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पानी बचाने के लिए तीन सीनियर सिटीजन ने शुरू किया ऐसा काम, हर कोई बोला- वाह भाई वाह Hisar news

जल संरक्षण के लिए दूसरों को प्रेरणा देने वाली यह कहानी है तीन सीनियर सिटीजन की है। जिन्होंने अपने प्रयासों से एक बरसात में 12 लाख से अधिक लीटर जल संग्रहण किया। आप भी कर सकते हैं ये

By manoj kumarEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 01:56 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 03:18 PM (IST)
पानी बचाने के लिए तीन सीनियर सिटीजन ने शुरू किया ऐसा काम, हर कोई बोला- वाह भाई वाह Hisar news
पानी बचाने के लिए तीन सीनियर सिटीजन ने शुरू किया ऐसा काम, हर कोई बोला- वाह भाई वाह Hisar news

हिसार [पवन सिरोवा] बरसात में जलभराव होने की समस्या का समाधान न होने पर हर कोई सरकारी तंत्र को दोष देता है तो कोई अधिकारियों को। देना बनता भी है क्‍योंकि जिम्‍मेदारी से पल्‍ला झाड़ लेना आक्रोश पैदा करता है। हिसार निवासी तीन रिटायर्ड कर्मी भी अफसरों से अर्बन एस्‍टेट में बनी समस्‍या के समाधान के लिए मिले। समाधान की उम्मीद नहीं दिखी, तो रिटारयमेंट के बाद अर्बन एस्टेट में जलभराव से नीजात पाने के लिए अपने स्तर पर समाधान के खुद ही प्रयास शुरू किए।

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शुरूआत उन्‍होेंने अपने घर के पास बने पार्क से की। साल 2018 में साश्वत पार्क में तीन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए। प्रयोग ऐसा सफल हुआ कि बरसात में सात दिन तक पार्क में रहने वाला जलभराव मात्र 12 घंटे में खत्म हो गया। बरसाती पानी सीवरेज या ड्रेनेज में जाने की बजाए उसे बच्‍चों के भविष्य के लिए भूमि में सुरक्षित कर लिया।

जल संरक्षण के लिए दूसरों को प्रेरणा देने वाली यह कहानी है अर्बन एस्टेट के तीन सीनियर सिटीजन बिजली बोर्ड से रिटायर्ड 64 वर्षीय सिविल इंजीनियर विजय प्रभाकर, 72 वर्षीय एचएयू से रिटायर्ड वैज्ञानिक सतीश कालरा और 70 वर्षीय डीएन कालेज से रिटायर्ड प्रो. हरीश जुनेजा की है। जिन्होंने अपने प्रयासों से एक बरसात में 12 लाख से अधिक लीटर जल संग्रहण किया।

उनका यह कार्य अब दूसरे क्षेत्रवासी उनका प्रोजेक्ट देख और उनसे सीखकर अपने पार्कों में भी शुरू कर रहे है। तीनों सीनियर सिटीजन अब दूसरे को सीख देने और अपने कल के लिए जीवन का आधार जल को सुरक्षित रखने के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए है। तीनों सीनियर सिटीजन ने कहा कि जल जीवन है। जो तेजी से खत्म हो रहा है। हमारे जीवन के आधार जल को बना तो नहीं सकते लेकिन बचा तो सकता है। इसलिए हमने जल की बर्बादी रोकने और उसके संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए और उनका रखरखाव कर रहे है। इसलिए तीनों ने मिलकर जल संरक्षण की मुहिम शुरु की और उसे जारी रखने का संकल्प लिया।

जल संग्रहण की ऐसे शुरु हुई मुहिम

बिजली बोर्ड से रिटायर्ड सीविल इंजीनियर विजय प्रभाकर ने जल संरक्षण के लिए साल 2013 में विचार विमर्श शुरू किया। सीनियर सिटीजन का वानप्रस्थ ग्रुप है। तीनों उसके सदस्य है। उसी से तीनों ने जल संरक्षण की प्लानिंग की और काम शुरू किया। सिविल इंजीनियर ने देश में भूजल स्तर का आंकड़ा जुटाया। देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे राज्यों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रयोग होने वाली रणनीति देखा और उसपर होमवर्क किया। उसके बाद हिसार में रेनवाटर हार्वेस्टिंग के तहत काम शुरु किया।


अर्बन एस्‍टेट में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम लगाते हुए कर्मी

एक बरसात में बचाया 12 लाख लीटर से अधिक पानी

सिविल इंजीनियर विजय प्रभाकर ने बताया कि एक पाइप से करीब 6 घंटे में 1 लाख लीटर पानी को भूमि में संरक्षित किया गया है। 12 हार्वेस्टिंग सिस्टम से एक बरसात में 12 लाख लीटर से अधिक जल भूमि में संरक्षित किया गया। इसमें केवल पार्कों का पानी नहीं है बल्कि सड़क से बहकर पार्क में पहुंचने वाला पानी भी शामिल है।

हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए खोदा गड्ढा तो पानी के चौवा के स्तर की मिली जानकारी
. साश्वत व हुडा पार्क में : 14-14 फुट पर
. शास्त्री पार्क : 18 से 20 फुट

4 पार्कों में लगाए 12 हार्वेवेस्टिंग सिस्टम
. साश्वत पार्क - 3
. सत्या इन्कलेव - 1
. अर्बन एस्टेट हुडा पार्क - 4
. शास्त्री पार्क - 4
इन पार्कों में भी जल संरक्षण मुहिम की प्लानिंग
. शहीद भगत सिंह पार्क - 3
. गीता पार्क - 3

सुरक्षा के ये किए प्रबंध

पार्क में लगाए गए जल संरक्षण प्लांट में कोई हादसा न हो इसके लिए सुरक्षा का भी साइंटिफिक तरीके से बेहतरीन प्रबंध किया। उन्होंने ऊपरी हस्से में छोटे पत्थर के टुकड़े लगाए और नीचे बड़े। 3 फुट चौड़े गड्ढे में 5 इंची पीवीसी पाइप डाला जिसके माध्यम से पानी भूमि में चला जाए। पत्थर के बीच में से पानी रिसाव होकर नीचे जता और पाइप के माध्यम से भूमि में जाता है। इसकी लागत भी लाखों में नहीं है बल्कि एक हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट की लागत करीब 20 हजार रुपये है। यानि इतने कम खर्च में उन्होंने एक बरसात में ही लाखों लीटर पानी बचा दिया। इतना ही नहीं इसके रखरखाव भी ज्यादा खर्च नहीं है बल्कि एक व्यक्ति की एक घंटे की मेहतन से पत्थरों के पास जमा हुई मिट्टी व अन्य कचरा हटाया जा सकता है।

जल संग्रहण के ये है लाभ
. पार्कों में जलभराव नहीं रहता।
. जलभराव के कारण सड़कों को क्षति नहीं होगी।
. जलभराव से मच्‍छर नहीं पनपेंगे और बीमारी फैलने का डर नहीं होगा।
. भू-जल स्तर बढ़ेगा।
. पानी को भविष्य के लिए सुरक्षित कर पाएंगे।
. बरसात का जल सीवरेज में बह कर वेस्ट नहीं होगा।

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