खेल जगत से नहीं होगा गोल्ड कोस्ट में नाम रोशन करने वाली इस महिला पहलवान के सपनों का राजा
आस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम में रजत पदक जीतने वाली पूजा तीन साल तक नहीं करेंगी शादी।
सुनील मान, नारनौंद। आस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम में रजत पदक जीतने पर कुश्ती पहलवान पूजा ढांडा जब अपने पैतृक गांव में पहुंची तो गांव की लड़कियों ने उनको अपना आदर्श मानकर खेलों में पदक जीतकर गांव का नाम रोशन करने की शपथ ली। साधारण परिवार में जन्मी पूजा ढांडा अपनी मेहनत के बल पर इस मुकाम तक पहुंची है। अभी उनका सपना है कि वो ओलम्पिक में भी गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करे।
पूजा ढांडा डीएसपी बनकर समाज सेवा और देश की सेवा करना चाहती है। ढांडा ने बताया कि आगामी तीन वर्षाें तक वह शादी नहीं करेगी। करीब दो महीने पहले पूजा ढांडा घर से अभ्यास के लिए लखनऊ कैंप में चली गई थी। अपने परिजनों से दो महीनों तक दूर रही पूजा ढांडा मंगलवार को जब अपने गांव में पहुंची तो सबसे पहले अपनी मां कमलेश को गले लगा लिया और उनकी आंखों से खुशी के आंसू झलक पड़े।
एक दिन पहले ही उन्होंने अपनी मां को फोन पर कहा था कि जब वो अपने घर पहुंचेगी तो चटनी, रायता, मटर पनीर की सब्जी, काजू कतली तैयार रखे। पूजा की मां कमलेश ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को पूरे लाड प्यार से पाला है और वो छह साल की आयु से ही खेलों में अपने पिता के साथ अभ्यास करने जाती थी। मेरी लाडली गोल्ड मेडल जीतने का भरोसा देकर गई थी। जब वो फाइनल मुकाबले में गोल्ड मेडल से चूंक गई तो वो फोन पर काफी रोई, लेकिन हमने उसका साहस बढ़ाते हुए कहा कि हमारे लिए रजत पदक जीतना भी किसी गोल्ड से कम नहीं है।
कमलेश ने कहा कि अभी तीन वर्ष तक वह बेटी की शादी नहीं करेगें और उसके बाद उसके लिए ऐसा दूल्हा चुनेंगे जोकि खिलाड़ी न हो। वह सरकारी नौकरी पर हो। गोल्ड मेडल आता तो और खुशी होती पूजा ढांडा ने बताया कि ग्रामीणों ने जो स्वागत किया है वो इसको कभी नहीं भूल पाएगी। अगर गोल्ड मेडल आता तो खुशी ओर दुगनी होती। पहले राउंड में कुछ अंक गंवा दिए। जिससे वो गोल्ड से चूक गई। एशियन खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर इसकी भरपाई करूंगी। मेरी सफलता के पीछे मेरे माता पिता व कोच का अहम रोल है। मेरा शुरू से ही सपना है कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीत सकूं।
पूजा ने कहा, लड़कियां आज हर क्षेत्र में आगे हैं। लड़कियां देश का मान बढ़ा रही हैं। सरकार खेलों के लिए काफी काम कर रही है। लेकिन इसमें ओर भी सुधार करने की जरूरत है। पूजा के पदक जीतने से मिला हौसला ग्रामीण लड़कियां स्वाती, मोनिका, रीतू, शशी ने बताया कि हम भी बचपन से ही खेलों में रुचि दिखा रही हैं। पूजा ढांडा के मेडल जीतने से हमारे सपने को ओर भी पंख लग गए हैं। हम भी उन्हीं के नक्शे कदमों पर चलते हुए गांव व देश के लिए एक दिन मेडल जीतेगी। आज ग्रामीणों ने पूजा का जो स्वागत किया है। इससे गांव की अन्य खिलाड़ियों को भी उत्साह बढ़ेगा।