जिनसे था कभी शहर का गौरव, नष्ट होने की कगार पर हांसी की वो ऐतिहासिक इमारतें
हांसी शहर में अनेक ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं जो इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है। ये इमारतें संरक्षण के अभाव में नष्ट होती जा रही हैं। शहर की कई ऐतिहासिक इमारतें केंद्र सरकार के अधीन आती है और इन्हें संरक्षित इमारतों को सूची में शामिल किया गया है
हिसार/हांसी [मनप्रीत सिंह]। हिसार लोकसभा क्षेत्र के नौ हलकों में से एतिहासिक नगरी हांसी का राजनीतिक नजरिये से अहम महत्व है। शहर में अनेक ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं जो इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है। ये इमारतें संरक्षण के अभाव में नष्ट होती जा रही हैं। शहर की कई ऐतिहासिक इमारतें केंद्र सरकार के अधीन आती है और इन्हें संरक्षित इमारतों को सूची में शामिल किया गया है, लेकिन विडंबना यह है कि किसी भी सरकार ने शहर की इन प्राचीन इमारतों के अस्तित्व को बचाने के लिए कोई बड़ी योजना तक नहीं बनाई। हिसार से मात्र 28 किमी की दूरी पर स्थित हांसी हलका विकास के मामले में लंबे समय से पिछड़ा हुआ है। हलके के लोगों को सबसे बड़ा मलाल इस बात है कि अभी तक हिसार सीट से जितने भी सांसदों को लोकसभा में भेजा, उनमें से किसी ने भी हांसी शहर को लेकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में आवाज बुलंद नहीं की।
हांसी हलका 2009 से पहले भिवानी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था। लेकिन नए परिसीमन के बाद से हांसी हलका हिसार लोकसभा क्षेत्र में शामिल किया गया। हलके में एक लाख 76 हजार 135 वोटर हैं और हिसार लोकसभा के कुल वोटरों में हांसी की 11 फीसद हिस्सेदारी है। ऐतिहासिक नजरियें से बात करें तो शहर सदियों पुराने इतिहास का गवाह रहा है। पृथ्वीराज चौहान से लेकर जार्ज थॉमस व अंग्रेजी शासनकाल के अनेक भवन शहर में मौजूद हैं। बड़सी गेट, पृथ्वीराज चौहान का किला, चारकुतुब दरगाह, आमटी तालब जैसी अनेकों साल पुरानी ऐतिहासिक इमारतों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व है जिन्हें देखने दूसरे देशों से पर्यटक शहर में आते हैं।
लंबे समय से जिला बनाने की हो रही मांग
उपमंडल हांसी के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए शहरवासी लंबे समय से हांसी को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं। जिला बनाओ संघर्ष समिति इस मांग को लेकर कई सालों से आंदोलन चला रही है। इसी साल जनवरी महीने में दस दिनों तक शहर में आन्दोलन चला था व एक दिन हांसी बंद भी रहा था। लोगों की मांग है कि शहर में अंतर्राष्ट्रीय महत्व की ऐतिहासिक इमारतें हैं जिसे देखते हुए हांसी को जिला बनाया जाना चाहिए।
पर्यटक स्थल बनने की शहर में पूरी संभावनाएं
शहर में बड़े-बड़े ऐतिहासिक भवन हैं और पर्यटक स्थल के रूप में शहर को विकसित करने की पूरी संभावनाएं है। शहर की धरोहरों को संजोया जाए तो पर्यटकों को यहां आकर्षित किया जा सकता है। ऐतिहासिक किले से पूरे शहर का मनमोहक नजारा दिखाई देता है लेकिन किले के ऊपर बैठने तक के कोई प्रबंध नहीं है। शहर में इतिहास को लेकर काम करने वाले लोगों की मांग है कि किले पर पार्क बनाया जा सकता है। जिससे लोग वहां घूमने फिरने आए व पिकनिक का भी आनंद ले सकेंगे। लेकिन इस योजना को धरातल पर उतारने का कोई प्लान सरकार के पास नहीं है। इसके अलावा आमटी तालाब है जिसके जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है।
भू-माफिया कर रहे दरगाह की जमीन पर कब्जा
इस्लामिक काल में बाबा फरीद के पांच बच्चों के मकबरे ऐतिहासिक चारकुतुब दरगाह में बने हुए हैं। इनमें से मात्र दो मकबरे ही बचे हुए हैं। चार दीवान के नाम से मशहूर ये इमारतें खत्म हो चुकी है। दीवान के अधिकांश क्षेत्र में भू-माफियाओं ने कब्जा जमा लिया है। सरकार की नाक तले भू-माफिया ऐतिहासिक दरगाह की कई एकड़ जमीन पर कब्जा जमा कर निर्माण कर चुके हैं।
नामों निशां खत्म होने की कगार पर ये इमारतें
- गृहकशा का मकबरा
- बड़सी गेट
- किले ऊपर बने भवन
-अंग्रेजों का कब्रिस्तान
-बारादरी
इन इमारतों का नामों निशां हो चुका है खत्म
इमारत काल
- ईदगाह खरड़ रोड 800 वर्ष पुरानी
- 12 ऐतिहासिक खंम्भे 800 वर्ष पुराने
- चार दरवाजों के बुर्ज 150 वर्ष पुराने
- मैम के बाद की इमारतें 200 साल पुराने
- किले की सुरक्षा चौकियां 1000 साल पुरानी