Move to Jagran APP

आपातकाल के वो काले दिन, पीडि़त बोले- रात में सोते समय उठा ले गई थी पुलिस

पुलिस ने भिवानी में वशिष्‍ठ परिवार के घर पर दस्तक दी और दादा रविंद्र नाथ वशिष्ठ और पिता देवव्रत वशिष्ठ को गिरफ्तार कर ले गई। अगले 10 दिन तक तो यह नहीं पता था कि वे है किस जेल में।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 03:32 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 03:32 PM (IST)
आपातकाल के वो काले दिन, पीडि़त बोले- रात में सोते समय उठा ले गई थी पुलिस
आपातकाल के वो काले दिन, पीडि़त बोले- रात में सोते समय उठा ले गई थी पुलिस

भिवानी [सुरेश मेहरा] बात 25 जून 1975 की है। रात के 12 बजे थे। श्रीभगवान अपने दादा और पिता के साथ सो रहे थे। अचानक दरवाजा खटखटाने की आवाज आई तो दादा ने आवाज लगाई -कौन है। बाहर से आवाज आई डीएसपी। दादा ने दरवाजा खोला तो बोले आप तीनों को थाने बुलाया गया है। मैं एसएचओ को भेजता हूं। आप आ जाना। हमने हामी भर ली। रात करीब दो बजे एसएचओ पहुंचे और थाने चलने के लिए कहा लेकिन दादाजी ने सुबह आने की बात कह दी। इसके बाद भारी पुलिस ने घर पर दस्तक दी और दादा रविंद्र नाथ वशिष्ठ और पिता देवव्रत वशिष्ठ को गिरफ्तार कर ले गई। अगले 10 दिन तक तो परिवार के सदस्यों को यह तक पता नहीं चला कि दादा और पिता को कौन सी जेल में रखा गया है।

loksabha election banner

बड़े राजनेताओं से सीधा संपर्क भी बना प्रताडऩा कारण

श्रीभगवान बताते हैं कि पिताजी और दादाजी के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरणसिंह, पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल, पूर्व मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा, डा. मंगलसेन, श्रीराम शर्मा और पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित, बलवंतराय तायल जैसे बड़ नेताओं से अच्छे संबंध थे। इनसे संपर्क होने के कारण हमारी तीन-तीन पीढिय़ों को आपातकाल में प्रताडऩा का दंश झेलना पड़ा। बड़े नेताओं का हमारे आवास चेतना सदन में राजनीतिक चर्चाओं के लिए हमेशा आना जाना रहता था।

दादा से पोता को जेल में मिलने तक नहीं दिया गया था

श्रीभगवान बताते हैं कि मैं दादा से अंबाला जेल में मिलने के लिए गया तो मुझे मिलने तक नहीं दिया गया। यहां तक कह दिया गया कि दादा-पोता में सीधा  खून का रिश्ता नहीं होता इसलिए आप नहीं मिल सकते। वैसे जेल में भी प्रताडि़त किया गया। दादा जी को हिसार जेल में ही रखा लेकिन पिताजी को करनाल भेज दिया। करनाल के बाद पिता को अंबाला जेल भेजा गया।

ऐसे मिली थी दादा और पिताजी की सूचना :

दादा और पिताजी की गिरफ्तारी के 10 दिन तक यह तक पता नहीं चला कि उनको कहां पर रखा गया है। चौ. देवीलाल को हिसार जेल से महेंद्रगढ़ भेजा गया तो रास्ते में भिवानी चेतना सदन में वह ठहरे थे। इसी दौरान उन्होंने सूचना दी थी रविंद्रनाथ वशिष्ठ, देवव्रत वशिष्ठ व भिवानी के कई लोग हिसार जेल में हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.