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साइबेरियन हरे कबूतरों को रास नहीं आ रही हरियाणा की आबोहवा, इस बार जल्‍दी लौटे

करीब 15 दिन पहले फतेहाबाद के गांव बड़ोपल में हरे कबूतर वन्य प्राणी संरक्षित जगह पर नजर आए थे। ये कबूतर साइबेरिया से हर साल आते हैं। मगर इस बार प्रदूषण के कारण जल्‍दी चले गए

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 04:31 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 12:41 PM (IST)
साइबेरियन हरे कबूतरों को रास नहीं आ रही हरियाणा की आबोहवा, इस बार जल्‍दी लौटे
साइबेरियन हरे कबूतरों को रास नहीं आ रही हरियाणा की आबोहवा, इस बार जल्‍दी लौटे

फतेहाबाद [विनोद कुमार] हरियाणा की आबोहवा पिछले कई सालों से खराब होती जा रही है। अब इसके दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। एक समय था जब विदेशी पक्षी फतेहाबाद जिले की वन्य प्राणी संरक्षित जगह में आते थे। इस बार साइबेरिया से कुछ हरे कबूतर करीब 15 दिन पहले अपने झुंड के साथ गांव बड़ोपल में देखे गये थे। लेकिन प्रदूषित फिजा के कारण ये पक्षी दोबारा नजर तक नहीं आए। जीव प्रेमी खुद मान रहे हैं कि कुछ समय पहले ये पक्षी देखे गए थे। लेकिन अब तक ये नजर तक नहीं आ रहे है और यहां से चले गए हैं।

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अक्सर नवंबर महीना शुरू होते ही जिले में अनेक विदेशी पक्षी यहां पर आ जाते हैं। वन्य प्राणी विभाग भी मान रहा है कि हमारी आबोहवा में घुला प्रदूषण सात समुद्र पार से आने वाले पक्षियों को भी रास नहीं आ रहा। अगर यही स्थिति रही तो शीतकालीन मौसम में आने वाले अन्य पक्षी भी हमारे जिले में प्रवेश नहीं करेंगे। 

पिछले कई सालों से आते हैं पक्षी

जिले में शीतकालीन नवंबर महीने से शुरू हो जाता है। ऐसे में साइबेरिया सहित कई अत्यधिक ठंडे देशों से पक्षी फतेहाबाद जिले के कई गांवों में आते थे, लेकिन इस बार इन पक्षियों की संख्या नाममात्र ही है। वन्य जीव प्राणी विभाग खुद मानता है कि विदेशी पक्षी 3 हजार किलोमीटर का सफर तय हमारे जिले में आते है। विभाग के कर्मचारी वन्य प्राणी संरक्षित भूमि का भी निरीक्षण कर रहे हैं लेकिन अभी तक किसी को भी विदेश पक्षी नजर नहीं आए हैं।

जिले में यहां देखे जाते हैं विदेशी पक्षी

विभाग के अनुसार फतेहाबाद के गांव झलनिया, माजरा, गांव बड़ोपल, भोडियाखेड़ा, घग्घर नदी व उसके निकटवर्ती गांवों मेंं, बलियाला हेड, काजल हेड के आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते थे। उनमें से मुख्य पक्षी नॉर्दन पीनटेल, व्हाइट आइबिस, हरे रंगे कबूतर, फ्लेङ्क्षमगो, व्हाइट पेलिकन, व्हाइट नेट स्टोर्क, पेंङ्क्षटग स्टोरक, ग्रे हेरॉन, नार्दन सोलर ग्रेटर आदि पक्षी माने जाते हैं।

तालाब भी हो रहे दूषित

वन्य जीव विभाग के अधिकारियों की मानें तो पिछले दिनों धुएं के कारण जिले की आबोहवा खराब हो गई है। इसके अलावा जहां पानी अधिक होता है वहां पर ये आते हैं। हमारे यहां घग्घर नदी में दूषित पानी बह रहा है। इसके अलावा जो तालाब है उसके अंदर भी साफ पानी नहीं है। जहां तालाबों में पानी है उसे ठेके पर दिया गया और लोगों ने जाल तक बिछा रखे हैं। ऐसे में यहां पर ठहरने के लिए पक्षी घबराते हैं। अगले 20 दिनों के अंदर ये विदेशी मेहमान नहीं आते है इस बार हम इन पक्षियों को देख भी नहीं पाएंगे।

--गांव बड़ोपल में करीब 15 दिन पहले मैंने खुद इन हरे कबूतरों को देखा था। माना जा रहा है कि ये विदेशी कबूतर हैं।  यहां करीब 20 से अधिक हरे कबूतरों का झुंड आया था। लेकिन अब ये नजर नहीं आ रहे हैं। पिछले साल भी कोई विदेशी पक्षी नहीं आया था।

विनोद कड़वासरा, जीव प्रेमी गांव बड़ोपल

--नवंबर महीना शुरू होने के साथ ही विदेशी पक्षी भी आने शुरू हो जाते हैं। विभाग को अभी तक कोई विदेशी मेहमान नजर नहीं आया। अगर कोई पक्षी आए हैं तो इसकी निगरानी करवाई जाएगी। जहां-जहां पक्षी आते हैं उसकी जांच की जाएगी। अगर कहीं पक्षी आएं हैं तो हो सकता है प्रदूषण होने के कारण चले भी गए होंगे।

-जयङ्क्षवद्र नेहरा, इंस्पेक्टर, वन्य प्राणी विभाग, फतेहाबाद।


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