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हिसार की फिजा में घुला धीमा जहर, पीएम 2.5 व पीएम 10 पहुंचा 400 पार, घुट रहा दम

हिसार में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 और पीएम 10 400 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर तक पहुंच गया है। जिसमें पीएम 10 407 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर तो पीएम 2.5 429 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर जबकि औसत एक्यूआइ 397 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर दर्ज किया गया।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 10:16 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 10:16 AM (IST)
हिसार की फिजा में घुला धीमा जहर, पीएम 2.5 व पीएम 10 पहुंचा 400 पार, घुट रहा दम
बच्चों, बुजुर्ग या गंभीर बीमारी से ग्रसित ही नहीं बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी काफी मुश्किल वक्‍त है

हिसार, जेएनएन। वायु प्रदूषण अपने उफान पर है। अभी तक का सबसे अधिक वायु प्रदूषण वीरवार को दर्ज किया गया है। हिसार में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 और पीएम 10, 400 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर तक पहुंच गया है। जिसमें पीएम 10, 407 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर तो पीएम 2.5 429 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर, जबकि औसत एक्यूआइ 397 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर दर्ज किया गया। इतने खतरनाक स्तर पर वायु का पहुंच जाना स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। बच्चों, बुजुर्ग या गंभीर बीमारी से ग्रसित ही नहीं बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी हिसार की हवा में सांस लेना काफी मुश्किल है। इसके साथ ही स्मॉग भी सुबह व सायं के समय छा रहा है।

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प्रदेश में 14 शहरों का एक्यूआइ 300 से अधिक

प्रदेश में करीब 14 शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक चल रहा है। वायु प्रदूषण में पराली ही नहीं बल्कि वाहनों, फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुओं, निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल आदि मुख्य रूप से शामिल हैं। अधिकांश स्थानों पर पीएम 2.5 व पीएम 10 की मात्रा सबसे अधिक पाई जा रही है। इन 14 शहरों में औसत एक्यूआइ देखें तो धारूहेड़ा में 405 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर प्रदूषण सामने आया।

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एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का मानक

0-50- अच्छा

51-100- संतोषजनक

101-200- सामान्य

201- 300- खराब

301- 400- बहुत खराब

401- 500- गंभीर

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क्या है प्रदूषण में पीएम 2.5 व पीएम 10

पीएम को पर्टिकुलेट मैटर या कण प्रदूषण भी कहा जाता है, जो कि वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। हवा में मौजूद कण इतने छोटे होते हैं कि आप नंगी आंखों से भी नहीं देख सकते। कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके पता लगाना पड़ता है। कण प्रदूषण में पीएम 2.5 और पीएम 10 शामिल हैं जो बहुत खतरनाक होते हैं। पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हवा में पीएम 10 का स्तर 100 से कम ही रहना चाहिए। पीएम 10 और 2.5 धूल, निर्माण की जगह पर धूल, कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ता है। जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन आदि होने लगती हैं। पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण सांस लेते समय आपके फेफड़ों में चले जाते हैं, जिससे खांसी और अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं। उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन जाता है, इसके परिणामस्वरूप समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है।

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प्रदूषण से प्रभावित होने पर यह दिखते हैं लक्षण

- सांस लेने में दिक्कत

- आंखें, नाक और गले में जलन

- छाती में ङ्क्षखचाव

- फेफड़ों का सही से काम ना कर पाना

- गंभीर श्वसन रोग

- अनियमित दिल की धड़कन और इत्यादि

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प्रदेश में एयर क्वालिटी इंडेक्स

अंबाला- 278

बहादुरगढ़- 394

बल्लभगढ़- 317

भिवानी- 297

धारूहेड़ा- 405

फरीदाबाद- 364

फतेहाबाद- 383

गुरुग्राम- 376

हिसार- 397

जींद- 399

कैथल- 322

करनाल- 193

कुरुक्षेत्र- 295

मानेसर- 335

रोहतक- 368

पानीपत- 331

सिरसा- 303

सोनीपत- 326

यमुनानगर- 271


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