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कभी लोग उड़ाते थे मजाक, अब हेवी लाइसेंस लेकर बस चला रही दो सगी बहनें, मां बोली- गर्व है

झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए रोजाना बस में लाना और छोडऩा इनके जिम्मे हैं। बस चलाने के साथ ही बच्‍चों को पढ़ाती भी हैं। दोनों मास्टर ऑफ सोशल वर्क कर रही हैं

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 03:51 PM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 05:12 PM (IST)
कभी लोग उड़ाते थे मजाक, अब हेवी लाइसेंस लेकर बस चला रही दो सगी बहनें, मां बोली- गर्व है
कभी लोग उड़ाते थे मजाक, अब हेवी लाइसेंस लेकर बस चला रही दो सगी बहनें, मां बोली- गर्व है

रोहतक, जेएनएन। म्‍हारी छोरियां छोरों से कम सै के, दंगल फिल्‍म के इस डॉयलाग को हरियाणा की बेटियां बार बार साबित कर रही हैं। रोहतक शहर की एकता कालोनी निवासी दो सगी बहने रीना हुड्डा व मीना हुड्डा महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई हैं।

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मेक द फ्यूचर ऑफ कंट्री (एमटीएफसी) संस्था से जुड़ी दोनों बहनें बस चलाती हैं। झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए रोजाना बस में लाना और छोडऩा इनके जिम्मे हैं। बस चलाने के साथ ही बच्‍चों को पढ़ाती भी हैं। दोनों फिलहाल इग्नू से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई कर रही हैं।

बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया। मां इंद्रवती ने दो बहनों और भाईयों को कड़ी मेहनत से पाला। आर्थिक तंगी से भाईयों को बहुत कम उम्र से ही घर की जिम्मेदार उठानी पड़ी। बेटियों को सशक्त बनाने के लिए मां ने उन्हें शिक्षित किया। पैसों के आभाव में एमटीएफसी संस्था में दाखिला कराया। यह फैसला दोनों के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ है।

यहां से स्कूल की पढ़ाई करने के साथ ही स्कूटी, बाइक और कार चलानी सीखी। संस्था के संचालकों व अध्यापकों के प्रेरित करने पर छोटी बहन मीना ने हरियाणा रोडवेज के रोहतक प्रशिक्षण केंद्र पर हैवी व्हीकल लाइसेंस के लिए आवेदन किया। करीब एक महीने के सफलतापूर्वक प्रशिक्षण के बाद अप्रैल 2018 में लाइसेंस प्राप्त किया। ऐसा करने वाली वह रोहतक की पहली महिला भी हैं। हाल ही में बड़ी बहन भी बहादुरगढ़ के प्रशिक्षण केंद्र से हैवी लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली महिला बनी। रोहतक केंद्र में तीन महीने की वेटिंग होने के कारण बहादुरगढ़ से आवेदन किया। रीना और मीना की मां कहती है उन्‍हें गर्व है कि उनकी ऐसी बेटियां हैं।

100 लड़कों के बैच में अकेली थी रीना

बस चलाने के प्रशिक्षण के बैच में करीब 100 लड़कों में वह अकेली लड़की थी। लड़के अक्सर मजाक उड़ाया करते थे। हालांकि, प्रशिक्षण के बाद होने वाले जरूरी ट्रायल में पहली ही बार में पास हुई। उन्होंने बताया कि झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने बच्चों को पढ़ाने के लिए ऑटो रिक्शा से लाना व वापस छोडऩा पड़ता था। संस्था के प्रयासों को देखते हुए समाजसेवी राजेश जैन ने बस भेंट की।

भाईयों ने बढ़ाया हौसला

रीना व मीना का कहना है कि मां और दोनों भाईयों ने हमेशा उनका साथ दिया। बस चलाने की इच्छा जब जाहिर की तो भाईयों ने समर्थन किया। परिवार के हौसला बढ़ाने पर हमारी भी झिझक कम हुई। खुद की कामयाबी के लिए दो बहने एमटीएफसी के संचालक नरेश ढल, तस्वीर हुड्डा, मनीषा अग्रवाल को प्रेरणा मानती हैं।


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