हिसार के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी बस चलाने की कर रहे मांग, रोडवेज प्रशासन दे रहा ये तर्क
हिसार विद्यार्थी बसे चलाने की मांग को लेकर रोडवेज प्रशासन को ज्ञापन सौंपते है। कई बार बसे चला दी जाती है पर अगले दो से तीन दिन बाद बस को बंद कर दिया जाता है। इससे विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ जाती है।
हिसार, जागरण संवाददाता। साल 2022-23 नए शैक्षणिक स्तर से स्कूल हो या कालेज। सभी शिक्षण संस्थानों में पांच से 10 प्रतिशत विद्यार्थियों की संख्या बढ़ गई है। इस वजह से विद्यार्थी रोडवेज से बसे चलाने की मांग कर रहे है। छात्रों की दिनोंदिन लगातार बसे चलाने की मांग बढ़ती जा रही हैं। मगर रोडवेज बसों का संचालन नहीं कर रहा है। हालांकि, रोडवेज बेड़े में खड़ी बसे जंग खा रही है। इस ओर रोडवेज प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।
रोडवेज प्रशासन का तर्क
इस बारे में रोडवेज प्रशासन का तर्क है कि उनके पास बसों की डिमांड नहीं आ रही। मगर हकीकत इसके बिलकुल विपरित है। हर रोज विभिन्न रूटों के विद्यार्थी बसे चलाने की मांग को लेकर रोडवेज प्रशासन को ज्ञापन सौंपते है। कई बार बसे चला दी जाती है, पर अगले दो से तीन दिन बाद बस को बंद कर दिया जाता है। इससे विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ जाती है। ज्यादा सुबह या शाम को परेशानी होती है। उसी समय बस अड्डा पर विद्यार्थियों की भीड़ ज्यादा होती है। कोई भी बस जाती है तो विद्यार्थी बस की खिड़कियों से लटककर सफर करते है। यहां तक कि लड़कियां भी खिड़की से लटकी मिलती है। यह मामला पिछले माह टीएम के संज्ञान में आया था। इसके बाद सभी बसों का नियमित संचालन करने के आदेश दिए थे।
इन रूटों की आ रही मांग
कुलेरी, किरमारा, किरोड़ी, बगला, बालसमंद-भादरा, उकलाना, बरवाला, चमारखेड़ा, भूना-पाबड़ा, महलसरा, नंगथला, डोभी-खारिया, राजपुरा, खरड़ अलीपुर, किरतान, धांसू, मंगाली, स्याड़वा, मिरकां आदि।
महिला स्पेशल बसे दो साल से वर्कशाप में बंद
तीन साल पहले सरकार से रोडवेज को नौ महिला स्पेशल बसे मिली थी। यह बसे छह माह तक ही चल पाई थी। कोविड से लेकर अब तक यह सभी बसे वर्कशाप में बंद है। इन बसों का लाभ महिलाओं व छात्राओं को नहीं मिल रहा है। इन बसों का रोडवेज प्रशासन फ्लाइंग टीम चेकिंग के लिए या कैश ढ़ोहने में इस्तेमाल करता है।