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सोचा था जिदगी सड़कों पर झाडू लगाने में खत्म हो जाएगी, जीजेयू के मंच ने बदल दी जिदगी

सोचा था जिदगी सड़कों पर झाडू लगाने में खत्म हो जाएगी लेकिन जीजेयू के मंच पर यह बात गलत साबित हो गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 07:10 AM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 07:10 AM (IST)
सोचा था जिदगी सड़कों पर झाडू लगाने में खत्म हो जाएगी, जीजेयू के मंच ने बदल दी जिदगी
सोचा था जिदगी सड़कों पर झाडू लगाने में खत्म हो जाएगी, जीजेयू के मंच ने बदल दी जिदगी

सुभाष चंद्र, हिसार:

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सोचा था जिदगी सड़कों पर झाडू लगाने में खत्म हो जाएगी, लेकिन जीजेयू के इतने बड़े मंच पर परफॉर्म करने से जिदगी ही बदल गई है। अब लगने लगा कि झाडू से बाहर भी हमारी दूनिया है। हम भी जिदगी में कुछ कर सकती हैं। हमारे अंदर भी टैलेंट है, बस मौका मिलने की देरी थी। आगे भी हम यह जारी रखेंगी।

यह बात शहर की सड़कों पर सफाई करने वाली नगर निगम की उन महिला कर्मचारियों ने कही, जिन्होंने सोमवार को पहली बार जीजेयू के मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुति दी। इनमें 25 से 45 वर्ष की महिलाएं शामिल रही। जिन्होंने बेटियों को बराबरी का दर्जा दिलवाने और महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा दिलाने जैसे विषयों के साथ नाटक, स्किट और डांस की प्रस्तुतियों देकर सबका मन मोह लिया। इनमें से कुछ के परिवार वाले इन्हें प्रस्तुतियों देने से मना कर रहे थे। इन महिलाओं ने घूंघट की ओट से निकलकर हिम्मत दिखाते हुए अपने टैलेंट को पहली बार जनता के सामने प्रस्तुत किया। महिला दिवस पर नगर निगम की ओर से जीजेयू के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में सफाईकर्मियों, पियून, अप्रेंटिस, कंप्यूटर ऑपरेटर सहित जीजेयू की सफाई कर्मियों ने भी परफॉरमेंस दी।

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पति की मौत के बाद सफाई का काम करने लगी

ठंडी सड़क निवासी नीतू ने बताया कि उसके पति विजय की 2018 में हार्ट अटैक आने से मौत हो गई थी। वह किराए के मकान में दो बच्चों के साथ रहती है। पति की मौत के बाद नगर निगम में सफाई कर्मी के पद पर काम करने लगी। नीतू ने कहा कि सोचा था झाडू लगाते-लगाते जिदगी खत्म हो जाएगी। कभी नहीं सोचा था कि कभी इतनी बड़ी स्टेज पर परफॉर्म करूंगी।

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ससुर की मौत की सूचना मिली, पर परफॉरमेंस बीच में नहीं छोड़ी

नगर निगम में सफाईकर्मी रानी ने बताया कि उसके पति करण सिंह की 2012 में हार्ट अटैक आने से मौत हो गई थी। तब से वह नगर निगम में सफाइकर्मी का काम कर रही है। उसके दो बच्चे है जो सरकारी स्कूल में पढ़ रहे है। पति के जाने के बाद कोई सहारा नहीं था, जिसके चलते नगर निगम में सफाइकर्मी का काम करने लगी। रानी ने कहा कि वह नगर निगम के अधिकारियों की आभारी है, जिन्होंने उसे इस मंच पर आने का मौका दिया। रानी ने बताया कि कार्यक्रम के बीच उसके ससुर की मौत की सूचना मिली। ससुर की मौत के दुख के साथ भी उसने यहां अपनी प्रस्तुति पूरी की।

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रैंप वॉक कर दिखाए महिलाओं के 14 रूप

नगर निगम की महिला कर्मी मंच पर रैंप वॉक के दौरान डॉक्टर, सैनिक, खिलाड़ी, वकील, गृहिणी, पुलिसकर्मी, नेता, शिक्षिका, मिस युनिवर्स, ब्यूटीशनर, सफाइकर्मी, जज की ड्रैस में अलग-अलग रुपों में नजर आई। इनमें तीन दिव्यांग कर्मचारी भी रहीं जिनमें रेशमा ने ब्यूटिशियन, ज्योति ने मिस युनिवर्स और मोनिका ने नेता का किरदार निभाया। म्यूजिक को बिना सुने इन कर्मियों ने नृत्य किया। वहीं कुछ महिला कर्मियों की प्रस्तुति के दौरान उनके परिवार वाले भी मौजूद रहे। जिनमें आशा के पति रामअवतार और उसका बेटा आशीष, सफाइकर्मी बिमला की बेटी मानसी भी अपनी मां के साथ प्रस्तुति देने पहुंची। निगम कर्मियों में अप्रेंटिस प्रीति, क्लर्क मंजू, बाला, रजनी, कंप्यूटर ऑपरेटर शिप्रा ने भी प्रस्तुति दी।


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