Move to Jagran APP

10 रुपये की टेनिस बॉल 100 रुपये में एक्सपोर्ट कर 36 करोड़ रुपये का टैक्स उड़ाया

टैक्स की चोरी करने वाली फर्जी फर्मों ने आइजीएसटी का रिफंड आने पर अपने पास ही रखा। टेनिस बॉल ही नहीं बल्कि पेपर बॉल के व्यापार में भी सामने आ रही हैं फर्में

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 03:14 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 03:14 PM (IST)
10 रुपये की टेनिस बॉल 100 रुपये में एक्सपोर्ट कर 36 करोड़ रुपये का टैक्स उड़ाया
10 रुपये की टेनिस बॉल 100 रुपये में एक्सपोर्ट कर 36 करोड़ रुपये का टैक्स उड़ाया

हिसार, जेएनएन। टेनिस बॉल और पेपर बॉल में फर्जी फर्मों का टैक्स चोरी करने का मामला सामने आया है। जिसमें 10 रुपये की टेनिस बॉल 100 रुपये में एक्सपोर्ट कर दी गई, जिस पर आइजीएसटी के रिफंड को फर्म संचालकों ने अपने पास ही रख लिया। ऐसे में सरकार के खाते में किसी प्रकार का टैक्स पहुंचा ही नहीं। इस मामले की भनक सेंट्रल जीएसटी से जुड़े अधिकारियों को लग गई, जिसके बाद मामले में फर्म संचालकों को ट्रेस किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो टेनिस बॉल और पेपर बॉल के नाम पर हिसार सहित सोनीपत, बहादुरगढ़, चरखी दादरी व सिरसा से इन फर्मों के तार जुड़े हुए हैं।

loksabha election banner

इसमें हिसार की फर्म तो बॉल को सस्ती दरों की खरीदकर दुबई एक्सपोर्ट के बिल काटती थी। कुछ महीनों तक यह काम ठीक ठाक चलता रहा इसके बाद अचानक से फर्म ने काम बंद कर दिया। तब अधिकारियों को शक हुआ कि मामले में कोई गड़बड़ी है। अभी तक यह फर्में करीब 36 करोड़ रुपये के टैक्स को उड़ा चुकी हैं, जो कि सरकारी खजाने में पहुंचनी चाहिए था। ऐसे में सेंट्रल जीएसटी ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है।

ऐसे किया गया पूरा टैक्स फ्रॉड

2018 में इन फर्मों को जीएसटी के तहत अगस्त माह में ऑनलाइन पंजीकृत किया गया था। पंजीकरण के बाद करोड़ों रुपये के टेनिस बॉल व अन्य सामान को फर्जी तरीके से विदेशों में कागजों पर एक्सपोर्ट किया गया ताकि फर्जी बिज के जरिए करीब 18 फीसद आइजीएसटी के रिफंड का लाभ उठाया जाए। इस मामले में अभी तक की जांच में 7 फर्मों के नाम सामने आ रहे हैं। इस टैक्स फ्रॉड में भी फर्जी आईडी आदि का प्रयोग कर फर्जी फर्मों का निर्माण किए जाने का अधिकारी अंदेशा लगा रहे हैं। सीजीएसटी के अधिकारियों को मौके पर फर्म तो नहीं मिली, अब बैंक अकाउंट आदि के जरिए फर्म के असल स्वामियों की खोजबीन की जा रही है।

इनपुट टैक्स क्रेडिट के बाद अब आइजीएसटी का हो रहा प्रयोग

अभी तक सेंट्रल जीएसटी या डीजी जीएसटीआइ ने कॉटन के मामलों को उजागर किया था, जिसमें करोड़ों रुपये की कॉटन के जरिए फर्जी फर्मों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं दिया। इस मामले के बाद केन्द्रीय एजेंसियों की टीम ने कई जगह छापेमारी की और फर्जी फर्मों से जुड़े व्यापारियों को गिरफ्तार किया था। ऐसे में इनपुट टैक्स क्रेडिट के नाम पर फ्रॉड करने के मामले कुछ कम हुए तो एक्सपोर्ट के माध्यम से आइजीएसटी में भी टैक्स चोरी शुरू कर दी गई है।

आइजीएसटी क्या है

यह अंतरराज्यीय और सीमा पार के सामान और सेवा स्थानांतरण पर यह टैक्स लगाया जाता है। इसके साथ ही यह एसजीएसटी और सीजीएसटी का योग है।

केंद्र और राज्य द्वारा साझा किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.