10 साल से कर रहा था रेसक्यू, सांप ने हाथ पे काटा, बोले- हौसला है कम होगा जहर का असर
चेतना नामक रेसक्यू टीम पिछले करीब 10 साल से रेसक्यू करके सांपों को पकड़कर बाहर निकालने का काम करती है। इसी बीच रविवार शाम को रेसक्यू के दौरान टीम के एक सदस्य को कोमन कोबरा सांप ने उसे डस लिया।
जेएनएन, भिवानी। गांव घसोला में रेसक्यू करते समय रेसक्यू टीम के एक सदस्य को हाथ की उंगली पर सांप ने डस लिया। वह गांव के एक घर में घुसे सांप को पकडऩे के लिए गए हुए थे। चेतना नामक रेसक्यू टीम पिछले करीब 10 साल से रेसक्यू करके सांपों को पकड़कर बाहर निकालने का काम करती है। इसी बीच रविवार शाम को रेसक्यू के दौरान टीम के एक सदस्य को कोमन कोबरा सांप ने उसे डस लिया। जिसे उपचार के लिए चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
गांव घसोला निवासी आशीष भारद्वाज ने बताया कि वह सांपों से लोगों को बचाने के लिए रेसक्यू करते हैं। लोगों की मदद के लिए उन्होंने चेतना नामक रेसक्यू टीम बना रखी है। किसी के भी घर या अन्य कहीं सांप होने की सूचना पाकर चेतना नामक रेसक्यू टीम तुरंत मौके पर पहुंचती है और सांप को पकड़कर बाहर निकाल देती है। रविवार को गांव घसोला के ही एक घर में सांप होने की सूचना मिली थी। सूचना मिलते ही वह सांप को पकडऩे के लिए चला गया। जब वह सांप पकड़ रहा था तो अचानक सांप ने उसे डंस लिया। सांप ने सीधा उसके हाथ की उंगली पर डसा। उसे कोमन कोबरा प्रजाति के सांप ने डसा है। इसके बाद उसे उपचार के लिए दादरी के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां पर सभी लेब के टेस्ट न उपलब्ध होने के कारण उसे चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल भिवानी रेफर कर दिया। फिलहाल उसका उपचार नागरिक अस्पताल में चल रहा है।
2008 में बनाई थी रेसक्यू टीम, फिलहाल 16 सदस्य
आशीष भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने रेसक्यू टीम चेतना 2008 में बनाई थी। तब से वे लोगों की मदद के लिए सांप पकड़कर बाहर निकालते हैं। टीम में आशीष भारद्वाज, दीपक कुमार, प्रदीप व गोङ्क्षबद आदि शामिल हैं। टीम में कुल 16 सदस्य हैं।
सांप डसने वाले मरीज के लिए हो स्पेशलिस्ट चिकित्सक
आशीष ने कहा कि भिवानी-दादरी जिले में अनेक सांप डसने के मामले आते हैं। लेकिन यहां पर सांप डसने वाले मरीज का उपचार करने के लिए एक भी स्पेशलिस्ट डाक्टर नहीं है। इस कारण मरीजों को समय पर सही उपचार नहीं मिल पाता।
हौसले की होती है जीत
आशीष ने कहा कि हमारे यहां सांपों की कई प्रजाति हैं, इनमें से अधिकतर कम जहर वाले सांपों की हैं। हमारे यहां सांप के काटने का मरीज चिकित्सकों के पास सीधा नहीं आता और भय के कारण जी नहीं पाते। हौसला रखने वालों का ही उपचार हो पाता है।