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22 साल बाद चुनाव करवाने की घोषणा के बाद समीकरण बनाने में जुटे छात्र संगठन

छात्र संघ चुनाव करवाने की घोषणा के बाद छात्र संगठनों के बीच सरगर्मियां तेज हो गई हैं। घोषणा के बाद छात्र संगठनों ने बैठकें कर चुनाव की रणनीति बनाने को लेकर चर्चा की।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 04:26 PM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 09:12 PM (IST)
22 साल बाद चुनाव करवाने की घोषणा के बाद समीकरण बनाने में जुटे छात्र संगठन
22 साल बाद चुनाव करवाने की घोषणा के बाद समीकरण बनाने में जुटे छात्र संगठन

जेएनएन, हिसार। मुख्यमंत्री द्वारा सितंबर के अंत या अक्टूबर में छात्र संघ चुनाव करवाने की घोषणा के बाद छात्र संगठनों के बीच सरगर्मियां तेज हो गई हैं। घोषणा के बाद ही छात्र संगठनों ने जिला स्तर पर बैठकें कर चुनाव की रणनीति बनाने को लेकर चर्चा की। इस बार प्रदेश में 22 साल बाद चुनाव होंगे। हालांकि चुनाव किस आधार पर होंगे, इसको लेकर अभी तक सरकार ने कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। ये तय है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव होंगे।

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छात्र संघ चुनाव को लेकर सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष जीजेयू के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार के अनुसार पंजाब यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के पैटर्न का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपी गई है। ऐसे में पूरी संभावना है कि चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर ही होंगे। वहीं चर्चाएं ऑनलाइन चुनाव की भी हैं।

जिले में कुल 23 सामान्य डिग्री कालेज और तीन विश्वविद्यालय, गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, लाला लाजपत राय पशु विज्ञान एवं पशुचिकित्सा विवि हैं। जिनमें करीब 38 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। 22 कालेजों में से 12 सरकारी कालेज, 4 सह-सरकारी कालेज और 7 प्राइवेट कालेज हैं। जहां छात्र संघ चुनाव होने हैं। हालांकि प्राइवेट कालेजों में होंगे या नहीं इस बारे में अभी तक कुछ क्लीयर नहीं है।

चुनाव को लेकर जिले के तीनों मुख्य संगठनों ने कालेज शुरू होने के साथ ही विद्यार्थियों को अपने-अपने पक्ष में करना आरंभ कर दिया है। जिले में इनसो, एबीवीपी और एनएसयूआइ प्रमुख छात्र संगठन हैं। इसके अलावा दासफी, आइएसओ, एचएसओ और एसएफआइ जैसे संगठन भी चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहेंगे।

चुनाव बहाली को लेकर इनसो ने दिया था धरना

जीजेयू के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार की अध्यक्षता में सरकार ने लिंगदोह रिपोर्ट के आधार और पंजाब व दिल्ली यूनिवर्सिटी की तर्ज पर चुनाव करवाने को लेकर एक कमेटी बनाई हुई थी, इसलिए इंडियन नेशनल स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन इनसो ने अगस्त 2017 में पांच दिनों तक गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में धरना दिया था। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सांसद दुष्यंत चौटाला भी इस धरने में शामिल हुए थे।

इस दौरान इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला सहित कुल 9 विद्यार्थी अनशन पर भी रहे। पांचवें दिन सरकार ने छात्र संघ चुनाव से संबधित सभी मांगों पर अपनी सहमति जताते हुए 2018-19 के नए सत्र में दाखिले के बाद अगस्त के अंतिम या सितंबर महीने में छात्र संघ के चुनाव करवाने की घोषणा की थी। सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों को स्टूडेंट यूनियन के चुनाव 2018 में करवाने और इसके लिए जरूरी बजट का भी प्रावधान करने के आदेश दिए थे।

