दुष्कर्म केस : कोर्ट ने कहा बहन-बेटियां इन जैसों से नहीं सुरक्षित, इसलिए आखिरी सांस तक जेल की सजा
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. पंकज की अदालत ने आठ महीने पहले एक महिला से चलते ऑटो रिक्शा में सामूहिक दुष्कर्म करने वाले तीनों दोषियों को उम्रकैद (अंतिम सांस तक) और हर एक को 5.06 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
जेएनएन, हिसार : अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. पंकज की अदालत ने आठ महीने पहले एक महिला से चलते ऑटो रिक्शा में सामूहिक दुष्कर्म करने वाले तीनों दोषियों को उम्रकैद (अंतिम सांस तक) और हर एक को 5.06 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने पर उनको एक-एक साल की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। दोषियों में 12 क्वार्टर एरिया का ऋषि उर्फ मूच्छल, सैनियान मोहल्ले का सचिन और गांव झीड़ी का निखिल शामिल हैं। अदालत ने तीनों को 2 अगस्त को दोषी करार दिया था। दोषियों के 15.18 लाख रुपये जुर्माना देने पर उसमें से 15 लाख रुपये पीड़िता को हर्जाने के तौर पर दिए जाएंगे।
कोर्ट ने फैसले में टिप्पणी कर कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि देश को आजाद तब समझा जाए, जब जवान बेटियां आधी रात को आ-जा सकें। लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
महिला थाना पुलिस ने इस संबंध में 4 दिसंबर 2017 को केस दर्ज किया था। अदालत में चले अभियोग के अनुसार 27 वर्षीय महिला ने पुलिस को शिकायत देकर कहा था कि वह जिले के एक कस्बे में ब्यूटी पार्लर का काम करती है। वह घटना वाले दिन बस में रात आठ बजे यहां बस स्टैंड पर पहुंची थी। वह बस स्टैंड से बाहर आकर घर जाने के लिए एक ऑटो रिक्शा में बैठ गई। ऑटो में 7-8 सवारी थी। रास्ते में विद्युत नगर के पास सभी सवारियां उतर गईं। चालक और उसके दो साथी ऑटो में रह गए। चालक के दोनों साथी अगली सीट पर चले गए और चालक पीछे वाली सीट पर आ गया। चालक ने मेरा मोबाइल फोन छीन लिया और मुंह दबा लिया। फिर दोनों युवक भी पीछे आ गए और उसे जकड़ लिया, चालक ने उससे दुष्कर्म किया। वे बाद में उसे कैंट के पास सुनसान जगह पर फेंककर फरार हो गए। घटना के बारे में किसी को बताने पर उन्होंने जान से मारने की धमकी दी। महिला ने ऑटो का अधूरा नंबर याद कर लिया था। वह बाद में कैंट के सामने इंतजार कर रहे पति के पास पहुंची और आपबीती बताई थी। उसके बाद दोनों सीधे महिला थाने में पहुंचे थे। पुलिस ने शिकायत के आधार पर बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म करने, जान से मारने की धमकी देने और एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। अदालत के फैसले से संतुष्ट हूं : पीड़िता पीड़िता ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि घटना के बाद मैं डर गई थी। मगर परिजनों ने हिम्मत दी और मैंने हौसला जुटाकर न्याय पाने के लिए लड़ाई लड़ी। अदालत ने तीनों दोषियों को अंतिम सांस तक कैद की सजा सुनाई है। मैं फैसले से संतुष्ट हूं। पीड़िता का कहना है कि अगर इस प्रकार की घटना किसी महिला के साथ होती है तो उसे डरना नहीं चाहिए, बल्कि आवाज उठानी चाहिए और आरोपितों को सजा दिलानी चाहिए।
पुलिस की गहन जांच से दोषियों को सजा का रास्ता पक्का हुआ
महिला थाना पुलिस ने मुकदमे के बारे में कोर्ट में अपना मजबूत पक्ष रखा। इसके अलावा केस दर्ज होने पर जांच अधिकारी मेवा रानी की टीम ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर झीड़ी के निखिल को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ करने पर आरोपित ऋषि उर्फ मूच्छल व सचिन गुरुग्राम के एक मकान में छुपे होने की सूचना मिल गई थी। उसके बाद उन्होंने टीम समेत देर रात बताए गए मकान में छापा मारकर मूच्छल और सचिन को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपितों के कपड़े और ऑटो रिक्शा कब्जे में लेकर ब्लड और अन्य सबूत जुटा लिए थे। फौरन आरोपितों की गिरफ्तारी और सबूत इकट्ठा होना आरोपितों को सजा होने का आधार बना। इसके अलावा केस में एससी-एसटी धारा जुड़ने पर डीएसपी जितेंद्र ¨सह खटकड़ ने मुकदमे की बारीकी से तफ्तीश की। पुलिस का पक्ष मजबूत होने से आरोपितों को सजा हुई।
पीड़िता के वकील ने अदालत में दी दलीलें पीड़िता के वकील लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि उन्होंने मुकदमे को मजबूती से लड़ा है। उन्होंने कोर्ट में कई अहम फैसलों की दलीलें रखीं। उन्होंने कई फैसलों का हवाला देकर कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि देश आजाद उस समय समझा जाए, जब जवान बेटियां आधी रात को घर से बाहर निकलें और अपने आप को सुरक्षित समझें। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के स्टेट ऑफ हरियाणा के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में अदालत को कोई रहमदिली नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो कानून के साथ मजाक समझा जाएगा। वकील ने कहा कि यह जघन्य अपराध है। इस मामले में दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। फैसले को लेकर कोर्ट परिसर में अलग था माहौल
इस चर्चित सामूहिक दुष्कर्म के फैसले की चर्चा कोर्ट परिसर में होती रही। एडीजे डा. पंकज की अदालत में डीडीए नरेंद्र कुमार व सुनील परूथी, रीडर हेमंत कुमार, स्टेनो राजेश गांधी व राजकुमार, अहलमद रवींद्र कुमार व इंद्र, ट्रांसलेटर राजरानी, नायब कोर्ट रामचंद्र और सेवादार रामानंद फैसले को लेकर अलर्ट थे। फैसले के दौरान कोर्ट के बाहर काफी संख्या में वकील मौजूद थे। एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल, सुरेश कुमार, छोटूराम, मनोज कौशिक चंद्रवंशी व रीटा बैनिवाल कोर्ट से बाहर निकले तो बाहर खड़े वकीलों ने उनसे फैसले की जानकारी ली। बक्शीखाना इंचार्ज राजेंद्र जांगड़ा की टीम सजा सुनाने के बाद दोषियों को जेल ले गई।