नेपाल खेलने गए रोहताश के मन को भाए पहाड़ तो एवरेस्ट की चोटी पर ही लहरा दिया तिरंगा
आदमपुर निकटवर्ती गाव मल्लापुर के 21 वर्षीय रोहताश खिलेरी ने नेपाल काठमाडु के रस्ते से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर लिया।
जेएनएन, आदमपुर, हिसार :
आदमपुर निकटवर्ती गाव मल्लापुर के 21 वर्षीय रोहताश खिलेरी ने नेपाल काठमाडु के रस्ते से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर लिया। रोहताश खिलेरी ने 8 अप्रैल को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने के लिए चढ़ाई शुरू की थी। रोहताश खिलेरी व उसके माता-पिता ने बताया कि वह 2014 में नेपाल में खेलने गया था। वहा पर ऊंची पहाड़ियों को देखकर मन में इच्छा हुई कि इन ऊंची पहाड़ियों को छूना है। बस इसी लक्ष्य व सपने को लेकर वहा के निवासियों से बात की कि सबसे ऊंची पहाड़ी जिसे नेपाल वासी सागर माथा के नाम से उसका पूजन करते हैं जिसे माउंट एवरेस्ट कहा जाता है उसकी जानकारी हासिल की।
रोहताश खिलेरी ने पढ़ाई के साथ पहलगाव श्रीनगर में इसका बेसिक कोर्स किया है। सितंबर 2017 में कोचिंग के लिए दार्जलिंग गया जहा उसने कोर्स के दौरान 6000 मीटर की चढ़ाई पार की। माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने का संकल्प ले रोहताश ने हर प्रक्त्रिया को आसानी से पार कर लिया। इसके उपरात उसे नेपाल की 7 शिमटी एजेंसी ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की अनुमति प्रदान कर दी। परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय 21 वर्षीय रोहताश ने माउंट एवरेस्ट के लिए 8848 मीटर की चढ़ाई की। इसके लिए करीब 25 लाख रुपये का खर्च आया। रोहताश के पिता सुभाष चंद्र किसान हैं और उसका एक छोटा भाई भी है। रोहताश खिलेरी के परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय है। लेकिन बेटे के सपने को पूरा करने के लिए सुभाष चंद्र में अपनी जमीन गिरवी रखकर पैसे का इंतजाम करके रोहताश को दिए। सीएम से करेंगे मदद की माग 17 मई को बिश्नोई समाज सीएम मनोहर लाल के रोड शो के दौरान बिश्नोई मंदिर में उनका स्वागत करेगा। इस दौरान बिश्नोई समाज रोहताश खिलेरी की आर्थिक मदद की माग सीएम से करते हुए उसके लिए नौकरी की माग करेगा। ध्यान रहे बिश्नोई समाज से रोहताश खिलेरी एकमात्र माउंट एवरेस्ट विजेता बना है।