री की कोर्ट में अपील दायर की। इसमें अपील की गई कि दोनों बहनों ने झूठा आरोप लगाया था। यह कोर्ट में भी साबित हो चुका है। जिस तरीके से उन्होंने आरोप लगाया था इससे समाज में गलत मैसेज गया है। कानून का गलत फायदा उठाया गया। ऐसा करने वाली दोनों बहनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। अधिवक्ता की यह अपील एसीजेएम कोर्ट से खारिज हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट में रिवीजन फाइल कर दी। कोर्ट ने रिवीजन स्वीकार कर दोनों बहनों को समन भी जारी कर दिए हैं। रिवीजन पर सुनवाई के लिए अब कोर्ट ने 24 मार्च की तारीख दी है। उधर, अधिवक्ता का कहना है कि तीनों युवकों से उनका कोई संबंध नहीं है। नागरिक होने के नाते यह अपील दायर की गई है। यदि कोर्ट इसे रिजेक्ट करती है तो वह पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी अपील दायर करेंगे।

यह बोले कानूनविद

कानून के जानकारों का कहना है कि किसी भी मामले में फैसला आने के 30 दिन बाद अपील हो सकती है। अपील भी वह व्यक्ति कर सकता है, जो उस केस से जुड़ा हो। कोई बाहरी व्यक्ति अपील नहीं कर सकता। फिर भी अपील दायर की गई और उस पर कोर्ट ने दोनों बहनों को समन भी जारी कर दिए। यह खारिज होनी चाहिए थी।

---इतने दिन बाद इस तरह की अपील दायर करने का कोई औचित्य नहीं है। एसीजेएम कोर्ट ने अपील खारिज कर दी थी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने दोनों बहनों को समन जारी किए गए हैं। अब 24 मार्च को होने वाली सुनवाई में इसका जवाब दिया जाएगा।

- पीयूष गक्खड़, दोनों बहनों के अधिवक्ता।


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