आजाद हिंद फौज के सैनिकों और नेता जी के गनर रहे भले राम का गांव हुअा उपेक्षाओं का शिकार
स्वतंत्रता सेनानियों देशभक्त सैनिकों अफसरों और खिलाडिय़ों का गांव है खंड बरवाला का हसनगढ़ गांव, सरकार ने प्रस्ताव मांगे मगर गांव के लोगों का कहना आज तक दिया कुछ नहीं
बरवाला [राजेश चुघ] खंड बरवाला के गांव हसनगढ़ ने देश और प्रदेश को इतने वीर सपूत दिए हैं जिनका राष्ट्र की स्वतंत्रता और रक्षा में अतुल्य योगदान है। इसे स्वतंत्रता सेनानियों, देशभक्त सैनिकों, अफसरों और खिलाडिय़ों का गांव कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हसनगढ़ गांव ने देश को आजादी में योगदान देने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में शामिल होने के लिए पांच महान स्वतंत्रता सेनानी दिए। इनमें से जिले के एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गनर रहे हैं भले राम कोहाड़ जीवित हैं। इनके अलावा आजाद हिंद फौज में जो चार और जवान हसनगढ़ से शामिल थे। उनमें स्वर्गीय मोमन राम नैन, स्वर्गीय खेमचंद चहल, स्वर्गीय दलीप सिंह नैन और स्वर्गीय कलीराम धारीवाल थे।
सन 1785 में हुई थी हसनगढ़ की स्थापना
खंड बरवाला के गांव हसनगढ़ की स्थापना चौधरी अनवर और कुर्सेला राम नैन ने सन 1785 में दनोदा से आकर की थी। गांव में शिव मंदिर, बाबा रूपनाथ मंदिर, दादा खेड़ा, बसंती माता, शंकर नाथ धाम और अखाड़ा धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं। गांव के लोगों का मुख्य कार्य कृषि और मजदूरी है। गांव की कुल आबादी लगभग साढ़े छह हजार है।
गांव की महान हस्तियां जिन्होंने गांव का नाम किया रोशन
इनमें इंद्र ङ्क्षसह नैन पूर्व विधायक और चेयरमैन हैफेड, इंद्र सिंह घनघस प्रिंसिपल, परमजीत सिंह निदेशक आयुष विभाग हरियाणा, जगजीत सिंह सहायक निदेशक औद्योगिक प्रशिक्षण हरियाणा, भारतीय सेना में कर्नल रमेश कुमार, लेफ्टिनेंट राकेश नैन, डा.जागीर सिंह और उनकी पत्नी दोनों स्वास्थ्य विभाग में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, अशोक नैन उपनिदेशक, कुलजीत घनघस डायरेक्टर हरियाणा ग्रामीण बैंक, भंवर जीत महाप्रबंधक हरियाणा राज्य परिवहन, रामकुमार महाप्रबंधक हरियाणा राज्य परिवहन, प्राचार्य बलजीत सिंह शिक्षा विभाग, बाबा रूपनाथ सिद्ध योगी दानवीर और समाजसेवी शामिल रहे।
उत्कृष्ट खिलाड़ी जिनका खेल इतिहास में है अतुल्य योगदान
जिन खिलाडिय़ों ने अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न खेलों में नाम रोशन किया। उनमें रामकिशन, बलदेव सिंह, श्रीचंद, बलदेवा, छबीलदास, पृथ्वी सिंह, चंदाराम, प्रह्लाद सिंह, केहर सिंह, ईश्र्वर, जगदीश चंद्र, जयबीर सिंह और राजबीर सिंह शामिल है।
दिग्गज नेताओं की नजदीकी रिश्तेदारियां है गांव में
हसनगढ़ गांव में पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल, बंसीलाल, ओमप्रकाश चौटाला, भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र ङ्क्षसह जैसे दिग्गज नेताओं की नजदीकी रिश्तेदारियां रही हैं। इसी गांव के इंद्र ङ्क्षसह नैन बरवाला से विधायक व हैफेड के चेयरमैन भी बने थे। इतनी राजनीतिक पावर के बाद भी हसनगढ़ में कई समस्याओं से ग्रामीणों को दो चार होना पड़ रहा है। कई राजनीतिक हस्तियों की यादें अपने में समेटे खंड बरवाला का गांव हसनगढ़ सरकारी उपेक्षा के कारण कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है।
