हो जाएं सावधान: स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल पड़ सकता है भारी, मोबाइल रेडिएशन से नपुंसकता
मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल आपको भारी पड़ सकता है। एक शोध में खुलासा हुआ है कि माेबाइल रेडिएशन से नपुंसकता का खतरा है।
रोहतक, [केएस मोबिन]। यदि आप भी मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं। मोबाइल फोन के रेडिएशन से होने वाले नुकसान के बारे में एक शोध में बड़ा खुलासा हुआ है। स्मार्टफोन के दम पर 'ओवर स्मार्ट' दिखने की कोशिश करने वाले युवाओं के लिए यह खास तौर पर बुरी खबर है। मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन पुरुषों में नपुंसकता ला रहा है और प्रजनन क्षमता को घटा रहा है।
चूहों पर किया शोध, रेडिएशन के संपर्क में रखे चूहों के शुक्राणु बनाने वाले अंग हुए क्षतिग्रस्त
चूहों पर किए गए एक शोध में सामने आया है कि मोबाइल पर अधिक समय बिताने वाले पुरुषों के शुक्राणु बनाने वाले अंगों के कई ऊतक क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। यही नहीं, शुक्राणु भी क्षतिग्रस्त अवस्था में तैयार हो रहे हैं। लाखनमाजरा के राजकीय महिला महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डा. प्रदीप सिवाच ने 24 चूहों पर यह शोध किया।
रोहतक के लखनमाजरा के राजकीय महिला महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डा. प्रदीप सिवाच ने किया शोध
छह महीने चले शोध में पांच से छह सप्ताह की आयु के 40 से 50 ग्राम के मेल स्विस एल्बीनो चूहों का इस्तेमाल किया गया। 23 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच रोजाना दिन में दो बार तीन-तीन घंटे 12 चूहों को सेलफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमेग्नेटिक रेडिशन के बीच व 12 अन्य चूहों को सामान्य परिस्थिति में रखा गया।
छह महीनों तक चली इस प्रक्रिया के बाद चूहों के शुक्राणु बनाने वाले अंगों के हिस्सों के उत्तकों को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से जांचा गया। परिणाम चौंकाने वाले रहे। रेडिएशन के संपर्क में रहे चूहों के शुक्राणु बनाने वाले अंगों के कई ऊतक क्षतिग्रस्त पाए गए। शोधकर्ता प्रदीप का कहना है कि चूहों की शारीरिक संरचना काफी हद तक इंसानों से मिलती-जुलती है। इस वजह से चूहों को शोध में इस्तेमाल किया।
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भारत में कई सौ गुना अधिक उत्सर्जित हो रहा रेडिएशन
विशेषज्ञों के मुताबिक विकसित देशों के मुकाबले भारत के मोबाइल फोन 50 से 100 गुना अधिक इलेक्ट्रोमेग्नेटिक रेडिएशन फैला रहे हैं।
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'' मोबाइल रेडिएशन पर हुए शोध के परिणाम गंभीर हैं। काम के लिए या आदतन आज की पीढ़ी मोबाइल पर ज्यादा समय बिता रही है। इस ओर गंभीर ङ्क्षचतन की जरूरत है। मोबाइल रेडिएशन को कम करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
- डा. विनिता शुक्ला, शोध मार्गदर्शक प्रोफेसर जीव विज्ञान विभाग, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक।
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