Move to Jagran APP

शहर सी विकसित हुई इस गांव की मार्केट, 12 गांवों के लोग आते हैं खरीददारी करने

रानियां शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव खारियां अब शहर में तब्दील होता जा रहा है। यह गांव लगभग 200 साल पुराना है।

By manoj kumarEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 04:52 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 05:11 PM (IST)
शहर सी विकसित हुई इस गांव की मार्केट, 12 गांवों के लोग आते हैं खरीददारी करने
शहर सी विकसित हुई इस गांव की मार्केट, 12 गांवों के लोग आते हैं खरीददारी करने

 रानियां, जेएनएन। रानियां शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव खारियां अब शहर में तब्दील होता जा रहा है। यह गांव लगभग 200 साल पुराना है। सुख सुविधाओं के लिहाज से जो सुविधाएं शहर में लोगों को मिलती है वह सुविधाएं अब गांव खारियां में भी मिलने लगी है। आस-पड़ोस के लगभग एक दर्जन गांवों लोग खारियां में से अपना घरेलू उपयोगी सामान खरीद कर ले जाते हैं।

loksabha election banner

15 हजार से अधिक है गांव की आबादी

इस समय गांव की आबादी लगभग 15 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है। गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेतीबाड़ी व छोटे-मोटे उद्योग धंधे हैं। खारियां की गिनती प्रदेश के बड़े गांव के रूप में होती है। सभी बिरादरी के लोग यहां बड़े सौहार्दपूर्ण भाव से रहते हैं। गांव में स्थित धार्मिक स्थल बाबा मूंगानाथ की समाधि के कारण इसकी अलग ही पहचान है।

ऐतिहासिक कुआं है

गांव में एक पुराना कुआं है जो बाबा मूंगानाथ की समाधि स्थल के नजदीक है। ग्रामीणों ने इस कुएं को रंग रोगन व अच्छे रख रखाव से गांव में ऐतिहासिक स्थल के तौर पर रखा हुआ है। हालांकि गांव का कोई बच्चा, व्यक्ति या अन्य जीव कुएं के अन्दर गिर न जाए इसके लिए ग्रामीणों ने कुएं पर जाल लगाकर बंद किया हुआ है। गांव के अन्दर स्थित हनुमान मन्दिर, गोगामेड़़ी, शनि मन्दिर, सिद्ध भभूता मन्दिर, खेतरपाल, बाबा रामदेवी मन्दिर, राधाकृष्ण मन्दिर, दुर्गा मन्दिर है जो गांव की शोभा बढ़ा रहे हैं, यही नहीं गांव में एक मस्जिद भी है। 

मूंगानाथ की समाधि से विख्यात हुआ खारियां

गांव में बाबा मूंगानाथ की समाधि होने से गांव खारियां की अलग ही पहचान है। गांव में स्थित डेरे पर बाबा मूंगानाथ ने जीवंत समाधि ली थी। गांव के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि सन 1886 में राजस्थान के गांव सिद्धमुख से बाबा मूंगानाथ आए थे। बताया जाता है कि 1893 में शिवालय का निर्माण हुआ और प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सन् 1920 में गांव के अंदर प्लेग (गुमड़ी) रोग फैल गया था, जिससे ग्रामीण बुरी तरह भयभीत हुए और उन्होंने बाबा मूंगानाथ से इसका उपाय करने की बात कही, तब उन्होंने अपनी तपस्या के बल पर ग्रामीणों को इस बीमारी से निजात दिलाई। तभी से लेकर गांव में डेरा बाबा मूंगानाथ समाधि गांव ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्र में आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

बॉक्सर मनदीप ने देश में चमकाया गांव का नाम

अर्जुन अवार्ड से सम्मानित बॉक्सर मनदीप जांगड़ा ने गांव खारियां को अलग पहचान प्रदान की है। बॉङ्क्षक्सग में अच्छा प्रदर्शन करने पर मनदीप जांगड़ा को राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया हुआ है। बॉङ्क्षक्सग खेल को आगे बढ़ाने के लिए मनदीप जांगड़ा ने गांव में बॉक्‍िंसग अकादमी भी बनाई हुई है जिसमें युवा खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का जौहर आजमा रहे हैं। मनदीप के अलावा गांव में दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में इसी गांव से रमेश कम्बोज भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम में खिलाड़ी के रूप में अहम भूमिका निभा रहा है जो गांव के लिए गौरव की बात है।

सीएम से सम्‍मानित हो चुका है गांव

जिला पार्षद रामकुमार नैन का कहना है कि वे 2000-2005 में वे गांव के सरपंच रहे हैं और उनके कार्यकाल में गांव खारियां को स्वच्छता के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला द्वारा प्रथम पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। सफाई का यह क्रम गांव में लगातार अब भी जारी है। मौजूदा पंचायत द्वारा भी सफाई की तरफ विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

अब तक हो चुके है काफी बदलाव

वृद्ध देवीलाल कासनियां बताते हैं कि होश संभालने के बाद से लेकर गांव में काफी बदलाव हुआ है। बचपन के दौरान उन्हें खाद्य व अन्य जीवन उपयोगी वस्तुएं उन्हें 25 किलोमीटर का रास्ता तय कर सिरसा से लानी पड़ती थी, लेकिन अब गांव खारियां भी शहर बन चुका है तथा यहां हर छोटे सामान से लेकर बड़ा सामान बड़ी आसानी से मिल जाता है। उन्होंने कहा कि वे ग्रेजुएट है और जब से ऑनलाइन सुविधा शुरू हुई है तब से घर के बिजली के बिल व अन्य बिल स्वयं ऑनलाईन भरते हैं।

शहर की तर्ज पर बना है गांव का हर वार्ड

बुजुर्ग बीरूराम ने बताया कि वैसे तो गांव में लगभग सभी सुविधाएं उपलब्ध है, लेकिन शहर की तर्ज पर गांव के प्रत्येक वार्ड को साफ-सुथरा रखा जा सके इसके लिए पर्याप्त सफाई कर्मचारी नहीं है। उन्होंने सरकार व प्रशासन से वार्ड के अनुसार सफाई कर्मी नियुक्त किए जाने की मांग की, ताकि गांव की सुंदरता व स्वच्छता बनी रहे।

1978 में बना था जलघर

गांव की आबादी के अनुसार सन 1978 में जलघर का निर्माण किया गया था और तब से लेकर ग्रामीण अब तक उसी पर निर्भर हैं, जबकि पिछले 40 साल से अब गांव की आबादी बढ़ कर 15 हजार का आंकड़ा पार कर गई है। सरकार को चाहिए कि वे गांव में लोगों के पेयजल के लिए बड़े नहरी जलघर का निर्माण करवाए। गांव में लंबे रूट की बसों का अभाव है, यह समस्या भी दूर की जानी चाहिए।

गांव का विकास मेरी प्राथमिकता

सरपंच  अमर सिंह कटारिया ने बताया कि गांव का पूर्ण विकास करवाना ही उनकी प्राथमिकता है। गांव में विकास को गति देते हुए ग्रामीणों के सहयोग से गांव में शीघ्र ही आंबेडकर पार्क व लघु बाल भवन का निर्माण करवाएंगे, ताकि बच्चे व बुजुर्ग उनका फायदा उठा सके। बरसाती पानी की निकासी बड़ी समस्या है, अगर सरकार व प्रशासन गांव में इसके लिए सीवर डलवा दे तो काफी हद तक लोगों को इस समस्या से निजात मिल जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.