फीस दोगुनी, पंखे की हवा खाने को मजबूर एमबीए विद्यार्थी, वीसी बोले- एसी रिपेयर करना मेरा काम नहीं
जीजेयू के प्रोसपेक्टस में भी साफ लिखा है कि विद्यार्थियों की कक्षाएं वातानुकूलित कमरों में ही लगेंगी।
जेएनएन, हिसार : गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में पूरी तरह से शीशों से बंद है कॉरपोरेट जैसा दिखने वाला हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस यानी एचएसबी। कहने को तो यह पूरी तरह वातानुकूलित है, इसी कारण विश्वविद्यालय के उसी तरह के अन्य कोर्सों की अपेक्षा यहां की फीस दोगुनी है। प्रोसपेक्टस में भी साफ लिखा है कि विद्यार्थियों की कक्षाएं वातानुकूलित कमरों में ही लगेंगी। लेकिन हाल यह है कि एचएसबी में डीन, डायरेक्टर और प्रोफेसर्स के ऑफिस के एसी तो चलते हैं, लेकिन क्लास रूम व अन्य कैंपस के एसी काम नहीं कर रहे। चारों तरफ से पूरी तरह बंद होने के कारण हवा का आवागमन सही से नहीं हो पाता, इसलिए उमस, धूप से तपती शीशे की खिड़कियां, दीवारें और विद्यार्थियों के बैठने के कारण कक्षाओं में पढ़ना तो दूर विद्यार्थियों और अध्यापकों का बैठना तक दूभर हो जाता है। कमाल तो यह है कि विद्यार्थियों द्वारा कई बार शिकायत करने के बाद भी हालात ज्यों के त्यों हैं। विद्यार्थी बताते हैं कि ये हालात छह महीने से बने हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता हैं कि छह महीने से विद्यार्थियों के हक का हनन हो रहा है और विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी शिकायतों को फाइलों में दबाकर भूल जाता है। वहीं, एसी नहीं चलने के मामले में जब जीजेयू के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एसी रिपेयर करना मेरा काम नहीं है, यह काम चेयरपर्सन को देखना चाहिए।
55 हजार सालान है एमबीए की फीस -
विश्वविद्यालय में एचएसबी ही एकमात्र ऐसा विभाग है, जहां चल रहे कोर्सों की फीस विश्वविद्यालय में उनके समकक्ष चल रहे अन्य कोर्सों की अपेक्षा दोगुनी है। उदाहरण के तौर पर लगभग सभी एमएससी कोर्सों की फीस 20 हजार के करीब है। लेकिन एचएसबी में चल रही एमएससी इकोनोमिक्स की फीस 40 हजार 500 रुपये ली जाती है। एमबीए कोर्स की सालाना फीस 55 हजार 500 और एमकॉम की 39 हजार है। लेकिन विद्यार्थियों को वो सब सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जिसके सपने उन्हें प्रोस्पेक्टस के माध्यम से दिखाए गए थे। - उमस तो पूरे हिसार में है। मेरा काम एसी रिपेय¨रग का नहीं है। एचएसबी में ऐसी प्रॉब्लम है तो मेरी नॉलेज में यह नहीं है। एसी ठीक करवाना चेयरपर्सन का काम है, उन्हें देखना चाहिए। वो एसी रिपेयर नहीं करवा सकते तो क्या करवाएंगे।
- प्रो. टंकेश्वर कुमार, कुलपति, जीजेयू हिसार।
- एसी बहुत पुराने हो गए हैं। 10 साल से भी ज्यादा पुराने। पिछले साल रिपेय¨रग करवाई थी, लेकिन फिर नहीं चल रहे। हम कई बैठकों में मामला उठा चुके हैं। अथोरिटी हमें देगी तो हम नए लगवा देंगे। बच्चे आए थे तो आज फिर हमने इस पर काम शुरू किया है। कल कुलपति महोदय से बात करेंगे।
- प्रो. उषा आरोड़ा, निदेशक, एचएसबी, जीजेयू हिसार।
बच्चे मेरे पास आए थे। जिसके बाद सोमवार को ही संबंधित व्यक्ति को बुलाकर पता किया है कि एसी कितने रिपेयरेबल हैं। उसके बाद फाइल तैयार करवाई है। जल्द ही एसी ठीक हो जाएंगे।
- प्रो. एनएस मलिक, डीन, एचएसबी, जीजेयू हिसार।