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बेच दिए वन विभाग के करोड़ों रुपयों के पेड़, 3 साल तक फाइल दबाए बैठे रहे अफसर

मुख्य वन संरक्षक को सौंपी रिपोर्ट। जांच में दावा है कि सात बीटों से जो पेड़ गायब हैं उनमें कई पंजीकृत। जांच में फॉरेस्ट गार्ड की रिपोर्ट आने के बाद हुआ था खुलासा

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 05:01 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 05:01 PM (IST)
बेच दिए वन विभाग के करोड़ों रुपयों के पेड़, 3 साल तक फाइल दबाए बैठे रहे अफसर
बेच दिए वन विभाग के करोड़ों रुपयों के पेड़, 3 साल तक फाइल दबाए बैठे रहे अफसर

हिसार [वैभव शर्मा] वन विभाग की हीलाहवाली में बीते तीन वर्षों में हजारों पेड़ खुर्दबुर्द हो गए। मामला सिरसा डिविजन से जुड़ा है। दरअसल यहां वर्ष 2016 से लेकर 2019 तक सिरसा बीट, बाजेकां बीट, कागदाना बीट, रंधावा, खैरकां, पनिहारी, बप्पा, रोडी, अलीकां बीट में लगभग 12,901 वृक्ष अवैध रूप से बेच दिए गए। इसमें विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की बड़ी मिलीभगत सामने आ रही है। खास बात तो यह है कि वन मंडल अधिकारी के संज्ञान में मामला होने के बावजूद एक वर्ष तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि जितना संभव हुआ इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट को दबाए रखा।

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ऐसे में इस पोस्ट पर जब वर्तमान डीएफओ जितेंद्र अहलावत आए तो उन्होंने इस मामले इंटरनल जांच की। जिसके सामने आने पर वह खुद चौंक गए। उन्होंने 23 जून को अपनी रिपोर्ट हिसार परिमंडल के मुख्य वन संरक्षक अधिकारी को सौंपी है। जिसमें लिखा है कि सिरसा की सात बीटों पर तो 10662 तो पनिवारी व खैरकां में करीब 2239 पेड़ों कमी मिली है। अधिकारी का कहना है कि अगर सिरसा की 47 बीटों पर ढंग से जांच हो तो मामला काफी बड़ा निकल सकता है।

गायब हुए इन पेड़ों का आंकलन करें तो इसमें शीशम, कीकर, सफेदा के करोड़ों रुपये के पेड़ शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि जिस समय पेड़ कम हो रहे थे उस समय सिरसा में डीएफओ के पद पर राम कुमार जांगड़ा (वर्तमान में मोरनी में डीएफओ) कार्यरत थे, इसके बावजूद उन्होंने अपने तीन साल के कार्यकाल में इस मामले पर गंभीरता से कार्रवाई तक नहीं की। जांच अधिकारियों का कहना है कि कई पेड़ तो जड़ सहित गायब हैं।

रिपोर्ट में 10662 पेड़ों की कमीपेशी आई सामने

रेंज- ब्लॉक- बीट- वृक्षों की कमी

कालांवाली- खरैकां- बप्पां- 1400 

कालांवाली- रोडी- रोडी- 967

कालांवाली- रोडी- अलीकां- 1451

सिरसा- सिरसा- सिरसा- 710

सिरसा- सिरसा- बाजेकां- 1344

सिरसा- सिरसा- कागदाना-2232

सिरसा- सिरसा- रंधावा- 2538

कुल-               10662

कैसे मामला हुआ उजागर

पिछले कुछ वर्षों में पेड़ों के कटने का खेल सिरसा में वन विभाग के अधिकारियों की जानकारी में रहते हुए चलता रहा। मामला उजागर तब हुआ जब सिरसा में इस खेल में लिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों का स्थानांतरण हुआ। इन पदों पर जब नए वन रक्षकों ने चार्ज लिया तो उन्होंने पिछले वर्ष ही उस समय के डीएफओ राम कुमार को सीधे तौर पर पेड़ों की अपनी-अपनी बीटों में कमीपेशी की रिपोर्ट पेश कर दी थी। इस रिपोर्ट पर पूर्व डीएफओ ने संज्ञान न लेकर कुछ वन रक्षकों पर ही दबाव बनाना शुरू कर दिया।

बीट क्या होती है

वन विभाग चार से पांच गांव को मिलाकर एक बीट बनाता है। इसमें पेड़ों की रक्षा के लिए एक गार्ड तैनात किया जाता है। यह वन रक्षक अपने क्षेत्र में पेड़ों को कटने से रोकता है। रोजना पेड़ों का रिकार्ड भी दर्ज करता है।

पेड़ों की रक्षा करने की इनकी थी जिम्मेदारी

- डीएफओ ओवरओल पेड़ न कटें इसके जिम्मेदार होते हैं

- तीन या चार बीटों पर एक ब्लॉक अफसर वन विभाग तैनात करता है। 

- चार से पांच गांव की एक बीट होती है जहां ग्राउंड पर वन रक्षक पेड़ों की रखवाली करता है

इस मामले में वन विभाग ने अभी तक नहीं किया चार्जशीट

इस मामले में वन विभाग की जांच प्रक्रिया भी काफी लचर दिख रही है। अभी भी कई कमियां जिनको लेकर कार्रवाई तेज नहीं की गई। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि जब अधिकारियों व कर्मचारियों की कमियां सामने आ रही हैं, जांच रिपोर्ट में भी दर्ज है इसके बावजूद अभी तक उन अधिकारियों व कर्मचारियों को आरोप पत्र नहीं थमाया गया है। इस मामले में विभाग अभी अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कर रहा है। इस मामले से जुड़े कुछ कर्मचारी हाल ही में रिटायर भी हो गए।

----यह मामला हमारे संज्ञान में आ गया है। इस मामले में जो भी अधिकारी जुड़े हुए हैं उनके खिलाफ हम अनुशासनात्मक कार्रवाई कर रहे हैं। यह काफी संगीन मामला है।

--- घनश्याम शुक्ला, मुख्य वन संरक्षक, परिमंडल हिसार

-----मेरी सिरसा में तैनाती 2016 में हुई थी, तब मैंने भी हजारों पेड़ों की कमी की रिपोर्ट विभाग के उच्चाधिकारियों को पेश की थी। मेरे खिलाफ विभाग के ही कुछ अफसर साजिश कर रहे हैं, इस मामले में जो कर्मचारी शामिल हैं उनके खिलाफ कार्यवाही चल रही है।

---- राम कुमार जांगड़ा, डीएफओ, मोरनी


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