Move to Jagran APP

हिसार के 3 गांवों में सिर चढ़कर बोलता है सैनिक बनने का जुनून, आजाद हिंद फौज में पुरखों ने बहाया था खून

सेना दिवस पर विशेष सैनिकों के लिए पहचान बना चुके तीनों गांवों का संबंध आजाद हिंद फौज से रहा है। इन गांवों के जांबाज सैनिक आजाद हिंद फौज में रहते हुए वतन के लिए मर मिटे थे। तब से ही देश की रक्षा का जुनून सवार है

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 08:44 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 08:44 AM (IST)
हिसार के 3 गांवों में सिर चढ़कर बोलता है सैनिक बनने का जुनून, आजाद हिंद फौज में पुरखों ने बहाया था खून
ढाणा खुर्द गांव में चौपाल पर बैठकर चर्चा करते हुए गांव के रिटायर्ड सैनिक

हांसी [मनप्रीत सिंह] हिसार जिले के तीन ऐसे गांव हैं जहां के युवाओं में मुल्क की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होने का जुनून सिर चढ़कर बोलता है। ये गांव हैं गांव ढाणा खुर्द, ढाणा कलां व जमावड़ी। तीनों गांवों के सैकड़ों युवा वतन के पहरेदार बनकर बॉर्डरों पर तैनात हैं। इन गांवों में अधिकतर सैनिक परिवार हैं जो आने वाली पीढ़ियों को भी वतन की आन-बान व शान के लिए सैनिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं। इन गांवों के रणबांकुरों के बहादुरी के कई किस्से हैं जिन्हें याद कर ग्रामीण फक्र से सीना चौड़ा कर लेते हैं।

loksabha election banner

बता दें कि सैनिकों के लिए पहचान बना चुके तीनों गांवों का संबंध आजाद हिंद फौज से रहा है। इन गांवों के जांबाज सैनिक आजाद हिंद फौज में रहते हुए वतन के लिए मर मिटे थे। तब से ही इन गांवों की माटी में जन्म लेने वाले होनहारों पर देश की रक्षा का जुनून सवार है और मुल्क के प्रति प्रेम की ये परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रही है। यहां के युवाओं में सैनिक बनने के क्रेज का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आर्ट ही नहीं बल्कि इंजीनियरिंग व कॉमर्स विषयों के विद्यार्थी भी सेना में जाने को तत्पर दिखते हैं। शाम होते ही युवा ग्राउंड में प्रैक्टिस करने पहुंच जाते हैं। रिटायर्ड सैनिक रामफल का कहना है कि लगभग हर महीने गांव के युवाओं की सेना में सिलेक्शन होने की खबर आती रहती है।

सुबह शाम करते हैं प्रैक्टिस

हमारे गांव में स्टेडियम है, जहां प्रैक्टिस करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। मेरे परिवार में पिता व चाचा आर्मी में हैं और मैंने भी उन्हें देखते हुए बचपन से ही आर्मी ज्वाइन करने का लक्ष्य बना रखा था। मैं सेना में अधिकारी बनने के लिए एनडीए की तैयारी कर रहा हूं। - संदीप कुमार, ढाणा खुर्द

गांव से निकले कैप्टन

ढाणा खुर्द गांव से वर्तमान में राजेश कुमार कैप्टन हैं। इसके अलावा गांव में जन्मे नौरंग, बरबीर, रामकुमार व राज सिंह रिटायर्ड कैप्टन हैं। गांव में पढ़-लिखकर कई युवा सेना में बड़े अधिकारी भी बने हैं और वर्तमान में भी कई युवा एनडीए की तैयारी में जुटे हुए हैं।

हर परिवार का सेना से नाता

ढाणा खुर्द व ढाणा कलां गांवों की आबादी करीब 15 हजार है व जमावड़ी गांव की आबादी 6 हजार। इन तीनों ही गांवों से करीब 500 युवा वतन के प्रहरी के रूप में तैनात हैं। इसके अलावा इन गांवों में करीब 600 रिटायर्ड सैनिक हैं। गांव के ज्यादातर सैनिक परिवार हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.