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पिछले चार वर्षों में अभी तक सबसे कम लगी आग, किसान खेतों में दबा रहे पराली

जागरण संवाददाता हिसार। प्रदेश में चुनावी पारा चढ़ने के साथ ही पराली का सीजन भी अपने चरम

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 01:57 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 06:29 AM (IST)
पिछले चार वर्षों में अभी तक सबसे कम लगी आग, किसान खेतों में दबा रहे पराली
पिछले चार वर्षों में अभी तक सबसे कम लगी आग, किसान खेतों में दबा रहे पराली

जागरण संवाददाता, हिसार।

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प्रदेश में चुनावी पारा चढ़ने के साथ ही पराली का सीजन भी अपने चरम पर है। ऐसे में कृषि, पंचायत आदि विभागों की ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक कमेटियां बनाई गई हैं। पराली को लेकर इसमें सबसे अच्छी बात है कि पिछले चार वर्षों की तुलना में इस बार अभी तक पराली जलाने के मामले हिसार में 90 प्रतिशत तक कम आए हैं। फायर बर्निंग के मामलों को देखा जाए तो अक्सर अक्टूबर माह में हर दिन औसतन 15 से 20 स्थानों में हिसार में आग सेटेलाइट से पकड़ में आती रही है, मगर अब हर दिन 2 या 3 मामले ही संज्ञान में आ रहे हैं। यह बदलाव जागरूकता के कारण हुआ है। दैनिक जागरण और कृषि सहित अन्य विभागों की टीमों गांवों में किसानों को लगातार जागरूक करने का काम कर रही हैं। हिसार में 26 कनाल 19 मरला भूमि पर पराली जलाने पर दो किसानों पर एफआइआर भी कृषि विभाग दर्ज कराने के लिए लिखा है।

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पराली जलाने के मामलों में कमी आने का यह है कारण

इस बार प्रशासन ने कई विभागों को मिलाकर जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों की टीमें सीजन शुरू होने से पहले जागरूकता और फिर मॉनिटरिग के काम में लगा दीं। इसमें हिसार की 308 पंचायतों को शामिल किया गया। कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विनोद कुमार फोगाट बताते हैं कि सीजन से पहले जो जागरूकता अभियान चलाया गया, उसमें इस बात पर जोर दिया गया कि किसान पराली को जमीन में दबाएं ताकि डी कंपोज होकर वह खाद के रूप में बदल सके। हुआ भी यही, किसान अधिक से अधिक पराली को जमीन में दबा रहे हैं। इस काम में उन्हें फायदा हो रहा है।

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पराली से यह बताए नुकसान

गांवों में किसानों को पराली से नुकसान बताए जा रहे हैं, जिसमें बताया कि पराली से वायु प्रदूषण तो फैलता है साथ ही आग की चपेट में आकर कोई झुलस सकता है। बड़े पेड़ों को नुकसान होता है, जमीन की पानी रखने की क्षमता कम हो जाती है, भूमि में पाए जाने वाले मित्र कीट मर जाते हैं, भूमि अनुपजाऊ होने के कगार पर पहुंच जाती है।

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पीसीबी के पास स्टॉफ की कमी

इस बार पराली को जलने से रोकने के लिए कृषि विभाग की टास्क फोर्स बनाई गई है। पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी खेतों में पराली जलाने वालों को प्रशासन की रिपोर्ट पर एफआइआर व जुर्माना लगाने का काम करते थे। मगर इस बार कृषि विभाग को ही यह जिम्मेदारी दी गई है, क्योंकि पीसीबी के पास जिले में एक दो ही अधिकारी कर्मचारी हैं, ऐसे में कृषि और पंचायत विभाग सर्वाधिक सक्रिय है।

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इन स्थानों पर अब तक इतनी बार जल चुकी है पराली

अंबाला- 3

फतेहाबाद- 18

हिसार- 2

जींद- 11

कैथल- 35

करनाल- 33

कुरुक्षेत्र- 44

पलवल- 6

पानीपत- 2

सोनीपत- 1

यमुनानगर- 8


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