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कोरोना को हराने के लिए जान की परवाह किए बिना हिसार के ये युवा दिन-रात करते रहे सेवा

युवा दिवस पर विशेष कोरोना काल में हिसार के युवाओं ने इसी तरह मिसाल कायम की। कोरोना काल में जहां अपनों ने अपनों से मुंह मोड़ लिया था वहीं कुछ ऐसे युवा हैं जिन्होंने अपनी सेवा से कोरोना पीड़ितों को मरहम लगाया। अपनी जान की परवाह इन्होंने नहीं की।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 08:30 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 08:30 AM (IST)
कोरोना को हराने के लिए जान की परवाह किए बिना हिसार के ये युवा दिन-रात करते रहे सेवा
युवाओं के हौंसलों से पस्त हो गया था कोरोना, आज भी सेवा को रहते हैं तत्पर

चेतन सिंह, हिसार : स्वामी विवेकानंद के विचार युवाओं को हमेशा प्रेरित करते हैं। उनका कथन था कि उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। कोरोना काल में हिसार के युवाओं ने इसी तरह मिसाल कायम की। कोरोना काल में जहां अपनों ने अपनों से मुंह मोड़ लिया था वहीं कुछ ऐसे युवा हैं जिन्होंने अपनी सेवा से कोरोना पीड़ितों को मरहम लगाया। अपने व अपने परिवार की जान की परवाह इन्होंने नहीं की। खुद का पैसा लगाया, खुद व अपने परिवार जान जाेखिम में डाली मगर निरंतर कोरोना संक्रमितों की सेवा करते रहे।

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मगर कुछ युवा ऐसे हैं जो अपने कामों से दूसरों को प्रेरित करते हैं। किसी ने कोविड वार्ड में जाकर मरीजों को भोजन करवाया, किसी ने कोविड मरीजों के घर-घर जाकर खाना बांटा ताे किसी ने बेसहारा भूखे प्यासे गरीब लोगों व बेसहारा पशुओं के लिए भोजन व चारे का प्रबंध किया। ऐसे और भी कई युवा हैं जिन्होंने निस्र्वाथ भाव से अपनी जमा पूंजी से सेवा की।

1. संदीप सावंत : संदीप सावंत बस स्टैंड के सामने पेट्रोल पंप चलाते हैं। इन्होंने अपने बचत खाते की सारी राशि कोरोना मरीजों की सेवा में लगा दी। अपनी जान की भी परवाह ना करते हुए सिविल अस्पताल के आइसाेलेशन वार्ड तक मरीजों के लिए खाना पहुंचाया। इन जगहों पर जाने पर स्टाफ भी कतराया करता था मगर संदीप व उसकी टीम ने एक-एक मरीज को कोविड के दौरान तीनों टाइम का भोजन पहुंचाया। इतना ही नहीं भोजन के साथ-साथ आक्सीमीटर, आक्सीजन सिलेंडर और दवाइयां निश्शुल्क पहुंचाने का काम किया। संदीप सावंत की टीम में 17 लोग थे जिन्होंने दिन-रात कोविड मरीजों की सेवा की।

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2. विनेश नागपाल: कंप्यूटर सेंटर पर टीचिंग करते हैं मगर जब भी सेवा करना मौका आता है पीछे नहीं हटते। विनेश नागपाल की टीम ने रेडक्रास के साथ मिलकर कोरोना काल में काम किया। मरीजों को खाना, आक्सीजन सिलेंडर और दवाएं घर-घर तक पहुंचाई। इतना ही नहीं हर चौक-चौराहों पर कोरोना के प्रति लोगों को लगातार जागरूक किया। विनेश द इंस्पायर इंडिया संस्था चलाते हैं इनकी संस्था के सदस्यों ने कोविड काल में रक्त की कमी नहीं होने दी। जब लोग घर से बाहर निकलने में कतराते थे तब इनकी टीम रक्तदान करती थी और खाना होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों तक खाना पहुंचाती थी।

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3. सुरेंद्र असीजा: हारे का सहारा संस्था चलाने वाले सुरेंद्र असीजा ने कोरोना काल में सूखा राशन बांटा। इनकी टीम में युवाओं की पूरी फौज है। करीब 80 सदस्यों की टीम ने झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे परिवारों की सेवा की उन तक राशन पहुंचाया। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में निरंतर काम किया। इतना ही नहीं इन्होंने हर नाके पर पुलिस कर्मियों तक भी चाय व खाना पहुंचाया। इतना ही नहीं कोविड के दौरान जो कैदी संक्रमित हुए उनके लिए तीन धर्मशालाओं में आइसोलेशन सेंटर बनाए गए। इन सेंटरों में भोजन की व्यवस्था भी हारे का सहारा संस्था ने की। सुरेंद्र असीजा ने कहा कि वह हर समय सेवा को तैयार हैं।

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4. साहिल अग्रवाल : श्री श्याम मिलन संस्था चलाने वाले साहिल अग्रवाल की सेवा सबको प्रेरित करती है। कोविड में इन्होंने व इनकी संस्था ने रोजाना पांच हजार लोगों तक खाना पहुंचाया। नगर निगम के साथ मिलकर ऐसे परिवारों तक भोजन पहुंचाया जिनका कोरोना में काम बंद हो गया था। यह ऐसे परिवार थे रोजाना मेहनत मजदूरी करके पेट भरा करते थे। ऐसे में संस्था ने इन परिवारों के पेट भरने का जिम्मा उठाया। साहिल की टीम में 20 सदस्य हैं यह माह में एक बार संर्कीतन करते हैं और उसी से पैसा एकत्रित कर सेवा के कामों में लगाते हैं। साहिल का कहना है आगे भी जरूरत पड़ेगी तो वह पीछे नहीं हटेंगे।

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5. गौरव सिंगला : कोरोना काल में चार रोटी आचार मिशन चलाकर गौरव सिंगला ने मनुष्यों के साथ-साथ बेसहारा पशुओं की भी मदद की। गौरव सिंगला ने खुद ई-रिक्शा चलाकर भूखे प्यासी गोमाता की सेवा करते रहे। वह रोजाना 250 से 300 गायों की सेवा करते थे। सुबह के समय इन्होंने गो माता की सेवा की इसके बाद यह मरीजों को खाना बांटने के काम पर लग जाते थे। गौवर ने चार रोटी आचार मुहीम शुरू की और जो भी कोरोना में इनको भूखा प्यासा परिवार मिलता वह उनको खाना उपलब्ध करवाते थे। गौरव के काम की प्रशंसा शहरभर में हुई। आज भी गौरव सामाजिक कार्यों के हमेशा तत्पर रहते हैं।


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