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हवाई जहाज को उड़ाने का बेटी ने देखा सपना, किसान पिता ने दांव पर लगा दी जीवनभर की पूंजी

आखिर वह पल भी आया जब बेटी प्रियंका कठिन ट्रेनिंग की बाधा पार कर पायलट की ड्रेस में सामने खड़ी मिली। पिता-माता की खुशियों के तो क्या कहा जाए सारा गांव ही गर्व से झूम उठा

By manoj kumarEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 06:45 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 02:39 PM (IST)
हवाई जहाज को उड़ाने का बेटी ने देखा सपना, किसान पिता ने दांव पर लगा दी जीवनभर की पूंजी
हवाई जहाज को उड़ाने का बेटी ने देखा सपना, किसान पिता ने दांव पर लगा दी जीवनभर की पूंजी

फतेहाबाद [मणिकांत मयंक] पिता और बेटी का रिश्‍ता बेहद खास होता है। मगर हरियाणा में एक पिता ने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया। फतेहाबाद जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर है गांव सूलीखेड़ा। यहां के प्रगतिशील किसान की इकलौती बेटी प्रियंका। जब वह बाल अवस्था में थी तो खुले आसमान की ओर घंटों टकटकी लगाए देखा करती थी। उस दरम्यान अगर कोई हवाई जहाज गुजर रहा होता तो उसकी खुशी के कहने ही क्या? रोम-रोम पुलकित। बालमन कौतूहल से भर जाता था। घर पहुंच अपने पिता सूरत ङ्क्षसह बेनीवाल से हवाई जहाज की उड़ान से लेकर तमाम अन्य सवाल कर जाती।

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एक ही सांस में। दसवीं पास पिता उसे अपनी जानकारी के मुताबिक उसे बताते। अगले दिन फिर वह इस प्रतीक्षा में रहती कि कब कोई प्लेन गुजरे ...। अब उसके दिलोदिमाग पर छा गया था हवा में जहाज उड़ाने का सपना ...। प्रियंका बताती हैं कि घर आकर वह अपने पिता से पायलट बनने की बात कहती थी। बाल कौतुक से उपजे बेटी के इस जुनून की गहराई को प्रगतिवादी सोच के पिता ने गंभीरता से लिया।
पर खेती कर गुजारा करने वाले पिता के लिए बेटी का सपना पूरा करना इतना आसान भी नहीं था। हां, बेटा-बेटी एक समान की नई पीढ़ी के माता-पिता वाली प्रगतिवादी सोच से निकला हौसला जरूर था। सो, उन्होंने ठान लिया कि बेटी ने जो सपने बुने हैं उन्हें हर हाल साकार करने हैं। प्रियंका के पिता सूरत सिंह बेनीवाल बताते हैं कि बेटी को पायलट का कोर्स करवाने के मद में आने वाला खर्च सुनकर एकबार तो  उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। कारण कि आजीविका जमीन की उपज से ही चल रही थी।

दंपती ने तय किया बेटी को पायलट बनाने के लिए बैंक से लोन लिया जाए। लोन मिल गया। किस्त भरते रहे। आखिर वह पल भी आया जब बेटी प्रियंका कठिन ट्रेनिंग की बाधा पार कर पायलट की ड्रेस में सामने खड़ी मिली। पिता-माता की खुशियों के तो क्या कहा जाए, सारा गांव ही गर्व से झूम उठा था। प्रगतिशील माता-पिता से हौसले के पंख लिये प्रियंका अब आसमान नाप रही है। वह बेंगलुरू में एक निजी कंपनी इंडिगो के जहाजों को उड़ा रही है। 


प्रिंयका अपने माता-पिता के साथ

पिता बचपन से ही बढ़ाते रहे हौसला
पायलट प्रियंका बताती है कि उसके पापा ने शुरू से ही उसकी हर संभव मदद की। उन्होंने बताया कि उसने साल 2007 में सोनीपत में स्थित हाई स्कूल में बारहवीं की परीक्षा पास की। इसी वर्ष इंडियन एविएशन बोर्ड के एग्जाम में अच्छी रैंकिंग हासिल की। इसके बाद देहली फ्लाईंग क्लब से अपने सपने को साकार करने की शुरूआत की। इसके बाद डब्ल्यूसीसी एक्सेल एयर एवियेशन फ्लाईंग स्कूल फिलिपिंस से अपना प्रशिक्षण पूर्ण किया। उसने सात चरणों की कठिन परीक्षा और प्रेक्टिकल व साक्षात्कार को बखूबी उतीर्ण करते हुए इंडिगो एयरलाइंस में बतौर पायलट नियुक्ति हासिल की है।


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