विश्वविद्यालयों को बनानी थी कमेटी

इनसो के धरने के बाद अपने पत्र में सरकार की ओर से कहा गया था कि सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति विश्वविद्यालय के कैलेंडर के अनुसार चुनाव करवाने के लिए एक-एक कमेटी का गठन करे। इसके बाद हायर एजुकेशन के डायरेक्टर जनरल, एक आइजीपी और तकनीकी शिक्षा के डायरेक्टर जनरल के नेतृत्व में एक प्रदेशस्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा, जो प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में चुनाव करवाएगी।

1996 में बंद हुए थे चुनाव

प्रदेश में 1996 में जब बंसीलाल की सरकार थी, तब चुनावों में लगातार बढ़ती गुंडागर्दी के कारण छात्र संघ चुनाव बंद कर दिए गए थे। इसके बाद इनेलो और कांग्रेस की सरकारें आईं और समय-समय पर छात्र संगठन चुनाव करवाने की मांग करते रहे, लेकिन चुनाव नहीं हुए। 2014 में सत्ता में आने से पहले भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में युवाओं को लुभाने के लिए छात्र संघ चुनाव की घोषणा की थी।

पहले चलता था धनबल

वर्ष 2006 से पहले छात्र संघ चुनाव का नजारा सांसद और विधायक की तर्ज पर होता था। चुनावों में धन और बाहुबल का खुला प्रयोग किया जाता था। प्रचार में लाखों रुपये फूंक दिए जाते थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता जताई और सरकार को आचार संहिता बनाने के निर्देश दिए।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। इस कमेटी ने 22 सितंबर 2006 को अपनी सिफारिशें कोर्ट को सुपुर्द की थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर 28 नवंबर 2006 को यूजीसी ने लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही चुनाव कराने के लिए सर्कुलर जारी कर दिया था।

विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर भेजी

जीजेयू के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार का कहना है कि हमें रिपोर्ट सौंपनी थी, जो सरकार को दे दी है। हमने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के आधार पर और दिल्ली और पंजाब विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव को विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की थी।

तारीख की घोषणा करे सरकार : दिग्विजय

इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा है कि मुख्यमंत्री 5 अगस्त तक छात्र संघ के चुनावों की तारीख की घोषणा करे वर्ना इनसो सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी। चौटाला ने सीएम के छात्र संघ के चुनाव की घोषणा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने न तो अब तक छात्र संघ के चुनाव की तिथि की घोषणा की, न ही चुनावों के लिए बजट आवंटित किया और न ही चुनावों के आयोजन के लिए कमेटी का गठन किया।

इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने इनसो के 5 अगस्त को कैथल में होने वाले प्रदेश स्तरीय रैली में छात्र आंदोलन की घोषणा की डर से सीएम ने छात्र संघ के चुनावों को लेकर यह घोषणा की है। छात्र संघ के चुनाव लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के आधार पर होने चाहिए।

यह हैं लिंगदोह कमेटी की प्रमुख सिफारिश

  • आपराधिक रिकॉर्ड, मुकदमा, सजा या अनुशासनात्मक कार्रवाई पर चुनाव से बैन।
  • किसी भी तरह के प्रिंट हुए मैटर यानी पंपलेट, पोस्टर, बैनर आदि का प्रयोग नहीं होगा।
  • उम्र सीमा यूजी में 22 वर्ष, पीजी के लिए 25 वर्ष व शोध छात्र के लिए 28 वर्ष रहेगी।
  • चुनाव लड़ने के लिए नियमित विद्यार्थी होना जरूरी, न्यूनतम 75 फीसद उपस्थिति जरूरी।
  • चुनाव प्रचार 10 दिन से अधिक नहीं होगा और पांच हजार रुपये से अधिक कोई प्रत्याशी खर्च नहीं करेगा।
  • किसी छात्र को दोबारा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा, चाहे जीते या हारे।
  • चुनाव प्रचार में वाहन, जानवर या लाउडस्पीकर का प्रयोग प्रतिबंधित है।
  • सत्र प्रारंभ होने के छह से आठ सप्ताह के भीतर चुनाव करवाना होगा।
  • प्रचार के लिये शिक्षण कार्य में कोई बाधा नहीं डालेगा।

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