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Shradh paksh 2020: पितृ पक्ष और नवरात्रि में 19 साल बाद एक महीने का अंतर, करें दान

Pitru Paksha 2020 इस बार आश्विन मास में अधिकमास पड़ रहा है इसलिए पितृ पक्ष के एक महीने के बाद नवरात्र शुरू होंगे। जबकि पहले पितृ पक्ष खत्म होते ही नवरात्र शुरू हो जाते थे।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 05:02 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 05:02 PM (IST)
Shradh paksh 2020: पितृ पक्ष और नवरात्रि में 19 साल बाद एक महीने का अंतर, करें दान
Shradh paksh 2020: पितृ पक्ष और नवरात्रि में 19 साल बाद एक महीने का अंतर, करें दान

हिसार/चरखी दादरी, जेएनएन। भाद्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि से हर वर्ष पितृ पक्ष का आरंभ होता है। इस बार पितृ पक्ष आगामी 2 सितंबर बुधवार से शुरू होंगे। उसी दिन पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। इस क्रम में आगामी 17 सितंबर को अमावस्या पर पितृपक्ष का समापन होगा। मगर इस बार एक बड़ा अंतर है। इस बार आश्विन मास में अधिकमास पड़ रहा है, इसलिए पितृ पक्ष के एक महीने के बाद नवरात्र शुरू होंगे। जबकि पहले पितृ पक्ष खत्म होने के तुरंत बाद ही नवरात्र शुरू हो जाते थे।

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दादरी जिले के गांव डूडीवाला नंदकरण निवासी ज्योतिषाचार्य महेश योगी ने बताया कि इस साल 19 वर्षों के बाद दो अश्विन माह का अधिमास मिल रहा है। इसलिए इस बार चतुर्मास पांच महीने का है। जो एक जुलाई से शुरू होकर 25 नवंबर तक चलेगा। आचार्य महेश योगी ने बताया कि काला तिल भगवान विष्णु को प्रिय होने के साथ ही श्राद्ध के हर कर्म में आवश्यक होता है। श्राद्ध पक्ष में कुछ भी दान करते समय हाथ में काले तिल लेकर दान करना चाहिए। इससे दान का फल पितरों को प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि यदि किसी अन्य वस्तु का दान न भी हो पाए तो सिर्फ तिल का दान भी किया जा सकता है। यह भी मान्यता है कि तिल का दान करने से पितृ आने वाले परेशानियों से बचाते हैं।

गरूड़ पुराण एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार हमारी तरह ही पूर्वजों पर भी मौसम परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है। उन्हें भी सर्दी, गर्मी का एहसास होता है। इसलिए मौसम के प्रभाव से बचने हेतु पितृगण अपने वंशजों एवं पुत्रों से वस्त्र की कामना रखते हैं। जो व्यक्ति अपने पितरों के निमित वस्त्र दान करते हैं उन पर हमेशा पितरों की कृपा बनी रहती है। आचार्य महेश योगी के अनुसार पुराणों में पितरों का निवास स्थान चंद्रमा के ऊपरी भाग में बताया गया है। इसी अनुसार पितरों को चांदी की वस्तुएं प्रिय मानी गई हैं। इसीलिए पितृ पक्ष में चांदी का दान करना भी शुभ फल देता है। मान्यता है कि भूमि दान से भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

इन चीजों का कर सकते हैं दान

आचार्य महेश योगी ने बताया कि जिन लोगों के घर में अक्सर लड़ाई-झगड़े तथा आर्थिक परेशानियां बनी रहती हैं, उन्हें पितरों के निमित्त गुड़ एवं नमक का दान जरूर करना चाहिए। गरूड़ पुराण के अनुसार नमक के दान से यम का भय भी दूर होता है। पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए जूते-चप्पल का दान करना भी शुभ माना गया है। इसलिए पितरों के निमित्त किसी जरूरतमंद को जूते-चप्पल का दान करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। पितृ पक्ष में पितरों के नाम से छतरी का दान करने से भी जीवन में सुख व शांति आती है। पितृ पक्ष में छाते का दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं।

ये रहेगा श्राद्ध कर्म

आगामी दो सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा। उसके बाद 3 सितंबर को प्रतिपदा, 4 सितंबर को द्वितीया, 5 सितंबर को तृतीया, 6 सितंबर को चतुर्थी, 7 सितंबर को पंचमी, 8 सितंबर को षष्ठी, 9 सितंबर को सप्तमी, 10 सितंबर को अष्टमी, 11 सितंबर को नवमी, 12 सितंबर को दशमी, 13 सितंबर को एकादशी, 14 सितंबर को द्वादशी, 15 सितंबर को त्रयोदशी, 16 सितंबर को चतुर्दशी का श्राद्ध कर्म किया जाएगा।


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