अतीत के आइने से: ताऊ देवीलाल क्या गए, यहां झील बनी जोहड़, बस स्टैंड बन गया तबेला
हरियाणा की सियासत में चौटाला गांव बहुत ही महत्वपूर्ण गांव है। हरियाणा की राजनीति हस्ती चौधरी देवीलाल की कर्मस्थली है चौटाला गांव। जानें पहले क्या थे और अब कैसे बदले यहां के हालात
हिसार [गौरव त्रिपाठी] चौटाला। सिरसा संसदीय क्षेत्र का ये गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं। आखिर हो भी क्यों, सिरसा जिले की करीब 22 हजार आबादी वाला ये गांव लंबे समय तक सत्ता का केंद्र जो रहा है। यही तो वह गांव है जिसने ताऊ के रूप में विख्यात चौधरी देवीलाल दिए जो देश के उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। वे दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तो उनके पुत्र ओमप्रकाश चौटाला ने चार बार सूबे की कमान संभाली।
यहीं नहीं, देश की सबसे बड़ी पंचायत में भी इस परिवार ने कई बार प्रतिनिधित्व किया। ताऊ के परिवार का प्रदेश की राजनीति में आज भी सिक्का बोलता है। देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला के बाद इस परिवार की तीसरी व चौथी पीढ़ी सियासी मैदान में है। ये बात अलग है कि तीसरी और चौथी पीढ़ी की राजनीतिक राहें जुदा-जुदा हो गई हैं। फिलवक्त क्या हैं छह बार सीएम देने वाले चौटाला गांव के हालात। आइए आपको ले चलते हैं चौटाला गांव।
डबवाली से हनुमानगढ़ रोड पर करीब 32 किलोमीटर चलने के बाद जैसे ही चौटाला गांव के नाम का सूचना पट दिखा तो हमारे पांव वाहन के ब्रेक पर पड़़ गए। राजनीति के सूरमा ताऊ देवीलाल और प्रदेश को छह बार मुख्यमंत्री देने वाले इसी गांव के हाल का जायजा लेने तो हम निकले थे। बाएं ओर जैसे ही घूमे चौटाला गांव की भूमि पर कदम पड़े। गांव में घुसने से पहले लाल पत्थर से चौधरी देवीलाल द्वार बना है। थोड़ा आगे बढ़े तो उनकी पत्नी हरकी देवी के नाम से द्वार बना है। उससे गुजरे ही थे कि सामने है ताऊ देवीलाल पार्क और बाएं हाथ पर अस्पताल नजर आया।
गांव में घुसते ही छोटी चौपाल पर छह लोग ताश खेल रहे थे और दो-तीन लोग उनके पास खड़े थे। उनसे राम-रमी हुई और परिचय देने के बाद शुरू हुआ बातचीत का सिलसिला। ताश की पत्ती फेंकने के बाद 60 वर्षीय ओमप्रकाश गोदारा बोले- भई ताऊ तो ताऊ थौ। सुबह-सुबह गांव के कुंदनलाल की चाय की दुकान पर पहुंच जाते थे। अब कुंदनलाल की वो दुकान तो नहीं है, लेकिन ताऊ की यादें आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं। उसके बाद आगेे बढ़े तो गांव के अंदर गांधी चौक से आगे बड़ी चौपाल पर सात लोग बैठे ताश खेल रहे थे। पास में 5-6 लोग बैठे खेल देख रहे थे। चुनाव का जिक्र करने पर बोले-चुनाव तो मई में है। अभी से क्या बताएं। चौधरी देवीलाल के बारे में पूछने पर बोले-पूरा गांव ही ताऊ का है। ताश खेल रहे 60 साल के रामकुमार बोले- चौधरी साहब ने वृद्धावस्था पेंशन देकर बुजुर्गों का सम्मान जिंदा रखा। वरना तंबाकू के लिए भी लड़कों के आगे हाथ फैलाना पड़ता।
चौटाला गांव में ताश खेलते हुए ग्रामीण, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए
वहीं मिले 40 साल के विनोद। वे हमें बड़ी चौपाल के पीछे बनी झील दिखाने ले गए। बताया कि आज बदहाल पड़ी है ये झील। इस झील को वर्ष 1998 में चौधरी देवीलाल ने राज्यसभा सदस्य रहने के दौरान अपने फंड से बनवाया था। वे चंडीगढ़ की सुखना लेक की तर्ज पर चौटाला गांव में भी झील बनाना चाहते थे। झील में बोटिंग के लिए तीन नाव आई थीं। इनमें एक कबाड़ के रूप में झील के पास ही पड़ी है। अन्य दो नावों का अस्तित्व मिट चुका। गांव का सूरतेहाल लेने और आगे बढ़े तो मुलाकात हुई 61 वर्षीय बलवीर से। पूछने पर बोले- चौधरी देवीलाल ने गांव मेें बस स्टैंड भी बनवाया था।
