Move to Jagran APP

अनाथ बच्‍चों पर डॉक्‍यूमेंट्री बनाने पहुंची थी अमेरिकी छात्रा, दर्द सुन ले लिया ये बड़ा फैसला

शैशवकुंज में सबसे पहले 2 वर्षीय अनाथ बच्चा अमन मिला। उसकी कहानी सुन रेहा ने मदद पहुंचाने के लिए बच्‍चे के नाम पर ही अमन प्रोजेक्ट शुरू किया है। वेबसाइट के जरिए अब ये काम करेंगी

By manoj kumarEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 06:49 PM (IST)Updated: Sat, 06 Apr 2019 02:13 PM (IST)
अनाथ बच्‍चों पर डॉक्‍यूमेंट्री बनाने पहुंची थी अमेरिकी छात्रा, दर्द सुन ले लिया ये बड़ा फैसला
अनाथ बच्‍चों पर डॉक्‍यूमेंट्री बनाने पहुंची थी अमेरिकी छात्रा, दर्द सुन ले लिया ये बड़ा फैसला

हिसार, जेएनएन। 15 वर्षीय हाई स्कूल की छात्रा रेहा जैन ने संयुक्त राज्य अमेरिका से हिसार पहुंचकर अनूठे ढंग से अपनी स्कूल की छुट्टियों का उपयोग किया। वह अमेरिका से हिसार आकर अनाथ बच्चों की मदद के लिए एक प्रोजेक्ट शुरु करने के उद्देश्य से शैशवकुंज अनाथ आश्रम के बच्चों के बीच पहुंची। यहां तीन दिनों तक अनाथ बच्चों के बीच रहकर उनकी समस्याओं और उनकी उम्मीदों को समझा। रेहा ने बताया कि वह अनाथ बच्चों की मदद के उद्देश्य से 'अमन' नाम से एक प्रोजेक्ट शुरु करने जा रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत वह एक वेबसाइट बनाकर उस पर इन अनाथ बच्चों की कहानी डालेगी। उस वेबसाइट के जरिये वह इन बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए फंड जुटाएगी।

loksabha election banner

जिस पहले बच्चे से मिली, उसके नाम पर रखा प्रोजेक्‍ट का नाम

रेहा ने बताया कि उसने इस प्रोजेक्ट का नाम 'अमन' इसलिए रखा, क्योंकि जब वह पहले दिन इस अनाथआश्रम में पहुंची तो उसने सबसे पहले 2 वर्षीय एक अनाथ बच्चे अमन से मुलाकात की। इस दो साल के अमन को उसकी मां ने सिर्फ 3 हजार रुपये के लिए किसी को बेच दिया था और इस बच्चे के हाथ व पैर भी काम नहीं करते। वह ये सोच कर काफी निराश हुई कि जब इस बच्चे को पता लगेगा कि उसकी मां ने उसके और तीन हजार रुपये के बीच में से तीन हजार रुपये को चुना तो उस पर क्या बीतेगी। निशक्त और अनाथ होने के बावजूद वह उसे देखकर हंसने लगा। बस इसी बच्चे की बहादुरी को देखकर उसने अपने प्रोजेक्ट का नाम अमन रख दिया।

परिवार शैशवकुंज को दे रहा आर्थिक मदद

रेहा का जन्म अमेरिका में ही हुआ था। उसके पिता नमित जैन पिछले कई सालों से अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं। उनका परिवार पिछले कई सालों से शैशवकुंज अनाथ आश्रम को आर्थिक मदद दे रहा है। वह भी अपने इस परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए अनाथ बच्चों के लिए कुछ करना चाहती थी। बच्चों की मदद के लिए प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले उसके मन में यही ख्याल था कि अपने भविष्य के लिए जो अवसर उसे मिल रहे हैं, उन अवसर के लायक वे अनाथ बच्चे भी हैं।

डॉक्यूमेंट्री बनाने पहुंची थी, बच्चों से बात की तो बदल गया मन

रेहा का शैशवकुंज में आने का उद्देश्य अनाथआश्रम पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाना था। लेकिन यहां पहुंचकर जब उन्होंने बच्चों से बात की तो डाक्यूमेंट्री बनाने की बजाए उनकी मदद करने की ठान ली। रेहा ने बच्चों से उनके जीवन के बारे में पूछा तो उन्हें लगा कि वास्तव में उनके जुनून को आगे बढ़ाना चाहिए। इसके लिए वे आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाएंगी। रेहा ने अपनी डॉक्यूमेंट्री के लिए एक स्टाफ सदस्य से बात की तो यह जानकर हैरान हुई कि शैशव कुंज के 41 बच्चों में से केवल 5 बच्चों को ही परिवार की देखभाल मिल पाई है। अब तक केवल 5 बच्चों को ही यहां से गोद लिया गया है। ऐसे में अब उसकी प्राथमिकता इन बच्चों की शिक्षा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.