पहले से बीमार रोगियों के लिए ज्यादा खतरनाक है स्वाइन फ्लू वायरस, रिपोर्ट में ये खुलासा
सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू के ए व बी कैटेगरी के मरीजों को भर्ती किया जाता है। इससे जिन लोगों की मौत हुई या ज्यादा प्रभावित हुए उनमें अधिकतर लोग अन्य बीमारी से ग्रस्त थे।
हिसार, जेएनएन। स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। दरअसल स्वाइन फ्लू का एच1 एन1 वायरस उन लोगों पर जल्दी अटैक करता है जो पहले ही किसी रोग से ग्रस्त हैं। सामने आया है कि स्वाइन फ्लू की चपेट में आए 60 फीसद लोग पहले से ही बीमार थे। इसके कारण उनकी हालत ज्यादा बिगड़ी। डाक्टरों की तरफ से की पेश की गई रिपोर्ट की जांच में यह सामने आया है। स्वाइन फ्लू बीमारी के लक्ष्ण पहले ही शुरू हो जाते है बस उसको समझने की जरूरत है। वहीं दिन में धूप के खिलने से आने वाले दिनों में इसके कम होने की उम्मीद है। अब तक हिसार में ही करीब 16 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 250 लोगों के पॉजिटिव होने की पुष्टि हो चुकी है। वहीं हरियाणा प्रदेश में करीब तीस से ज्यादा लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है। ऐसे में अगर आप बीमार हैं तो सावधानी जरूर बरतें।
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू के ए और बी कैटेगरी के मरीजों को दाखिल किया जाता है। इस बीमारी से जिन लोगों की मौत हुआ या ज्यादा प्रभावित हुए उसमें अधिकतर लोग पहले से ही किसी न किसी बीमारी से बीमार थे। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से केस देखने के बाद यह बात सामने आई। विभाग की तरफ से ऐसे मरीजों का ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है जिनको पुरानी बीमारी है।
बीमार होने से पहले ही लक्षण आ रहे सामने
लोगों के बीमार होने से दो दिन पहले ही स्वाइन फ्लू के लक्षण आ जाते है लेकिन लोग उनको समक्ष नहीं पा रहे। वायरस होने के कारण यह दूसरे व्यक्ति पर आसानी से जा रहा है। विभाग की तरफ से लोगों से भीड़ भाड़ वाले इलकों के जाने से रूकने की सलाह दी गई है। इसमें मुख्य रूप से नाक से पानी बहना, छींके, सिरदर्द, शरीर दर्द होना, भूख ना लगना आदि लक्षण है।
महज सर्दी, बुखार समझ कर न करें नजरअंदाज
स्वाइन का मौसम है और ठंड लगना यानि सर्दी-जुकाम होना स्वभाविक है। मगर कई दिनों तक भी अगर सर्दी में आराम नहीं है तो इसे नजरअंदाज न करें। साथ में कुछ विशेष लक्षण दिखाई दें तो हो सकता है ये स्वाइन फ्लू की दस्तक हो। हरियाणा के हिसार जिले में तो ठंड बढऩे के साथ ही स्वाइन फ्लू ने भी तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।
क्या है स्वाइन फ्लू, इसलिए पड़ा नाम
स्वाइन फ्लू , इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। इसके संक्रमण ने वर्ष 2009-10 में महामारी का रूप धारण कर लिया था। तब इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तिमारदारों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखे तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।
ये हैं इसके लक्षण
- नाक का बहना
- गले में खरास
- जुकाम
- बुखार
- छींके आना
- सिर में दर्द
- उल्टी आना
- बेचैनी होना
ये बरती जानी चाहिए सावधानी
- भीड़-भाड़ इलाके से परहेज रखें।
- नाक और मुंह पर मॉस्क लगाएं
- आशंकित मरीजों से हाथ न मिलाएं।
- आराम, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना
-शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं।
- बीमारी के बढऩे पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।
शुरू के तीन दिन ज्यादा खतरनाक
स्वाइन फ्लू से बीमार होने वाले लोगों के लिए शुरूआत के तीन दिन ज्यादा खतरनाक है। इसमें यदि बीमारी का सही ढंग से इलाज हो तो उसको वहीं रोका जा सकता है। लोगों को इसमें जागरूक होने की जरूरत है। विभाग की तरफ से दी जा रही टेमीफ्लू की टेबलेट भी लेनी चाहिए।
--स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दवाई दी जा रही है। यदि कोई पीडि़त आता है तो उसका इलाज किया जा रहा है और सैंपल भी जांच के लिए भेजा जा रहा है।
- दयानंद, सीएमओ