मेरे घर के सामने जो ये बिल्डिंंग है, यह बस स्टैंंड की ही है। चौधरी देवीलाल जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने चंडीगढ़ से चौटाला गांव के लिए सीधी बस सेवा शुरू कराई थी। अब गांव में कोई बस नहीं आती और बस अड्डे पर भैंसे बांधी जाती हैं। जब हम बस स्टैंड पर पहुंचे तो हूबहू बलवीर की बताई स्थिति थी। गोबर के उपलों के ढेर लगे थे और वहां खूटों से बंधे पशु जुगाली करते हुए भोजन पचाने में लगे थे।
चौटाला गांव का मुख्य द्वार
ताऊ को बड़ी पसंद थी कुश्ती, गांव में बनवा दिए दो स्टेडियम
चौटाला गांव से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं। चौधरी देवीलाल भी खेल प्रेमी थे। अखाड़े में कुश्ती लडऩा उन्हें काफी पसंद था। गांव के युवाओं के लिए ताऊ देवीलाल ने दो स्टेडियम की सौगात दी थी। गांव के रास्ते पर है चौधरी साहिब राम स्टेडियम। चौधरी साहिब राम देवीलाल के बड़े भाई थे। इसका उद्घाटन चौधरी देवीलाल ने बतौर उपप्रधानमंत्री 13 फरवरी 1991 को किया था। आज यह स्टेडियम मंडी में जगह न मिलने के कारण सरसों का खरीद केंद्र बना हुआ है। स्टेडियम के मैदान में घास ढूंढने से भी नहीं मिली। दूसरा मिनी स्टेडियम गांव के अंदर गांधी चौक पर है। इसका उद्घाटन भी 13 फरवरी 1991 को चौधरी देवीलाल ने किया था। चौधरी देवीलाल के समय यहां वॉलीबॉल की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं भी हुईं, लेकिन अब यह भी बदहाल पड़ा है। इसके अलावा गांव में चौधरी देवीलाल ने तीन जलघर भी बनवाए थे।
गांव में सीवरेज है पर अब हो चुका चोक
वर्ष 2004 में ओमप्रकाश चौटाला ने मुख्यमंत्री रहते हुए गांव के कुछ हिस्से में सीवरेज डलवाया था। वर्तमान में सीवरेज चोक होने के कारण जगह-जगह जलभराव के कारण बुरा हाल है। 35 वर्षीय रमेश ने बताया कि ताऊ परिवार का राज जाने के बाद हाल बुरे हैं। कोई सुध लेवा नहीं है।
अजय-बिल्लू के अलग होने का मलाल, झलक गए आंसू
84 साल के चिरौंजी लाल दमकल विभाग से रिटायर्ड हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के साथ गांव के स्कूल में पढ़ाई की है। चौधरी देवीलाल के बारे में बताया कि वे गरीबों के नेता थे। इतना कहते हुए चिरौंजी लाल जी की आंखें भर आईं। इमरजेंसी के दिनों को याद करते हुए बताया कि चौधरी साहब गांव के पुराने प्राइमरी स्कूल के पास मैदान में भाषण देते थे और स्कूल के बच्चे अपनी क्लास की खिड़की से उन्हें सुनते थे। चौटाला परिवार में आई दरार पर उन्होंने कहा कि कभी नहीं सोचा था कि अजय और बिल्लू (अभय सिंह चौटाला का घर का नाम) अलग-अलग होंगे।
गांव में 50 बेड का अस्पताल
गांंव में 50 बैड का अस्पताल है। पहले यह 30 का था। इसे मनोहर सरकार ने अपग्रेड किया। चौधरी देवीलाल ने एक अक्टूबर 1978 को इसका शिलान्यास किया था। पांच फरवरी 1981 को इसका उद्घाटन तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ ने किया था। इस कार्यक्रम में तबके मुख्यमंत्री भजनलाल और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री व सिरसा के सांसद चौधरी दलबीर सिंह भी चौटाला गांव पहुंचे थे। अस्पताल परिसर में चौधरी देवीलाल ने नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर शुरू के लिए बिल्डिंग बनवाई थी, लेकिन यह सेंटर कभी शुरू ही नहीं हो पाया। तब यह अस्पताल 30 बेड का था। मनोहर सरकार में इसे 50 बेड का कर दिया गया है।
