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इंदिरा गांधी ने जिस छात्रा का किया था कॉलेज में दाखिला, अब मुख्‍य अतिथि बन पहुंची कॉलेज

झज्‍जर के नेहरू कॉलेज की प्रथम छात्रा व प्रथम एथलीट कृष्णा राठी ने छात्राओं से सांझा किए अनुभव। कहा पहले लड़के लड़कियों की करते थे इज्‍जत। पैदल कॉलेज पहुंच जाती थी लड़कियां

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 02:54 PM (IST)
इंदिरा गांधी ने जिस छात्रा का किया था कॉलेज में दाखिला, अब मुख्‍य अतिथि बन पहुंची कॉलेज
इंदिरा गांधी ने जिस छात्रा का किया था कॉलेज में दाखिला, अब मुख्‍य अतिथि बन पहुंची कॉलेज

झज्जर, जेएनएन। एक वो दौर था जब काफी मोटिवेशन के बाद कॉलेज में दाखिला लिया था और बाद में लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनने का काम किया। नेहरू महाविद्यालय की प्रथम छात्रा व प्रथम एथलीट कृष्णा राठी ने दैनिक जागरण के साथ अपने अनुभव सांझा किए। उन्होंने बताया कि वर्ष 1959 में नेहरू कॉलेज के अध्यापकों ने दाखिला लेने के लिए उसे व उसके परिजनों को काफी मोटिवेट किया था।

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जिसके बाद उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया। इसका असर यह हुआ कि पहले वर्ष जहां कॉलेज में झज्जर की एकमात्र छात्रा थी, लेकिन अगले वर्ष 4-5 छात्राओं ने दाखिला लिया। अगले वर्ष दाखिला लेने वाली छात्राओं के लिए कृष्णा राठी रोल मॉडल का काम करती रही। छात्राओं का कहना था कि कृष्णा भी तो पढ़ रही है, हमें क्या होता है।

---------बता दें कि 2 जुलाई 1959 को नेहरू कॉलेज का उद्घाटन किया गया था। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने स्वयं कृष्णा राठी का प्रथम छात्रा के रूप में दाखिला किया था। उनकी पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी रुचि थी। संयुक्त पंजाब के समय प्रतिनिधित्व करते हुए महाविद्यालय की बेस्ट एथलीट भी बनी। शुरुआत में केवल 203 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया, जिनमें से केवल 7 छात्राएं थे। कृष्णा राठी ने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि उस समय झज्जर से वे अकेली ही छात्रा थी, अन्य छात्राएं बहादुरगढ़ व अन्य जगहों से पढऩे के लिए आती थी। 1962 में अपनी बीए की शिक्षा पूरी की। जब वे कॉलेज की एथलीट मीट में पहुंची तो सुखद अनुभव करते हुए छात्राओं व अध्यापकों से रूबरू होते हुए अनुभव भी सांझा किए।

---------उन्होंने बताया कि कॉलेज शहर से बाहर होने के कारण आने-जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन साहस के आगे सबकुछ कम था। कभी कॉलेज तक आने के लिए वाहन मिल जाता तो कभी पैदल ही कॉलेज पहुंच जाती थी। उस समय साथ पढऩे वाले लड़के भी इज्जत करते थे और हर समय सहायता के लिए तैयार रहते थे। वे पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी आगे थी। हालांकि उस समय सुविधाएं व खेल कम होते थे, लेकिन वे एथलेटिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। लड़कियां भी खेलों में कम भाग लेती थी। उन्हें आज इस बात की खुशी है कि वे अपने ही कॉलेज में मुख्यातिथि के तौर में पहुंची है। उन्होंने छात्राओं से मिलकर अपने अनुभव सांझा करते हुए आगे बढऩे की प्रेरणा दी। कृष्णा राठी ने कहा कि छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी पूरा ध्यान दें। खेलों से एक तो स्वास्थ्य ठीक रहता है तो दूसरा शरीर फिट रहता है। खेल से खुशी रहते हैं और सभी कार्य भी अच्छे रहते हैं। कृष्णा राठी के परिवार से अन्य सदस्य भी खेल में अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं।


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