कैंसर, डायबिटीज और हृदय रोग से बचाएंगे ये खास बिस्किट और केक, HAU ने किए तैयार
डायबिटीज कैंसर और हृदय संबंधी रोगों को रोकने के लिए मोटे अनाज और तुलसी के योग से बने केक और बिस्किट मुफीद होंगे।
हिसार [वैभव शर्मा]। डायबिटीज, कैंसर और हृदय संबंधी रोगों को रोकने के लिए मोटे अनाज और तुलसी के योग से बने केक और बिस्किट मुफीद होंगे। ये केक और बिस्किट रोग से लड़ेंगे। स्वादिष्ट होंगे और पौष्टिक भी। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट के विज्ञानियों ने ये बिस्किट और केक बनाए हैं।
एचएयू के विज्ञानियों ने इसके लिए उन्होंने मोटे अनाज में पांच फीसद तुलसी पाउडर का प्रयोग किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि बिस्किट और केक में न्यूट्रिशन वैल्यू काफी बढ़ गई। इस रिसर्च को करने वाली एमरट्स साइंटिस्ट डॉ.सरोज दहिया व सीनियर रिसर्च फैलो सुमन बताती हैं कि तुलसी मिले उत्पादों का उपयोग करने से डायबिटीज, कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने में मदद मिलेगी। कुपोषण की समस्या है तो प्रतिदिन इन उत्पादों के सेवन से इस समस्या पर भी अंकुश लग जाएगा।
जौ, ज्वार, बाजरा, चने की दाल के साथ तुलसी
डॉ. दहिया बताती हैं कि उन्होंने 60 फीसद बाजरा, 10 फीसद ज्वार व जौ, 15 फीसद चना की दाल का मिश्रण लिया। इसके साथ ही तुलसी के पत्तों को सुखाकर पाउडर तैयार कराया। मोटे अनाज के इस मिश्रण में पांच फीसद तुलसी पाउडर मिलाया गया। इसके बाद टेस्ट किया गया तो सामने आया कि सामान्य केक व बिस्किट की तुलना में तुलसी वाले उत्पादों में न्यूट्रिशन वैल्यू बढ़ गई। इस मिश्रण से बने केक में 0.42 फीसद प्रोटीन, फैट 1.06 फीसद फैट, 0.47 फीसद फाइबर, 3.64 फीसद कैल्सियम, 0.83 फीसद आयरन पाया गया।
बिस्किट में 0.36 फीसद प्रोटीन, 1.94 फीसद फैट , 0.84 फीसद फाइबर, 2.89 फीसद कैल्सियम, 0.64 फीसद आयरन मिला जबकि सामान्य बिस्किट और केक में इन न्यूट्रिशन की मात्रा काफी कम थी। इसके साथ ही तुलसी में एंटी ऑक्सीडेंट तत्व होता है जो कई बीमारियों से लडऩे की क्षमता रखता है। इस मिश्रण को ओट्स, सेब, मटर जैसे प्रोडक्ट में भी आजमाया गया है। एचएयू में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञानियों ने विदेशी वैज्ञानिकों के समक्ष अपनी रिसर्च प्रस्तुत की।
इस रिसर्च से इंटरप्रन्योर्स को मिलेगा फायदा
डॉ.दहिया ने बताया कि एक वर्ष पहले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से उभरता विज्ञानी योजना के तहत इस रिसर्च को शुरू किया था जो अभी तक जारी है। इसको काफी सराहना मिली है। उद्देश्य है कि इस तरीके से उत्पाद बनाना सीखकर महिलाओं के समूह, किसान या इंटरप्रन्योर्स अपना कारोबार आरंभ करें।
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