चौटाला परिवार की कोठी
शान से खड़ी हैं देवीलाल परिवार की कोठियां
चौधरी देवीलाल के परिवार बेटों और भाइयों की बड़ी-बड़ी कोठियां आज भी गांव में शान से खड़ी हैं। सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला का परिवार आज भी गांव में रहता है। जगदीश चौटाला के बड़े बेटे भारतीय जनता पार्टी की राजनीति करते हैं और जिला परिषद के चेयरमैन हैं। चौधरी देवीलाल के एक बेटे रणजीत चौटाला कांग्रेस में हैं और सिरसा में रहते हैं। हालांकि चौटाला गांव आते रहते हैं। सबसे बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला इन दिनों तिहाड़ जेल में बंद हैं, लेकिन पैरोल पर आने पर वे चौटाला आते हैं, मगर रात में ठहरते नहीं हैं। उनका तेजाखेड़ा गांव में आवास है। वे वहीं ठहरते हैं।
सियासत का केंद्र रहा चौटाला
हरियाणा की सियासत में चौटाला गांव बहुत ही महत्वपूर्ण गांव है। हरियाणा की राजनीति हस्ती चौधरी देवीलाल की कर्मस्थली है चौटाला गांव। पास के गांव तेजा खेड़ा ताऊ देवीलाल की जन्मस्थली है। हालांकि उनकी जन्मस्थली को लेकर परिवार के लोगों में ही मतभेद हैं। कुछ परिजनों का कहना है कि ताऊ देवीलाल अपनी ननिहाल राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के अमरपुरा जालू में पैदा हुए थे। देवीलाल के बाद उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला भी प्रदेश की सत्ता के सर्वोच्च पद तक पहुंचे।
दोनों पिता-पुत्र छह बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। अब ताऊ देवीलाल की चौथी पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है और इस लोकसभा चुनाव में खासा प्रभाव डालेगी। चौधरी देवीलाल के पोते और ओमप्रकाश चौटाला के दूसरे बेटे अभय चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को लीड कर रहे हैं तो अभय के बड़े भाई अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला ने अपने चाचा से मतभेद के बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नाम से नई पार्टी बनाई है। 16वीं लोकसभा में हिसार से सांसद चुने गए दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी भी प्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर प्रभावी है।
सत्ता में देवीलाल और उनका परिवार
चौधरी देवीलाल दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। पहली बार 21 जून 1977 से 28 जून 1979 तक और दूसरी बार 17 जून 1987 से 2 दिसंबर 1989 तक। इसके बाद दो दिसंबर 1989 से 21 जून 1991 तक जनता पार्टी सरकार में वे देश के उप प्रधानमंत्री रहे। इसके अलावा उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला चार बार मुख्यमंत्री बने। देवीलाल के अन्य दो बेटे प्रताप और रणजीत सिंह विधायक रहे हैं। ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला सांसद और विधायक रहने के साथ प्रदेश के शिक्षा मंत्री रह चुके हैं।
अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला वर्तमान में डबवाली से विधायक हैं और इनके बेटे दुष्यंत हिसार से सांसद निवर्तमान सांसद हैं। ओमप्रकाश चौटाला के दूसरे बेटे अभय चौटाला विधायक होने के साथ विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं। ओमप्रकाश चौटाला के सबसे छोटे भाई जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला भाजपा नेता और सहकारी कृषि एवं ग्रामीण बैंक के चेयरमैन हैं।