Move to Jagran APP

इन चिकित्सकों को सलाम, कोरोनाकाल में भी नहीं हटे फर्ज से, छात्र ने बनाई डॉक्यूमेंट्री

रोहतक की पीएलसी सुपवा के छात्र कल्लोल मुखर्जी ने स्किल अंडर पीपीई डॉक्यूमेंट्री निर्देशित की है। इसमें पीजीआइ रोहतक के पीजी विद्यार्थियों की कोरोना वायरस महामारी के पीक के दौरान चुनौतियों और उनके परिवार की चिंताओं पर प्रकाश डाला गया है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 05:05 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 05:05 PM (IST)
इन चिकित्सकों को सलाम, कोरोनाकाल में भी नहीं हटे फर्ज से, छात्र ने बनाई डॉक्यूमेंट्री
इस डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि कोरोना काल में चिकित्सक समुदाय ने सबसे ज्यादा जोखिम उठाया।

रोहतक [केएस मोबिन]। बैकग्रांड में एंबुलेंस के सायरन की आवाज के साथ ही हॉस्टल का छात्र बिस्तर से उठता है। सुबह का समय है, विद्यार्थियों के परिधान से पता चलता है कि सर्दी का मौसम है। एक छात्र बैग में कुछ किताबें व उपकरण रख रहा है। दूसरी ओर, गर्ल्ज हॉस्टल की बालकनी की खिड़की से एक छात्रा बाहर झांकते हुए फ्रेम में दिखाई पड़ती हैं। अस्पताल और मरीजों के कुछ दृश्य दिखाने के बाद कैमरा एक बार फिर विद्यार्थियों की दिनचर्या दिखाने लगता है। पंडित लख्मीचंद यूनिवर्सिटी ऑफ परफोर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स (पीएलसी सुपवा) के फिल्म एंड टेलीविजन विभाग के छात्र कल्लोल मुखर्जी की निर्देशित स्किल अंडर पीपीई डॉक्यूमेंट्री के यह दृश्य हैं। 

loksabha election banner
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के पीजी विद्यार्थियों की कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) की पीक के दौरान चुनौतियों पर यह डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है। निर्देशक कल्लोल बताते हैं कि मार्च 2020 में लॉकडाउन के बाद आए कोविड पीक में चिकित्सक समुदाय ने सबसे ज्यादा जोखिम उठाया। यह योगदान सिनेमा के माध्यम से दिखाना चाहता था। हमने एक विषय चुना था। इस विषय पर ही जानकारी जुटाते हुए जूनियर रेजीडेंट या पीजी विद्यार्थियों की चुनौतियों से अवगत हुआ। बतौर फिल्म प्रोफेशनल्स यह आकर्षक था। डॉक्यूमेंट्री में कैमरा वर्क छात्र दीपक जैन व परविंदर सिंह, साउंड यतिन ने दिया, एडिटिंग सक्षम यादव ने की। सब टाइटल्स गरिमा राणा ने दिए। 
माता-पिता नहीं चाहते थे लगे कोविड ड्यूटी
पीजीआइएमएस में जूनियर रेजीडेंट नीरज भट्टी बताते हैं कि संस्थान से उनका घर करीब 20 किलोमीटर है। इसके बावजूद जब कोविड ड्यूटी लगी तो करीब ढाई माह तक घर नहीं गया। घर वाले कोविड ड्यूटी का नाम सुनते ही घबरा जाते थे। उन्हें समझाया कि डाक्टर होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी है। 31 मार्च 2020 से ही सिविल अस्पताल में ज्वाइन कर लिया था। तीन जुलाई को पीजीआइएमएस ज्वाइन किया। आते ही कोविड ड्यूटी लग गई। शुरुआत में मृत्यु दर अधिक थी। कई बार ऐसा हुआ कि ड्यूटी समाप्त होने पर जितने पेशेंट छोड़कर गए, दूसरी ड्यूटी आने पर उनमें से कुछ कम दिखे। यह दुखी कर जाता था। ज्यादातर बड़ी उम्र के ही पेशेंट की मृत्यु हो रही थी। एक बाबा थे वह जब शुरूॉुआत में आए तो कुछ दिन तक खुद ही खाना-पीना खा लेते थे, फल काट लेते थे। लेकिन, उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया। उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया। वह इतने फ्रस्टेट हो गए थे कि बार-बार ऑक्सीजन पाइप को हटा देते थे। वह चल बसे। पढ़ाई के पहल वर्ष में ही हमें मोर्चरी में भेज दिया जाता है। ऐसे में मैंने कई मृत्यु देखी थीं। लेकिन, कोरोना महामारी के दौरान काफी कुछ विचलित करने जैसा भी रहा है। 
दूसरी बार संक्रमण हुआ तो तनाव में आ गई, सब छोड़ घर जाना चाहती थी
मूल रूप से पश्चिम बंगाल निवासी व पीजीआइएमएस में जूनियर रेजीडेंट निलंजना सरकार जून 2020 में रोहतक आईं। यहां आते ही कोविड ड्यूटी लग गई। वह बताती हैं कि परिस्थितियां बहुत अच्छी नहीं थीं। कोविड ड्यूटी को लेकर घबराहट हुई लेकिन यह तो करना ही था। मुझे याद है कि एक अम्मा थी, वह संक्रमित होने के बाद यहां आई। मुझे उनसे बात करना अच्छा लगता था। वह हल्की सी भी तकलीफ होने पर घबरा जाती थी। उन्हें समझाना पड़ता था। जब वह स्वस्थ होकर घर लौटी तो आत्मसंतोष हुआ। मैं घर में पहली डाक्टर हूं। मेरे ब्रांच एनेस्थिसिया को लेकर जरूर घर में थोड़ी अलग राय थी। ड्यूटी के दौरान पॉजिटिव आई, उस वक्त खुद को संभाल लिया। लेकिन, जब नवंबर माह में दूसरी बार पॉजिटिव रिपोर्ट आई तो तनाव में आग गई थी। मां से फोन पर बात करते हुए रोने लगी। चाहती थी कि उनके पास चली जांऊ लेकिन, कोई चारा नहीं था। इससे कुछ ही दिन पहले पति और मेरा बाइक एक्सीडेंट भी हो गया था। किसी तरह खुद को संभाले रखा।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.