लड़कियों के लिए दस जमा दो का स्कूल तक नहीं
गांव में लड़कियों के लिए दस जमा दो तक का स्कूल नहीं है। दसवीं का जो स्कूल है वह सबसे पुराना स्कूल है और काफी जर्जर हालत में है। ग्रामीणों ने इस कन्या स्कूल को 12वीं तक अपग्रेड करने और इसकी नई बिल्डिंग बनाने की मांग की। इसके अलावा गांव की पीएचसी में भी स्टाफ की पूरी नियुक्ति करने डॉक्टरों की सभी पोस्टें खाली पड़ी है उन्हें भरने और यहां तक पक्का रास्ता बनाने की मांग की है। समाजसेवी कुलदीप कोहाड़ ने बताया कि हसनगढ़ गांव का विकास इंद्र ङ्क्षसह नैन ने विधायक और हैफेड का चेयरमैन रहते करवाया था। उन्होंने गांव के सार्वजनिक काम करवाएं। इसके बाद जितने भी विधायक बने उन्होंने कभी गांव की सुध नहीं ली।
गेहूं खरीद केंद्र है अतिक्रमण का शिकार
किसानों ने बताया कि गांव में गेहूं खरीद केंद्र बना हुआ है। इस खरीद केंद्र पर अतिक्रमण की काफी समस्या है। इसके अलावा खरीद केंद्र केंद्र के भीतर एक गहरा गड्ढा है जो बरसों से भरा नहीं जा रहा वो गड्ढा तालाब का रूप ले चुका है। जब भी गेहूं खरीद का कार्य शुरू होता है तो इस कारण किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव में बिजली का गम्भीर संकट है। हालात यह है कि बिजली के पोल तक कई स्थानों पर नही है और पुराने व जर्जर तारों के कारण हादसे होने का अंदेशा है। बिजली की समस्या के साथ साथ कुछ क्षेत्रों में पीने का पानी भी नही आता।
सबसे पुराना व ऐतिहासिक कुआं उपेक्षा का शिकार
हसनगढ़ में सरकारी स्कूल के पास पुराना कुआं जो कभी गांव के लिए ही नही बल्कि आसपास के गांवों के लिए भी किसी वरदान से कम नही था। कई गांवों के लोग किसी समय यहां से पीने का पानी ले जाते थे। आज यह कुआं उपेक्षित है और बंद पड़ा है। ग्रामीण व बड़े बूढ़ों की यह इच्छा है कि पुरानी विरासत के रूप में मौजूद इस कुएं की सुध ली जाए इसका जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए। पुरातत्व विभाग इसे अपने अधीन ले या पंचायत इसका कार्य कराए। सत्यानारायण व ओमप्रकाश तो चंदा एकत्रित कर इसका जीर्णोद्धार करने के पक्षधर भी हैं।
सरकार ने प्रस्ताव तो मांगे परंतु दिया कुछ भी नहीं
हसनगढ़ गांव के सरपंच संदीप कुमार नैन ने बताया कि सरकार द्वारा दीनबंधु ग्रामीण उदय योजना के तहत उनसे प्रस्ताव मांगे गए थे। उन्होंने योगशाला, लाइब्रेरी, गांव में स्टेडियम, बिजली सब स्टेशन, जल घर में नया वाटर टैंक, गांव में पानी के लिए नई पाइप लाइन और बूस्टिंग स्टेशन बनाने जैसी कई योजनाओं के प्रस्ताव सरकार को भेज रखे हैं। परंतु सरकार की तरफ से अभी तक कुछ भी नहीं आया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने जो भी समस्याएं बताई हैं वह सभी जायज हैं और उनका समाधान किया जाना चाहिए।