यहां हानिकारक नहीं बापू, फिर भी इस वजह से 30 महिला पहलवानों ने करवाया मुंडन
हिसार के महाबीर स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय खेल महाकुंभ में आईं इन महिला पहलवानों को देख कर हर कोई रह गया दंग, बिना किसी झिझक के खेलीं और पाई पॉजिशन।
जेएनएन, हिसार। हानिकारक बापू, ये शब्द सुनते ही आपके जहन में दंगल फिल्म का नाम जरूर आता होगा, बेटियां बाल संवारने में न लगी रही और बाल मिट्टी में खराब न हों, इसलिए महाबीर फौगाट ने अपनी बेटी गीता और बबीता के बाल कटवा दिए। मगर हरियाणा हिसार के गांव उमरा में भी महिला कुश्ती पहलवानों ने अपने सिर के बाल पूरी तरह से ही मुंडवा लिए। इसके लिए न ही इन पहलवानों पर किसी ने दबाव बनाया और न ही इन पहलवानों के बापू हानिकारक हैं।
आप सोच रहें होंगे कि फिर वजह क्या रही, वजह है खेल के प्रति इनका जुनून। जी हां महाबीर स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय खेल महाकुंभ में खेलने पहुंची इन महिला पहलवानों ने बताया कि खेलते समय राउंड के बीच में 30 सेकेंड का समय मिलता है। इस दौरान बाल बड़े हो तो उन्हें ठीक करने में ही 30 सेकेंड निकल जाते हैं और कोच द्वारा बताए जाने वाले ट्रिक से ध्यान भटक जाता है। बालों के कारण ऐसा न हो इसलिए हम सभी ने सिर के बाल मुंडवाने का फैसला लिया।
करीब 30 महिला पहलवानों ने लिया फैसला
महिला पहलवानों के कोच राजेश कुमार ने बताया कि गांव में हवासिंह अखाड़े में कई लड़कियां कुश्ती का प्रशिक्षण लेती है़। बालों के कारण इन महिला पहलवानों का गेम प्रभावित न हो इसके लिए सभी ने बाल मुंडवा लेने का फैसला लिया। इससे इनकी परफोरमेंस भी बेहतर हुई है, रेसलर ज्योति ने 51 किलोग्राम भारवर्ग में खेल महाकुंभ में पहला स्थान पाया है तो वहीं रेसलर मंजू ने 2016 में सीनियर कॉमनवेल्थ सिंगापुर में 58 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड और प्रो रेसलिंग में भी मेडल जीता था।
वहीं, मोनिया 2018 में दक्षिण अफ्रीका में कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीत चुकी है। 100 से ज्यादा बच्चों ने नेशनल लेवल पर मेडल जीते हैं। अखाड़ा प्रमुख हवासिंह, कोच विक्रम और कर्मवीर उन्हें कुश्ती के दाव सिखाते हैं। हरेक आयुवर्ग में महिला पहलवान तैयारी कर रही हैं उम्मीद है जज्द ही इसके सकारात्मक परिणाम भी आएंगे।
गांव से खेलों का पुराना नाता
ऐसा नहीं कि इस गांव में महज कुश्ती के खिलाड़ी ही हों, बल्कि गांव में निशुल्क तिरंदाजी सेंटर हैं जहां प्रशिक्षण लेकर खिलाड़ी अंतरर राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुके हैं। अकेडमी संचालक मंजीत मलिक के निर्देशन में खिलाड़ी ओलंपिक गेम्स की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा हॉकी में भी गांव की कई महिला और पुरुष वर्ग की टीम छाई हुई है। गांव से ही हॉकी महिला खिलाड़ी पूनम मलिक ओलंपयिन हैं।
अभिभावक भी दे रहे साथ
आमतौर पर ग्रामीण अंचल में बेटियों को लेकर कई तरह की सीमाएं निर्धारित कर दी जाती हैं, बाल कटवाना तो बेहद ही आलोचना करने का विषय माना जाता है। मगर उमरा में महिला पहलवानों के अभिभावक इस बात से इत्फाक नहीं रखते हैं। अभिभावकों ने किसी चीज की परवाह किए बैगर अपनी बेटियों की बात मानी और वो इनके साथ कदम से कदम मिलाकर खड़े हैं।