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पति की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही महिला को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी

19 दिसंबर 1997 में हांसी दादल पार्क निवासी जयबीर की हत्या मामले में हिसार कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा पा चुकी जयबीर की पत्नी संतरा को सुप्रीम कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 09:45 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 09:45 PM (IST)
पति की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही  महिला को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी
पति की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही महिला को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी

जागरण संवाददाता, हिसार: 19 दिसंबर 1997 में हांसी दादल पार्क निवासी जयबीर की हत्या मामले में हिसार कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा पा चुकी जयबीर की पत्नी संतरा को सुप्रीम कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। मामले में संतरा की तरफ से अधिवक्ता रेखा मित्तल कथूरिया ने 14 जुलाई 2022 को हिसार एडीजे कोर्ट के फैसले और हाई कोर्ट की अपील खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील डाली थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दूसरी सुनवाई के दौरान ही तथ्यों के आधार पर संदेह का लाभ देते हुए संतरा को बरी कर दिया। हालांकि इससे पहले संतरा करीब करीब आठ साल की सजा काट चुकी थी।

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यह था मामला -

19 दिसंबर 1997 में जयबीर की हत्या कर दी गई थी, हालांकि इस बात का पता करीब एक साल बाद लगा था, जब टोहाना की एक नहर से बैग में छुपाई गई जयबीर की हड्डिया बरामद हुई थी। इसके बाद स्वजनो ने संतरा और जितेंद्र पर जयबीर की हत्या का केस दर्ज करवाया था। दोनों पर अवैध संबंध के आरोप भी लगाए गए थे।

संतरा ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि उसका पति जयबीर फेरी लगाकर कपड़े बेचता था। 19 दिसंबर 1997 की शाम जयबीर घर आया तो तीन व्यक्ति उसके घर आए। वे तीनों उसके पति के साथ बैठ गए। उसके पति ने उसे चाय बनाने भेज दिया। फिर उनमें पैसे को लेकर बहस होने लगी। उसका पति जयबीर उन तीनों के साथ कहीं चला गया। लेकिन देर रात तक उसका पति वापस नहीं आया। संतरा ने उक्त तीनों पर उसे बंदी रखने या मारने का शक जताया। करीब एक साल बाद टोहाना की एक नहर से हड्डियों से भरा बैग मिला। पुलिस ने डीएनए जांच करके पता लगाया गया कि यह जयबीर की हड्डिया है। इसके बाद जयबीर के स्वजनों के बयान पर संतरा और जितेंद्र पर हत्या का आरोप लगाकर हांसी पुलिस को केस दर्ज करवाया गया था। मामले में संतरा को 12 जून 2002 को एडीजे हिसार कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ 2004 में हाई कोर्ट में अपील डाली गई थी। जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। 26 अगस्त 1998 से जेल में सजा काट रही संतरा को हाइकोर्ट से 2006 में जमानत मिली थी। इसके बाद संतरा ने 25 मई 2022 को आत्म समर्पण किया था। जितेंद्र को इस मामले में 2017 में बरी कर दिया गया था। स्वजनों ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि जयबीर की 19 दिसंबर 1997 की रात 8.30 बजे के करीब गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसके शरीर के कई टुकड़े किए गए।


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