Cancer व Sugar के मरीजों के लिए लाभदायक है ये खास गेहूं, HAU में होगा उत्पादन
HAU बैंगनी नीले और काले रंग का गेहूं उगाने जा रहा है। इन रंगों में ही गेहूं की औषधीय क्षमता का राज छिपा हुआ है।
हिसार [वैभव शर्मा]। अब आपके लिए गेहूं की चपाती महज खाने की चीज नहीं होगी, बल्कि यह दवाओं का काम करेगी। सामान्य लोग ही नहीं बल्कि घरों में कैंसर या शुगर के मरीज दोनों के लिए यह गेहूं की चपाती लाभकारी रहेगी। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) बैंगनी, नीले और काले रंग का गेहूं उगाने जा रहा है। इन रंगों में ही गेहूं की औषधीय क्षमता का राज छिपा हुआ है।
इस गेहूं की खोज मोहाली के National Agri Food Biotechnology Institute की गेहूं विज्ञानी डॉ. मोनिका गर्ग ने की है। यह गेहूं लोगों तक पहुंच सके इसके लिए HAU से कुलपति प्रो. केपी सिंह के निर्देशन में डायरेक्टर रिसर्च डॉ. एसके सहरावत ने National Agri Food Biotechnology Institute के अधिकारियों के साथ अनुबंध किया है। इसके तहत इस रंग-बिरंगे गेहूं को HAU में इस बार बोया भी गया है।
शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है Anthocyanins pigmentation
रंगीन गेहूं पर काम कर रहे HAU के गेहूं विज्ञानी डॉ. ओपी बिश्नोई बताते हैं कि बैंगनी, नीले और काले रंग के गेहूं में Anthocyanins pigmentation पाया जाता है। यह तत्व शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। यह रंगीन फल जैसे ब्लैक बैरी, जामुन, काले अंगूरों में पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी है।
सामान्य गेहूं 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देते हैं मगर ये रंगीन गेहूं 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही होती है। इसलिए HAU के गेहूं विज्ञानी मोहाली की गेहूं विज्ञानी के साथ मिलकर इन गेहूं से ऐसे बीज विकसित करेंगे, जिससे 30 क्विंटल से बढ़कर उत्पादन 45 से 50 क्विंटल तक पहुंच जाए। काले रंग के गेहूं का बीज कुछ क्षेत्रों में किसान उगा भी रहे हैं। मगर यह अधिक चलन में नहीं हैं।
गरीबों को राशन में मिले तो दूर हो जाए कुपोषण की समस्या
डॉ. बिश्नोई बताते हैं कि बैंगनी, नीले व काले रंग के गेहूं में 40 से 140 PPM Anthocyanins तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालने की वजह से इस गेहूं के आटे से बनी चपाती कैंसर, शुगर, Cardiovascular एवं अन्य Disorder में मरीजों के लिए काफी लाभदायक है। इसके साथ ही अगर सरकारी राशन में गरीबों को रंगीन गेहूं से बना आटा दिया जाए तो कुपोषण की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
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