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महिलाओं की जिंदगी निगल रहा चरित्र पर शक, गुनहगार बन रहे साथ जीने-मरने की कसमें खाने वाले

पुलिस विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो अकेले फतेहाबाद जिले में ही पिछले पांच सालों में 10 ऐसी हत्याएं सिर्फ इसलिए हुई कि उन्हें सिर्फ चरित्र पर शक था और उन्होंने अपनों की हत्या की

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 06:16 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 06:16 PM (IST)
महिलाओं की जिंदगी निगल रहा चरित्र पर शक, गुनहगार बन रहे साथ जीने-मरने की कसमें खाने वाले
महिलाओं की जिंदगी निगल रहा चरित्र पर शक, गुनहगार बन रहे साथ जीने-मरने की कसमें खाने वाले

फतेहाबाद, जेएनएन। गांव भूंदड़वास निवासी काला सिंह ने पत्‍नी और दो बच्‍चों समेत अपने हंसते खेलते परिवार को इसलिए खत्म कर दिया कि वह अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था। अब खुद कबूला है कि सोची समझी साजिश के तहत पत्नी प्रीतकौर, 6 वर्षीय बेटी जसमीत कौर, 2 वर्षीय बेटा कमल को खुद के ससुराल ले जाने के बहाने गांव रोझांवाली के पास रॉड से वार करके हत्या कर दी और फिर इसे हादसे का नाम देने की भी कोशिश की।

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इस तरह का अपराध करते समय उसका एक बार भी दिल नहीं पिघला और अपने परिवार को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। चरित्र के शक ने काला सिंह के परिवार ही नहीं ऐसे कई परिवारों को खत्म किया है। इसके अलावा मासूमों से भी जिंदगी छीन ली।

विशेषज्ञों की मानें तो ये एक तरह की बीमारी है और इसका समय रहते उपचार जरूरी है नहीं तो ये एक बड़ा खतरनाक रूप ले लेती है। पुलिस विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले पांच सालों में 10 ऐसी हत्याएं सिर्फ इसलिए हुई कि उन्हें सिर्फ चरित्र पर शक था और उन्होंने अपनों की ही हत्या कर दी।

केस एक : बेटा का कटर से गला काटा और पत्नी की हथोड़ा मारकर की हत्या 

गांव हरिपुरा में 29 जुलाई 2018 को पलंबर ने अपनी पत्नी व बेटा की हत्या कर दी थी। आरोपित पलंबर अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था। इसके चलते पलंबर ने श्रवण कुमार ने चार साल के बेटा ध्रुव की कटर से गला काटकर और पत्नी रेखा के सिर में हथोड़े से वार करके हत्या कर दी थी। इसके बाद खुद भी रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या करने के लिए पहुंच गया था। आरोपित अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था और कई बार पंचायत भी हो चुकी थी।

केस : 2 पत्नी की हत्या कर, खुद थाना में पहुंचा

शहर के आजाद नगर निवासी रामस्वरूप ने 5 अक्टूबर 2016 को पत्नी सोमा के सिर में कपड़े धोने वाली थापी से वार करके हत्या कर दी थी। रामस्वरूप अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था। घटना के बाद रामस्वरूप खुद गुरूनानकपुरा चौकी में पेश हो गया था। इस मामले में रामस्वरूप को कोर्ट दोषी भी करार दे चुका है।

शक के बढ़ रहे मामले, लोग ले रहे उपचार

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो शक यानि की वहम बीमारी है और मनोरोगी से जुड़ी हुई है। शक करना जैसी बीमारी के रोजाना 8 से 10 केस नागरिक अस्पताल में आ रहे हैं। यहां पर काउंसिङ्क्षलग के द्वारा मरीजों का उपचार चल रहा है। काउंसलिंग में सामने आ रहा है कि महिला व पुरूष दोनों ही इस बीमारी से पीडि़त हैं, जो कि छोटी से छोटी बात को लेकर शक करने लगते हैं।

---अत्याधिक संदेह करना, डरना व गुस्सा करना, नींद न आना आदि ये सब शक की बीमारी में आते हैं और ये मनोरोग से जुड़े हैं। समय पर उपचार और काउंसिङ्क्षलग से इसे रोका जा सकता है। बड़े-बड़े शहरों में ऐसी थरेपी दी जाती हैं, जिनसे ऐसी बीमारियों पर कंट्रोल किया जाता है। आमतौर पर लोग इसे हल्के में ले लेते हैं जबकि ऐसे लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ से राय जरूर लेनी चाहिए।

डा.रीपू दमन

मनोरोग विशेषज्ञ, सदभावना अस्पताल, फतेहाबाद


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